पैसों के चक्कर में मर्द बने औरत, साड़ी पहनी घूंघट ओढ़ा और फिर पहुंच गए...
कर्नाटक के यादगीर जिले के एक छोटे से गांव मल्हार में सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा (MGNREGA) को लेकर एक अजीबो-गरीब धोखाधड़ी सामने आई है. यहां कुछ मर्दों ने महिला बनने का नाटक कर योजना का फायदा उठाया और मज़े की बात ये कि ये सब कुछ सरकारी निगरानी सिस्टम में फोटो अपलोड करके 'ऑफिशियली' किया गया!

कर्नाटक के यादगीर जिले से गांव मल्हार की कहानी जो भी जानता है हैरान हो जाता है कि और मुंह से यहीं मजाकिया अंदाज में कह रहा है कि बड़े खतरनाक लोग है. सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा (MGNREGA) को लेकर एक अजीबो-गरीब धोखाधड़ी सामने आई है. यहां कुछ मर्दों ने महिला बनने का नाटक कर योजना का फायदा उठाया और मज़े की बात ये कि ये सब कुछ सरकारी निगरानी सिस्टम में फोटो अपलोड करके 'ऑफिशियली' किया गया!
साड़ी पहनकर खिंचवाई फोटो, सरकार से ली मजदूरी
फरवरी 2025 में नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) पर एक तस्वीर अपलोड हुई. जिसमें कुछ पुरुष और महिलाएं मजदूरी स्थल पर खड़े दिखाई दिए. लेकिन जब जांच की गई, तो सामने आया कि जिन महिलाओं को फोटो में दिखाया गया था, वे असल में पुरुष थे. जो महिलाओं की साड़ी और गहनों में सज-धज कर आए थे. इन फर्जी मजदूरों को महिला कोटे में रोजगार देकर, करीब 3 लाख रुपये की अवैध मज़दूरी निकाली गई. मतलब साफ है महिला श्रमिकों का हक मर्दों ने छीना, वो भी साड़ी पहनकर!
स्थानीय पंचायत का पल्ला झाड़ना
जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, ग्राम पंचायत और संबंधित अधिकारियों की ओर से जवाब आने लगे. पंचायत विकास अधिकारी चेन्नाबसवा ने कहा कि मुझे कुछ नहीं पता था. ये सब एक आउटसोर्स कर्मचारी की करतूत है. जैसे ही मामला सामने आया, उसे सस्पेंड कर दिया गया. पंचायत ने कहा कि उन्होंने अब तक गांव में 2,500 से ज़्यादा असली मजदूरों को काम दिया है, और वर्तमान में योजना ठीक से चल रही है.
जांच के आदेश और सिस्टम पर सवाल
इस वाकये के बाद अधिकारी अब शर्मिंदगी में हैं और मामले की जांच शुरू हो चुकी है. इस घटना ने सरकारी निगरानी सिस्टम की कमजोरियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. सरकार की सोच जहां महिलाओं को ज़्यादा रोज़गार देना था, वहीं इस स्कैम ने दिखा दिया कि सिस्टम को चकमा देना कितना आसान है. याद दिला दें कि मनरेगा (MGNREGA) ग्रामीण भारत में गरीबी और बेरोजगारी से लड़ने के लिए शुरू की गई एक केंद्र-प्रायोजित योजना है. इसका उद्देश्य हर ग्रामीण परिवार को सालाना 100 दिन का गारंटीड रोजगार देना है. लेकिन जब उस गारंटी की चादर में फर्ज़ी साड़ी पहनकर असली मज़दूरों का हक छीना जाए, तो सवाल तो उठेंगे ही.