नई बहूओं और सास के बीच पैरेंटिंग को लेकर मतभेद, इन ट्रिक्स से झगड़े के बिना ऐसे बनाएं बैलेंस
अगर बच्चा टीवी देख रहा है और सासू मां कहती हैं, 'अरे देखने दो, थोड़ा तो मन बहलता है, 'जबकि आप स्क्रीन टाइम लिमिटेड रखना चाहती हैं, तो ऐसे में अगर आप गुस्से में कह दें, हर बात में टोकती हैं आप! तो इससे ना सिर्फ रिश्ते खराब होंगे.;
जब एक ही घर में अलग-अलग जनरेशन साथ रहती हैं, तो सोच और अनुभव में फर्क होना स्वाभाविक है. खासतौर पर जब बात बच्चों की परवरिश की आती है, तो नई मां और बच्चे की दादी यानी सास के बीच अकसर चीजें टकरा जाती हैं. नई मां जहां ताजे रिसर्च, डॉक्टर की सलाह और अपनी मॉडर्न सोच के साथ बच्चे को पालने की कोशिश करती हैं, वहीं दादी अपने सालों के अनुभव और परंपराओं के आधार पर सलाह देती हैं.
लेकिन अक्सर ये सलाह टोकाटाकी जैसी लगती है और मां के मन में गुस्सा, झुंझलाहट या तनाव पैदा कर सकती है. सीधे मना करना या बहस करना रिश्ते को बिगाड़ सकता है. मगर अच्छी बात ये है कि आप बिना किसी झगड़े के भी अपनी पेरेंटिंग स्टाइल को अपनाए रख सकती हैं — बस ज़रूरत है थोड़ी समझदारी और प्यार भरे रवैये की.
टकराव नहीं, समझदारी से संभालें
मान लीजिए, आपका बच्चा रो रहा है और सासू मां तुरंत कहती हैं, दूध दो, ऐसे रोते-रोते बीमार हो जाएगा.' अब आप जानती हैं कि आपने बच्चे को थोड़ी देर पहले ही फीड किया है और वो सिर्फ आपकी गोद चाहता है. ऐसे में अगर आप साफ कह दें नहीं मांजी, अभी नहीं देना चाहिए, तो इससे बात बहस तक पहुंच सकती है. इसकी जगह आप मुस्कुरा कर कह सकती हैं, 'हां मांजी, लगता है थोड़ा परेशान है, मैं देखती हूं...और फिर आप अपने तरीके से बच्चे को गोद में लेकर चुप कराएं. इससे सास को भी लगेगा कि आपने उनकी बात सुनी, और आपका तरीका भी बना रहेगा.
हर बार मना मत करें
अगर आप हर छोटी चीज में यह कहेंगी, मांजी रहने दीजिए, मैं खुद कर लूंगी, तो धीरे-धीरे उन्हें लगने लगेगा कि अब उनकी कोई ज़रूरत नहीं रही. इससे उन्हें अलग-थलग महसूस हो सकता है. इसकी बजाय कभी-कभी कहें, 'मांजी, आप आज इसे कहानी सुनाइए न, आपकी कहानियां तो बहुत पसंद करता है.' इससे वे खुद को जरूरी महसूस करेंगी, बच्चा उनके करीब आएगा और आप को भी थोड़ी राहत मिलेगी.
बच्चे के सामने बहस नहीं करें
अगर बच्चा टीवी देख रहा है और सासू मां कहती हैं, 'अरे देखने दो, थोड़ा तो मन बहलता है, 'जबकि आप स्क्रीन टाइम लिमिटेड रखना चाहती हैं, तो ऐसे में अगर आप गुस्से में कह दें, हर बात में टोकती हैं आप! तो इससे ना सिर्फ रिश्ते खराब होंगे, बल्कि बच्चे के सामने गलत मैसेज भी जाएगा. बेहतर होगा कि आप थोड़ी देर बाद शांत तरीके से अलग कमरे में जाकर कहें, 'मांजी, डॉक्टर ने कहा है कि इस उम्र में स्क्रीन से थोड़ा दूर रखें तो बेहतर रहेगा. इस तरह बात भी साफ हो जाएगी और रिश्ते भी सही बने रहेंगे.
नई बातें कैसे बताएं?
अगर आप नए जमाने की पेरेंटिंग तकनीक अपनाना चाहती हैं, जैसे पॉजिटिव रिवार्ड सिस्टम, जिसमें बच्चे को डांटने की बजाय अच्छे व्यवहार पर तारीफ दी जाती है, तो उसे बताने का तरीका ऐसा रखें कि सास को लगे आप उन्हें साथ ले रही हैं, ना कि गलत साबित कर रही हैं. उदाहरण के लिए कहें, 'मांजी, आज एक अच्छा तरीका पढ़ा जिसमें जब बच्चा कुछ अच्छा करे तो उसकी तारीफ करें, उससे वह और अच्छा करता है, चलिए, ट्राई करते हैं. इससे उन्हें भी लगेगा कि वो इस न्यू मेथड में भागीदार हैं, और विरोध की भावना नहीं आएगी.
रिश्तों में दूरी नहीं, समझदारी जरूरी
सच तो ये है कि सास भी बच्चे के भले के लिए ही सलाह देती हैं. कभी-कभी उनका तरीका पुराने जमाने का होता है, लेकिन उनकी भावना सही होती है. अगर हम थोड़ी सी विनम्रता, थोड़ी सी रणनीति और थोड़ा प्यार रखें, तो बहस से बचा जा सकता है और बच्चा भी एक पॉजिटिव माहौल में पल सकता है. पेरेंटिंग कोई अकेली जिम्मेदारी नहीं है, ये एक शेयर्ड जर्नी है- जहां थोड़ी समझदारी और आपसी सम्मान से आप ना सिर्फ अच्छा पालन-पोषण कर सकती हैं, बल्कि पूरे परिवार के रिश्तों को भी मजबूत बना सकती हैं.