भागे हुए हीरा कारोबारी मेहुल की भारत वापसी तय! बेल्जियम कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की मंजूरी, PNB घोटाला से लेकर पढ़ें Choksi की कुंडली
बेल्जियम की अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी है. अदालत ने भारत के अनुरोध पर हुई उसकी गिरफ्तारी को वैध ठहराया है. चोकसी पर 13,000 करोड़ रुपये के PNB घोटाले का आरोप है. वह 2023 से बेल्जियम में रह रहा था और अब उसके भारत लौटने का रास्ता साफ हो गया है, हालांकि उसे ऊपरी अदालत में अपील का अधिकार रहेगा.;
13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को अब भारत लौटना ही पड़ेगा. बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट ने शुक्रवार को उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने यह भी माना कि चोकसी की गिरफ्तारी वैध है और भारत के अनुरोध पर बेल्जियम पुलिस ने उसे सही तरीके से गिरफ्तार किया था. हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि चोकसी इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है, लेकिन यह फैसला भारत के लिए बड़ी कानूनी जीत मानी जा रही है. अधिकारियों ने इसे प्रत्यर्पण प्रक्रिया की दिशा में 'पहला निर्णायक कदम' बताया है.
बेल्जियम कोर्ट में भारत की बड़ी जीत
बेल्जियम के एंटवर्प कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मेहुल चोकसी के खिलाफ लगाए गए अपराध- धोखाधड़ी, साजिश, सबूत नष्ट करना, भरोसे का अपराध और भ्रष्टाचार, बेल्जियम के कानून के तहत भी दंडनीय हैं. इससे “डुअल क्रिमिनैलिटी” की शर्त पूरी होती है, जो प्रत्यर्पण के लिए जरूरी होती है. कोर्ट में बेल्जियम अभियोजन पक्ष ने भारत की ओर से और चोकसी की कानूनी टीम ने अपनी दलीलें रखीं. अदालत ने माना कि भारत द्वारा लगाए गए आरोपों में पर्याप्त साक्ष्य हैं और चोकसी के फरार होने की संभावना वास्तविक है.
11 अप्रैल को हुई थी गिरफ्तारी
चोकसी को बेल्जियम पुलिस ने 11 अप्रैल 2025 को भारत के औपचारिक अनुरोध के बाद एंटवर्प से गिरफ्तार किया था. तब से वह बेल्जियम की जेल में बंद है. उसकी कई बार की गई जमानत याचिकाएं इस आधार पर खारिज की गईं कि वह 'फ्लाइट रिस्क' यानी फिर से भाग सकता है. भारत ने बेल्जियम अदालत को आश्वासन दिया है कि प्रत्यर्पण के बाद चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जो यूरोपीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप है. वहां उसे साफ पानी, भोजन, अखबार, टीवी और चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी, और उसे एकांत कारावास में नहीं रखा जाएगा.
भारत ने पेश किए ठोस सबूत
भारत की ओर से सीबीआई टीम अब तक तीन बार बेल्जियम जा चुकी है और उसने वहां की अदालत में सबूत पेश किए. इसके अलावा भारत ने एक यूरोपीय लॉ फर्म को भी कानूनी प्रक्रिया में शामिल किया है. भारत ने अपने केस में संयुक्त राष्ट्र भ्रष्टाचार विरोधी कन्वेंशन (UNCAC) और ट्रांसनेशनल ऑर्गनाइज्ड क्राइम कन्वेंशन (UNTOC) का भी हवाला दिया है, जिन पर बेल्जियम हस्ताक्षरकर्ता देश है.
PNB घोटाला: कैसे उड़ाए गए 13,000 करोड़?
मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने PNB की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस शाखा से फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) और फॉरेन लेटर्स ऑफ क्रेडिट (FLCs) जारी कराए थे. इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्होंने हांगकांग, मॉरीशस, एंटवर्प और फ्रैंकफर्ट के विदेशी बैंकों से हजारों करोड़ के कर्ज लिए और बाद में उनका भुगतान नहीं किया. जब ये कंपनियां पैसा चुकाने में असफल रहीं, तो पंजाब नेशनल बैंक को ही 6,300 करोड़ रुपये (ब्याज समेत) विदेशी बैंकों को चुकाने पड़े.
भारत ने क्या कहा?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'यह फैसला हमारे पक्ष में आया है. कोर्ट ने भारत के अनुरोध पर बेल्जियम अधिकारियों द्वारा की गई गिरफ्तारी को वैध ठहराया है. अब उसे प्रत्यर्पित करने की दिशा में पहला कानूनी कदम साफ हो गया है.' उन्होंने कहा कि यह आदेश भारत के प्रयासों को मान्यता देता है और अब प्रत्यर्पण प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है.
भारत की नागरिकता पर भी विवाद
चोकसी ने दावा किया था कि उसने 2018 में भारतीय नागरिकता छोड़ दी और एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता ली. लेकिन भारत ने अदालत में कहा कि चोकसी अभी भी भारतीय नागरिक है, क्योंकि उसके भारतीय पासपोर्ट को भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से रद्द नहीं किया है. हालांकि चोकसी इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकता है, लेकिन बेल्जियम कोर्ट का यह आदेश भारत के लिए कानूनी मोर्चे पर ऐतिहासिक सफलता माना जा रहा है. अब भारत सरकार को उसके प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया पूरी करनी होगी.