कहां से आया कोलकाता की बिरयानी में आलू? अवध के इस राजा से है संबंध
बिरयानी एक टेस्टी डिश है, जिसमें चावल के साथ चिकन और मटन डाला जाता है. आपने मुरादाबादी और हैदराबादी बिरयानी खाई होगी, क्या आपने कभी कोलकाता की आलू बिरयानी का स्वाद चखा है? ये बिरयानी डिश वर्ल्ड फेमस है.;
बिरयानी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. हर जगह की अलग-अलग बिरयानी फेमस है. अपने मीठे बोल और मिठाईयों के अलावा कोलकाता की आलू बिरयानी वर्ल्ड फेमस है. हैदराबादी और मुरादाबादी बियरानी को चिकन और मटन के साथ बनाया जाता है. वहीं, क्या आपने सोचा है कि कोलकाता की बिरयानी में आलू कहां से आया?
कोलकाता की बिरयानी में आलू डालने की परंपरा मुगलों के शासनकाल से जुड़ी हुई है. यह बात उस समय की है, जब नवाब वाजिद अली शाह को अवध से कोलकाता निर्वासित किया गया, तो उनके साथ उनकी रसोई और पकवानों की भी कुछ खास परंपराएं आईं.
नवाब वाजिद अली शाह से है संबंध
नवाब वाजिद अली शाह के साथ करीब 7 हजार लोग आए थे. जहां उन्हें पेंशन के रुप में 1 लाख रुपये दिए जाते थे. अब ऐसे में इतने सारे लोगों के खाने का बंदोबस्त करना आसान नहीं था. कहा जाता है कि इस कारण से अवधी-बंगाली-मुगलई विरासत की शुरुआत हुई. हजारों लोगों को रोजाना मीट से बनी बिरयानी खिलाना मुश्किल था.
बिरयानी में आलू डालने का कारण
इसके चलते बारवची ने उपाय निकाला कि अब बिरयानी में गोश्त की जगह आलू डाला जाएगा. आलू सस्ता होने के साथ-साथ मांस की अधिक मात्रा को भरने के लिए काम आता था. साथ ही, इससे स्वाद में भी फर्क नहीं पड़ा. इसके चलते कोलकाता की बिरयानी में आलू डालने की परंपरा शुरू हुई.
खास तरीके से पकाया जाता है आलू
अब आपको लग रहा होगा कि कोलकाता की आलू बिरयानी में आलू ऐसे ही डाल दिया जाता होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. बिरयानी के लिए आलू को खास तरीके से पकाया जाता है. इसके लिए सबसे पहले आलू को छिला जाता है. फिर इसमें छेद करके गर्म घी में फ्राई किया जाता है. तलने के बाद आलू को उबलते नमक वाले पानी में डाला जाता है.