प्लेन टेकऑफ और लैंडिंग के वक्त विंडो शेड क्यों रहती है ओपन? जवाब घुमा देगा आपका दिमाग
फ्लाइट में ब्लाइंड्स को ओपन रखने का एक कारण गड़बड़ी को पहचानना है. यानी अगर इंजन या विंग्स में आग लग जाती है, तो क्रू मेंबर इसे आसानी से देख पाएंगे और लोगों को सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए जरूरी कदम उठाएंगे. जैसे किस साइड से पैसेंजर्स को बाहर निकाला जा सकता है.;
फ्लाइट में ट्रैवल करने का अपना ही एक अलग मजा है. खासतौर पर जब विंडो सीट मिल जाए. इससे आसमान का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है, जो बेहद एडवेंचर मूमेंट होता है.
यात्री कृप्या ध्यान दें. फ्लाइट टेक ऑफ कर रही है. इसलिए खिड़कियां खुली रखें. ये सिक्योरिटी गाइडलाइन तो आपने जरूर सुनी होगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाहे बारिश हो या धूप, फ्लाइट अटेंडेंट ऐसा करने के लिए क्यों कहते हैं?
फ्लाइट में विंडो शेड क्यों रहती है ओपन?
जैसे सेफ्टी के लिए सीट बेल्ट पहनने को कहा जाता है. इस तरह ही सुरक्षा के चलते विंडो खुली रखने के लिए ही कहा जाता है. हालांकि, यह सुनने में नॉर्मल लग सकता है, लेकिन यह फ्लाइट सेफ्टी के लिए जरूरी है. इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि अगर टेकऑफ या लैंडिंग के दौरान कुछ गड़बड़ी हो जाती है, तो ऐसे में पैसेंजर जल्दी रिएक्ट कर पाएंगे, क्योंकि वह पहले से ही आंखें रोशनी की आदी हो चुकी होंगी.
गड़बड़ी का अंदाजा
फ्लाइट में ब्लाइंड्स को ओपन रखने का एक कारण गड़बड़ी को पहचानना है. यानी अगर इंजन या विंग्स में आग लग जाती है, तो क्रू मेंबर इसे आसानी से देख पाएंगे और लोगों को सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए जरूरी कदम उठाएंगे. जैसे किस साइड से पैसेंजर्स को बाहर निकाला जा सकता है.
क्या होती है सिचुएशनल अवेयरनेस?
एक्सपर्ट धैर्यशील वांडेकर ने बताया कि सिचुएशनल अवेयरनेस और ओरिएंटेशन के बारे में बताया है. सिचुएशनल अवेयरनेस में आप आस पास हो रही चीजों को जानते हैं और उस पर नजर रखते हैं. यानी अगर आपके इर्द-गिर्द कुछ हो जाए, तो आपको तुरंत पता चल जाएगा. वहीं, ओरिएंटेशन में क्रू फ्लाइट में बैठे लोगों को ब्रीफिंग देता है, जिसे फॉलो करना जरूरी है.