12 घंटे PUBG की लत ने बच्चे को पहुंचाया ऑपरेशन थिएटर, रीढ की हड्डी टेढ़ी; लकवा का शिकार

गेम खेलने की लत बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. लगातार गेम खेल से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इनमें लकवा सबसे आम है. इसके चलते शरीर का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है, जिससे चलने-बैठने में परेशानी आती है.;

Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 2 May 2025 5:48 PM IST

क्या आप भी पबजी गेम खेलने के शौकीन हैं, तो सावधान हो जाए. दिल्ली से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक बच्चा रोज़ घंटों-घंटों तक अपने कमरे में बंद रहता और 12-13 घंटों तक गेम खेलता रहता. इसके चलते उसकी रीढ़ की हड्डी की सर्जरी करवाई पड़ी, क्योंकि वह आंशिक रूप से लकवा का शिकार हो गया था. 

धीरे-धीरे उसकी पीठ टेढ़ी हो गई और वह यूरीन पर कंट्रोल खो बैठा. यह एक खतरनाक संकेत था कि उसकी रीढ़ की हड्डी पर गंभीर दबाव पड़ रहा था. इतना ही नहीं, बाकी टेस्ट में कई दूसरी बीमारियों के बारे में भी पता चला. ऐसे में चलिए जानते हैं गेम खेलने की लत से होने वाले नुकसान.

लगातार बैठे रहने से लकवा कैसे हो सकता है?

जब कोई व्यक्ति घंटों तक एक ही पोजीशन में बैठा रहता है (जैसे गेमिंग या कंप्यूटर पर काम करते समय), तो रीढ़ की हड्डी और आसपास की नसों पर लगातार दबाव पड़ता है. यह दबाव स्पाइनल कॉर्ड को डैमेज कर सकता है, जिससे मोटर फंक्शन (चलने की क्षमता) प्रभावित होती है. व्यक्ति धीरे-धीरे पैरों या हाथों को महसूस करना बंद कर सकता है और चलना मुश्किल हो सकता है, जो आंशिक लकवा का संकेत है.

रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी

डॉक्टरों की जांच में पता चला कि उसे स्पाइनल टीबी (रीढ़ की हड्डी में टीबी) है. इसके अलावा, डॉक्टरों को उसकी रीढ़ में एक गंभीर विकृति (टेढ़ापन) दिखाई दी, जिसे मेडिकल भाषा में काइफो-स्कोलियोसिस कहा जाता है. इसका मतलब है कि उसकी रीढ़ आगे और बगल दोनों तरफ झुक गई थी, जो एक खतरनाक स्थिति है.

कैसे होता है काइफो-स्कोलियोसिस

जब हम लगातार झुककर या एक ही पोजीशन में मोबाइल देखते हैं, तो शरीर का प्राकृतिक आकार बिगड़ने लगता है. इससे पीठ दर्द, गर्दन में अकड़न और कंधों में जकड़न होती है. इसके कारण ही काइफो-स्कोलियोसिस होता है. 

मांसपेशियों और जोड़ों की समस्या 

एक ही पोजिशन में घंटों बैठने से मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं. इससे पीठ, गर्दन, कलाई और घुटनों में दर्द जैसे लक्षण दिखाई जेते हैं. इसके अलावा, हाथों में कंपन या झनझनाहट जैसी समस्याएं होने लगती हैं. इसके अलावा, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलोसिस और लंबे समय में चलने-फिरने में परेशानी होती है.

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