बंगाल SIR पर जोर पकड़ेगा बवाल! 56 नहीं 58 लाख मतदाताओं के नाम सूची से कट सकते हैं, जानें कितने फर्जी मतदाता?

पश्चिम बंगाल में Special Intensive Revision (SIR) के दौरान मतदाता सूची से करीब 58 लाख से अधिक नाम हटाए जा सकते हैं. इनमें मृत, स्थानांतरित और फर्जी वोटर भी शामिल हैं. इस प्रक्रिया को लेकर सियासी विवाद पहले से ही जारी है. आधिकारिेक रूप्औ से आंकड़े जारी होने के बाद विरोध प्रदर्शन जोर पकड़ सकता है. जानें एसआईआर के अब ​तक के आंकड़े.;

Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 12 Dec 2025 11:36 AM IST

पश्चिम बंगाल में चुनावी तैयारियों के बीच चल रहे Special Intensive Revision (SIR) ने मतदाता सूची को लेकर जारी विवाद जोर पकड़ सकता है. चुनाव आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 58 लाख से अधिक वोटरों के नाम ‘असंग्रहणीय’ (uncollectible) के रूप में चिन्हित किए गए हैं, जिनमें मृत, अनुपस्थित, स्थानांतरित और फर्जी मतदाता शामिल हैं. अब तक 56 लाख नाम कटने के कयास लगाए जा हरे थे. यह आकड़ा सियासी दलों के बीच तीखे बहस और आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन चुका है. चुनाव आयोग द्वारा फाइनल लिस्ट आने के बाद यह ओर तेज हो सकता है.

58 लाख से ज्यादा नाम सूची से होंगे बाहर 

पश्चिम ​बंगाल की मतदाता सूची से 56 लाख नहीं, बल्कि 58 लाख आठ हजार 202 लोग बाहर हो सकते हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक अब तक राज्य में मृतक वोटरों की संख्या 24 लाख 18 हजार 699 है. 12 लाख एक हजार 462 लोगों का पता नहीं चल पाया है. अगर संबंधित बूथ लेवल ऑफिसर किसी वोटर के घर उसकी तलाश में तीन या उससे ज्यादा बार जाता है, लेकिन उसके बाद भी वोटर नहीं मिलता है, तो उसे लापता लिस्ट में रखा जाता है.

1,37,575 वोट फर्जी

इसके अलावा कुल 19 लाख 93 हजार 87 मतदाताओं ने अपना पता बदल लिया है. उनके नाम एक से ज्यादा जगहों की वोटर लिस्ट में थे. उनके नाम एक ही जगह पर रखकर बाकी जगहों से हटा दिया जाएगा. आयोग ने अब तक राज्य में कुल एक लाख 37 हजार 575 फर्जी मतदाताओं की पहचान की है. उनके नाम भी ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं होंगे. इसके अलावा 57 हजार 509 लोगों को अन्य सूची में रखा गया है, इनका नाम भी बाहर कर दिया जायेगा.

SIR क्या हैऔर क्यों?

Special Intensive Revision (SIR) एक विशेष मतदाता सूची गहन परीक्षण अभियान है. इसका मकसद वोटर लिस्ट को अपडेट और शुद्ध करना है. इसमें मृत, डुप्लिकेट, गैर-रेजिडेंट और संभावित फर्जी वोटरों का पता लगाना शामिल है. यह प्रक्रिया पूरे राज्य में बिहार की तर्ज पर लागू की जा रही है. ताकि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले सूची साफ-सुथरी बने.

बंगाल एसआईआर प्रक्रिया के तहत संभावित नाम सामने आते ही एक बार ​ विरोध की राजनीति शुरू हो गई है. बता दें कि TMC प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. वह पहले से यह आरोप लगा रही हैं कि एसआईआर के तहत चुनाव आयोग सही मतदाताओं का नाम हटाया जा सकता है. इसका मकसद बीजेपी को लाभ दिलाना है. कांग्रेस भी एसआईआर को लेकर यही आरोप बिहार चुनाव प्रक्रिया के समय से लगाती आई है.

दूसरी तरफ बंगाल में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी के नेताओं का कहना है कि SIR के तहत गैरकानूनी वोटरों को हटाया जा रहा है और यह लोकतंत्र की शुद्धता के लिए आवश्यक है.

16 दिसंबर को जारी होगा ड्राफ्ट

SIR में मिली जानकारी के आधार पर ड्राफ्ट सूची 16 दिसंबर को जारी होने की संभावना है. इसके बाद मतदाता आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं और पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. चुनाव आयोग सबूतों को वेरिफाई करने के बाद फाइनल लिस्ट तैयार करेगा. इसका प्रकाशन 14 फरवरी को होगा.

सूत्रों के अनुसार आयोग ने वोटरों को तीन लिस्ट में बांटा है. इसमें स्वत: मैपिंग, प्रजिनी मैपिंग और नॉन-मैपिंग हैं. जिनके नाम 2002 की वोटर लिस्ट में थे (राज्य में आखिरी एसआइआर 2002 में हुआ था) उन्हें स्वत: मैपिंग लिस्ट में शामिल किया गया है. इसके तहत दो करोड़ 93 लाख 69 हजार 188 वोटरों की पहचान की गई है. जिनके नाम 2002 की लिस्ट में नहीं हैं, लेकिन उनके माता-पिता या रिश्तेदारों के नाम हैं. वे प्रजिनी मैपिंग लिस्ट में हैं. राज्य में ऐसे वोटरों की संख्या तीन करोड़ 84 लाख 55 हजार 939 है. इसके अलावा 30 लाख वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम या उनके रिश्तेदारों के नाम 2002 की लिस्ट में नहीं हैं, वे नॉन-मैपिंग लिस्ट में हैं. इस तीसरी लिस्ट में शामिल सभी लोगों को आयोग सुनवाई के लिए बुलाएगा. उनके सबूतों और दस्तावेजों की जांच की जाएगी. इसके अलावा, अगर पहली दो लिस्ट में किसी भी वोटर की जानकारी पर कोई शक है, तो उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया जा सकता है. यहां पर इस बात का भी जिक्र कर दें कि पश्चिम बंगाल में अनुमानित 7.62 करोड़ वोटर हैं.

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