राज्यसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला 4 MLA तोड़ने वाले कौन हैं सतपाल शर्मा? नेशनल कॉन्फ्रेंस को दिया झटका

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के बाद हुए पहले राज्यसभा चुनाव में भाजपा नेता सतपाल शर्मा ने चौथी सीट जीतकर इतिहास रच दिया. 28 विधायकों वाली भाजपा ने 32 वोट की जरूरत के बावजूद जीत दर्ज की और उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस को करारा झटका दिया. यह जीत प्रदेश की बदलती राजनीति का बड़ा संकेत मानी जा रही है.;

( Image Source:  insta/iamsatsharmaca )
Edited By :  नवनीत कुमार
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए पहले राज्यसभा चुनाव में भाजपा नेता सतपाल शर्मा ने ऐसा परिणाम दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. 28 विधायकों वाली भाजपा ने 32 वोटों की ज़रूरत के बावजूद चौथी सीट जीत ली.

इस जीत ने उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए बड़ा झटका साबित किया. राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि शर्मा ने चार विधायकों को अपने पाले में खींचकर यह ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की.

कौन हैं सतपाल शर्मा?

सतपाल शर्मा जम्मू-कश्मीर भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष हैं और एक अनुभवी नेता माने जाते हैं. 2014 में वे जम्मू पश्चिम सीट से विधायक चुने गए थे और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, शर्मा का राजनीतिक सफर अनुशासन और संगठन क्षमता के लिए जाना जाता है. वे डोगरा ब्राह्मण परिवार से हैं और जम्मू विश्वविद्यालय से स्नातक हैं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस की तीन सीटें, पर चौथी पर झटका

इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) गठबंधन ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की. चौधरी मोहम्मद रमजान, साजद किचलू और शमी ओबेरॉय को सफलता मिली. लेकिन चौथी सीट पर इमरान नबी डार को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के सतपाल शर्मा ने 32 वोट हासिल किए, जबकि डार को केवल 22 वोट मिले.

चार साल बाद हुए चुनाव

राज्यसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में लगभग चार साल बाद हुए. विधानसभा भंग होने के कारण 2021 से चारों सीटें खाली थीं. इस दौरान जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू किया गया और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया. अब इन सीटों को नए राजनीतिक ढांचे के तहत भरा गया.

राजनीतिक समीकरणों का बदलता संतुलन

भाजपा की यह जीत केवल एक सीट की नहीं, बल्कि पूरे जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक दिशा में बदलाव का प्रतीक मानी जा रही है. एनसी गठबंधन के दबदबे के बीच भाजपा ने साबित किया कि उसकी जड़ें अब घाटी और जम्मू दोनों इलाकों में फैल रही हैं.

उमर अब्दुल्ला के लिए बड़ा झटका

इस जीत के बाद उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठने लगे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने अपनी रणनीति से एनसी के गढ़ में सेंध लगा दी है. चार विधायकों का समर्थन हासिल करना भाजपा की ‘मास्टरस्ट्रोक’ रणनीति साबित हुई.

भाजपा के लिए आत्मविश्वास की जीत

सतपाल शर्मा की जीत ने भाजपा के लिए आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले संगठन में जोश भर दिया है. पार्टी इसे जम्मू-कश्मीर में अपनी राजनीतिक पुनर्स्थापना के रूप में देख रही है. अब भाजपा नेतृत्व इस सफलता को आने वाले चुनाव प्रचार में भुनाने की तैयारी में है.

जम्मू-कश्मीर की राजनीति का नया अध्याय

सतपाल शर्मा की जीत ने साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति अब पुराने पैटर्न पर नहीं चलने वाली. यह नतीजा आने वाले दिनों में राज्य के राजनीतिक समीकरणों को नए सिरे से गढ़ सकता है. जहां भाजपा अब एक परिधीय पार्टी नहीं, बल्कि निर्णायक खिलाड़ी बनकर उभर रही है.

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