हर साल लाखों भारतीय क्यों छोड़ रहे हैं देश की नागरिकता? जानिए बीते 5 वर्षों के आंकड़े और इसके पीछे की वजहें
पिछले पांच साल में 10 लाख से ज्यादा भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है. 2024 में ही 2 लाख से अधिक लोग भारत की नागरिकता त्याग चुके हैं. क्या ये सिर्फ 'विदेशी सपना' है या इसके पीछे कुछ गहरे कारण हैं? जानिए नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया, ट्रेंड, और सरकार का नजरिया.;
2024 में कुल 2,06,378 भारतीयों ने देश की नागरिकता छोड़ दी. विदेश मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में यह आंकड़ा साझा किया गया. भले ही यह आंकड़ा 2023 के मुकाबले थोड़ा कम है (2023 में 2,16,219), पर यह अब भी बेहद ऊंचा है. इससे यह संकेत मिलता है कि नागरिकता त्यागने का ट्रेंड स्थिर बना हुआ है, और इसके पीछे सिर्फ बेहतर जीवन की तलाश ही नहीं, बल्कि जटिल सामाजिक-आर्थिक कारण भी हो सकते हैं.
अगर पिछले पांच वर्षों का ट्रेंड देखें, तो यह आंकड़ा और भी चौंकाने वाला बनता है. 2019 से लेकर 2024 तक कुल 10,40,860 भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी है. इसमें 2022 सबसे अधिक (2,25,620) त्याग वाले साल रहा. 2020 में कोविड के प्रभाव से संख्या घटी (85,256), लेकिन 2021 के बाद इसमें लगातार इज़ाफ़ा देखने को मिला. ये आंकड़े भारत की 'ग्लोबल माइग्रेशन' पॉलिटिक्स पर गहन विचार की मांग करते हैं.
किन देशों की नागरिकता ले रहे हैं भारतीय?
भारतीयों द्वारा नागरिकता त्यागने का एक बड़ा कारण है विकसित देशों की नागरिकता प्राप्त करना. अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी और सिंगापुर जैसे देश सबसे प्रमुख गंतव्य हैं. इन देशों में बेहतर जीवनशैली, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और करियर के अवसर लोगों को आकर्षित करते हैं. इसमें भी उच्च शिक्षित और आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग का पलायन प्रमुख है, जिसे अक्सर 'ब्रेन ड्रेन' कहा जाता है.
नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया क्या है?
भारत में नागरिकता त्यागने की पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन है. नागरिकों को https://www.indiancitizenshiponline.nic.in पर आवेदन करना होता है. आवेदन के बाद पासपोर्ट और अन्य दस्तावेजों का सत्यापन होता है. यह प्रक्रिया संबंधित मंत्रालयों और सुरक्षा एजेंसियों से राय लेने के बाद पूरी होती है, जिसमें करीब 60 दिन का समय लग सकता है. अंत में आवेदक को Renunciation Certificate मिलता है.
नागरिकता त्यागने के बाद किन दस्तावेजों को लौटाना होता है?
नागरिकता छोड़ने के बाद व्यक्ति को भारत में जारी तमाम सरकारी पहचान दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस संबंधित विभागों को लौटाने होते हैं. यह एक कानूनी प्रक्रिया है, ताकि वह भारतीय नागरिक की श्रेणी से पूरी तरह बाहर हो जाए. इसके बावजूद, कुछ मामलों में लोग पुराने दस्तावेजों का दुरुपयोग करते हैं, जिस पर सरकार की नजर बनी हुई है.
सरकार से पूछा गया, क्यों बढ़ रही है यह संख्या?
राज्यसभा में यह सवाल भी उठाया गया कि क्या सरकार ने इस बढ़ती प्रवृत्ति की जांच की है. विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने केवल आंकड़े प्रस्तुत किए, लेकिन इस वृद्धि के पीछे की सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक वजहों पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की. विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षा और नौकरियों के सीमित अवसर, सामाजिक असमानता और राजनीतिक माहौल भी लोगों को देश छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
क्या भारतीय नागरिकता छोड़ना आसान है?
भारत में ‘ड्यूल सिटिजनशिप’ की अनुमति नहीं है. यानी जैसे ही कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता लेता है, उसे भारतीय नागरिकता त्यागनी होती है. इस प्रक्रिया में काफी कागजी कार्रवाई होती है, लेकिन जिनके पास बेहतर विकल्प मौजूद होते हैं, उनके लिए यह सिर्फ एक औपचारिकता बन जाती है. खासकर H-1B, PR या ग्रीन कार्ड धारकों के लिए यह प्रक्रिया पहले से निर्धारित हो जाती है.
क्या यह सिर्फ पलायन है या चेतावनी?
भारतीयों द्वारा नागरिकता त्यागने का आंकड़ा केवल पलायन की कहानी नहीं कहता, यह शासन-प्रणाली और अवसरों के असंतुलन की भी कहानी है. युवाओं में भरोसे की कमी, रोजगार की अनिश्चितता और गुणवत्तापूर्ण जीवन की चाह ने इस ट्रेंड को मजबूती दी है. सरकार को केवल आंकड़ों तक सीमित न रहकर इसके कारणों की गहराई में जाकर नीतिगत सुधार की जरूरत है, वरना यह 'सॉफ्ट एक्सोडस' भारत की ताकत को कमजोर कर सकता है.