क्या है नेस्ट सिंड्रोम, जानिए क्यों 30-40 साल पुरानी शादियां हो रही हैं फेल?
21वीं सदी में युवाओं में ही तलाक नहीं हो रहा बल्कि बुजुर्ग में भी ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं. बीते 5 सालों में 50 साल के अधिक उम्र के लोगों में डिवोर्स के केस बढ़े हैं. कपल सहमति से अलग हो रहे हैं. इनकी एक वजह नेस्ट सिंड्रोम भी बताई जाती है. नेस्ट सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें माता-पिता अपने घर में अकेले रह जाते हैं.;
Nest Syndrome: शादी को सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है. दूल्हा-दुल्हन फेरे लेते हुए एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने की कस्में खाते हैं. लेकिन आज के समय में एक जन्म भी वैवाहिक जीवन सफल हो जाए तो बड़ी बात है. छोटी-छोटी बातों पर कपल तलाक ले लेते हैं. पिछले कई सालों में तलाक के केस में वृद्धि दर्ज की गई है.
21वीं सदी में युवाओं में ही तलाक नहीं हो रहा बल्कि बुजुर्ग में भी ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते 5 सालों में 50 साल के अधिक उम्र के लोगों में डिवोर्स के केस बढ़े हैं. कपल सहमति से अलग हो रहे हैं. इनकी एक वजह नेस्ट सिंड्रोम भी बताई जाती है.
क्या है नेस्ट सिंड्रोम?
जानकारी के अनुसार नेस्ट सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें माता-पिता अपने घर में अकेले रह जाते हैं. उनके बच्चे पढ़ृाई और नौकरी की तलाश में घर से दूर रहते हैं. कई बार तो शादी के बाद बच्चे अपना फैमिली लेकर अलग रहने लगते हैं. इन सब चीजों से सिंगल पैरेंट्स उदासी और अकेलेपन से पीड़ित होने लगते हैं. कई बार इस सिंड्रोम का शिकार होने के बाद भी लोग इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं।
क्या है ग्रे तलाक?
कई बार कपल सालों तक शादीशुदा जीवन बिताने के बाद अलग हो जाते हैं. वे करीब वे 50-60 साल की उम्र में तलाक लेकर अलग हो जाते हैं. इस तरह के साथ तलाक को ग्रे तलाक कहते हैं. पिछले कुछ सालों में पूरी दुनिया में ग्रे तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. दोनों ही आपसी सहमति से अलग होने का फैसला लेते हैं. ऐसे तलाक के मामले आज के समय में आम बात हो गई है.
नेस्ट सिंड्रोम का प्रभाव
इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में नींद की कमी रहती है. चेहरे पर हमेशा उदासी छाई रहती है. कबी-कभी व्यक्ति गुस्सा हो जाता है. वह खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है. इसके अलावा तनाव, चिंता और अकेलापन आदि समस्याओं का सामना करता है. एक्सपर्ट के मुताबिक इससे बचने के लिए सबसे पहले तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए. आप अपने बच्चों और रिश्तेदारों से हमेशा बातचीत करते रहें. रोजाना पॉजिटिव रहें और वो काम करें जिसमें आपको खुशी मिलती है.