घर पर बनाएं पारंपरिक ठेकुआ: 5 आसान स्टेप्स में तैयार, छठी मइया को चढ़ाएं शुद्ध प्रसाद

सूर्य आराधना का प्रतीक छठ पूजा चार दिनों का पर्व है जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य. ठेखुआ मुख्य रूप से खरना (दूसरे दिन) और अर्घ्य के समय चढ़ाया जाता है.;

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Edited By :  रूपाली राय
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बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाए जा रहे छठ महापर्व के बीच, प्रसाद की तैयारी घर-घर में जोरों पर है. सूर्य देव और छठी मइया को चढ़ाए जाने वाले विशेष प्रसाद 'ठेकुआ' की मिठास न सिर्फ स्वाद को बढ़ाती है, बल्कि पूजा की पवित्रता का प्रतीक भी मानी जाती है. विशेषज्ञों और लोक परंपराओं के अनुसार, ठेकुआ बिना नमक-चीनी के बनाया जाता है, जो छठ की कठोर व्रत नियमों का पालन करता है. आइए, विस्तार से जानते हैं इसकी आसान रेसिपी और छठ में इसके महत्व को, जो सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखता है. 

ठेकुआ छठ पूजा का मुख्य प्रसाद है, जो गुड़ और चावल के आटे से तैयार किया जाने वाला एक मीठा व्यंजन है. इसे 'गुड़ की खीर' या 'चावल की टिक्की' भी कहा जाता है, लेकिन पारंपरिक रूप से यह गोल आकार की छोटी-छोटी टिक्कियां होती हैं. छठ व्रती महिलाएं (व्रत करने वाली) इसे निर्जला व्रत के दौरान बनाती हैं, और यह सूर्योदय व सूर्यास्त के अर्घ्य के समय बांस की टोकरी (दौरा) में रखकर चढ़ाया जाता है. 

सारदा सिन्हा के गीतों में है 'ठेकुआ' का जिक्र 

लोककथाओं के अनुसार, ठेकुआ छठी मइया की प्रसन्नता के लिए बनाया जाता है, जो संतान और परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. बिहार के प्रसिद्ध लोक गायक शारदा सिन्हा की छठ गीतों में भी 'ठेकुआ' का जिक्र मिलता है, जो इसे सांस्कृतिक धरोहर बनाता है. नूट्रिशनिस्ट डॉ. रेणुका सिंह (पटना मेडिकल कॉलेज) कहती हैं, 'ठेखुआ में गुड़ से आयरन और चावल से कार्बोहाइड्रेट मिलता है, जो व्रत के बाद ऊर्जा प्रदान करता है. यह ग्लूटेन-फ्री और शाकाहारी है, जो स्वास्थ्यवर्धक भी है.' 

छठ में ठेकुआ का महत्व

सूर्य आराधना का प्रतीक छठ पूजा चार दिनों का पर्व है जिसमें नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य. ठेखुआ मुख्य रूप से खरना (दूसरे दिन) और अर्घ्य के समय चढ़ाया जाता है. वेदों और पुराणों में सूर्य को जीवन का स्रोत माना गया है. ठेकुआ गुड़ से बना होने के कारण 'मधुरता' का प्रतीक है, जो जीवन में सुख-शांति की कामना करता है. छठी मइया (प्रकृति की शक्ति) को यह प्रसाद चढ़ाकर व्रती संतान प्राप्ति, रोग निवारण और परिवार की रक्षा की प्रार्थना करती हैं. अब बात आती है इसे बनाने कि, तो आईए जानते है इसे बनाने की विधी. 

सामग्री:

चावल का आटा: 2 कप (ताजा पिसा हुआ, बाजार का न लें)

गुड़: 1.5 कप (कद्दूकस किया हुआ)

घी: 2-3 बड़े चम्मच (शुद्ध देसी)

इलायची पाउडर: 1 छोटा चम्मच (वैकल्पिक)

पानी: आवश्यकतानुसार (गुड़ घोलने के लिए)

सूखे मेवे: काजू, किशमिश (सजावट के लिए, वैकल्पिक)

स्टेप-बाय-स्टेप विधि: गुड़ की चाशनी तैयार करें: एक कड़ाही में गुड़ को 1 कप पानी में डालकर धीमी आंच पर पकाएं. जब गुड़ पूरी तरह घुल जाए और चाशनी एक तार की हो जाए (लगभग 10-15 मिनट), तो आंच बंद कर दें. छान लें ताकि अशुद्धियां निकल जाएं. 

आटा गूंथें: चावल के आटे में थोड़ा-थोड़ा गुड़ की चाशनी डालकर नरम आटा गूंथ लें. अगर आटा सूखा लगे तो थोड़ा गर्म पानी मिलाएं. आटा ज्यादा टाइट न हो, नहीं तो ठेकुआ सख्त बनेगा 10 मिनट ढककर रखें.

आकार दें: आटे की छोटी-छोटी लोइयां बनाएं, हथेली से दबाकर गोल टिक्की का आकार दें (लगभग 2-3 इंच). बीच में उंगली से हल्का गड्ढा बनाएं ताकि घी अच्छे से लगे. 

तलें या भूनें: पारंपरिक तरीके से मिट्टी के चूल्हे पर घी गरम करें. ठेकुआ को मध्यम आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक तलें (5-7 मिनट प्रति साइड). गैस पर भी कर सकते हैं, लेकिन चूल्हे का स्वाद अलग होता है. 

सजाएं और ठंडा करें: निकालकर इलायची पाउडर छिड़कें, मेवे सजाएं. पूरी तरह ठंडा होने दें, प्रसाद के लिए साफ कपड़े में लपेटकर रखें.

टिप्स

छठ में लहसुन-प्याज वाला घर न हो, इसलिए शुद्धता का ध्यान रखें.

ठेखुआ 4-5 दिन तक ताजा रहता है.

अगर गुड़ कम मीठा हो तो मात्रा बढ़ाएं.

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