Chaitra Amavasya 2025: जानें 29 या 30 कब है चैत्र अमावस्या? ऐसे करें नाराज पितरों को प्रसन्न
चैत्र अमावस्या का पितरों से गहरा संबंध है और इसे विशेष रूप से पितृ पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धापूर्वक पूजा की जाती है, ताकि वे तृप्त और संतुष्ट हो सकें. इसके पीछे धार्मिक मान्यता और परंपराएं जुड़ी हुई हैं.;
चैत्र अमावस्या को विशेष रूप से पितरों की पूजा की जाती है. यह दिन पितरों की आत्मा की शांति और उन्हें तृप्त करने के लिए समर्पित होता है. इस दिन विशेष रूप से लोग पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कार्य करते हैं, ताकि उनके पितर शांति प्राप्त करें और उनका आशीर्वाद मिल सके. इस दिन को पितृ पक्ष की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है, जो खासकर उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है जो अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा करते हैं.
चैत्र अमावस्या को व्रत रखने और पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. इसे पितृ दोष को दूर करने का भी एक साधन माना जाता है. यह दिन खासतौर पर उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो पितृ दोष या अन्य पारिवारिक समस्याओं से गुजर रहे होते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल कब है चैत्र नवरात्रि.
कब है चैत्र अमावस्या?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 07: 55 से शुरू होकर अगले दिन 29 मार्च को शाम 04:27 पर समाप्त होगी. ऐसे में 29 मार्च चैत्र नवरात्रि पड़ रही है. इस दिन दीपक जलाकर पूजा की जाती है. कुछ लोग गंगा स्नान करने के बाद इस दिन उपवास रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. अमावस्या के दिन भगवान शिव, माता लक्ष्मी, माता काली की पूजा करने का विधान है.
चैत्र अमावस्या पर क्या करें?
चैत्र अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि इस पेड़ की पूजा करने से पितर खुश होते हैं. वहीं, पीपल के पेड़ की पूजा करने से घर में शांति बनी रहती है. इसके अलावा, नाराज पितरों के लिए मंदिर में काले तिल का दान करने से फायदा होगा.