Diwali 2025 Laxmi Puja Muhurat: दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा? जानिए संपूर्ण पूजन-विधि और पूजा शुभ मुहूर्त
दिवाली का पर्व संपूर्ण भारत में हर्ष और आस्था के साथ मनाया जाता है. यह केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि माता लक्ष्मी की आराधना और समृद्धि की कामना का पावन अवसर है. मान्यता है कि दीपावली की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और जिन घरों में स्वच्छता, सकारात्मकता और श्रद्धापूर्वक पूजा होती है, वहां स्थायी रूप से धन-समृद्धि का वास करती हैं.;
धनतेरस से पांच दिनों तक चलने वाले पंच दिवसीय दीपोत्सव पर्व यानी दीपावली की शुरूआत होती है. हिंदू धर्म में दिवाली एक बड़ा और प्रमुख त्योहार होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार बड़े ही जोश, उत्साह, उमंग और पवित्रता के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष दीपावली का त्योहार 20 अक्टूबर को है. दिवाली के मनाने के पीछे दो पौराणिक कथा है. एक कथा के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को भगवान राम 14 वर्षों का वनवास पूरा करते हुए और रावण का वध करके वापस अयोध्या लौटे थे, जिसकी खुशी में अयोध्या के लोगो ने पूरे नगर को दीयों की रौशनी से उनका स्वागत किया था.
वहीं, एक दूसरी कथा के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. जिसके कारण दिवाली की रात को अमावस्या तिथि को प्रदोषकाल और स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी, भगवान गमेश और कुबेर देव की पूजा होती है. आइए जानते हैं दिवाली पर कब है लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री.
दिवाली अमावस्या तिथि 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्तूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर होगी, जिसका समापन 21 अक्तूबर को शाम 05 बजकर 44 मिनट पर होगा.
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है. इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न सबसे बढ़िया मुहूर्त माना जाता है. ऐसी मान्यता है इस स्थिर मुहूर्त में लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं और अपने अंश के रूप वास करने लगती हैं. ऐसे में दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस तरह से गृहस्थों के लिए पूजा की कुल अवधि 01 घंटा 11 मिनट तक का रहेगा.
प्रदोष काल और वृषभ काल का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उपयुक्त मुहूर्त प्रदोष काल होता है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा करने से मां लक्ष्मी स्थाई रूप से वास करने लगती हैं. ऐसे में दिवाली की रात को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. वहीं वृषभ काल शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगा.
दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजा विधि
- दिवाली की शाम लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से पहले पूजा स्थल और उसके आसपास हिस्सों को अच्छी तरह से साफ करें, फिर गंगाजल का छिड़काव करें.
- दिवाली लक्ष्मी पूजन के लिए घर का ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व की दिशा सबसे उपयुक्त होती है.
- पूजा स्थल पर सबसे पहले एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं.
- इस स्थान पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति को स्थापित करें.
- इसके बाद सभी तरह की पूजा सामग्री से माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चन करें और पूजन सामग्री अर्पित करें.
- इसके बाद लक्ष्मी माता को भोग लगाएं, आरती करें और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें.
दिवाली लक्ष्मी पूजन सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति, चौकी, अक्षत या आटा, चौकी पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र, मिट्टी के बड़े दीपक, सरसों का तेल,13 मिट्टी के दीपक और बाती कौड़ी,सुपारी, कुबेर यंत्र,कलश ,मौली या कलावा,अक्षत, रोली या अबीर, सिक्का, गुड़ या शक्कर, मिष्ठान्न,पान, लौंग, सुपारी, इलायची ,चढ़ावा के लिए खील-बताशा, धनिया के बीज, नए बर्तन, नई झाड़ू, धान-मूंग आदि.