वक़्फ बिल पर पूरा विपक्ष एकजुट, खरगे ने सुझाव डिलीट करने का लगाया आरोप; भड़के रिजिजू
राज्यसभा में वक्फ बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट हंगामे के बीच पेश की गई, जिसे लेकर विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया. कांग्रेस और अन्य दलों का आरोप है कि उनके असहमति नोट को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया. मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि ऐसी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जा सकता.;
राज्यसभा में वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट हंगामे के बीच पेश कर दी गई. इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने जोरदार विरोध किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी. जेपीसी की सदस्य मेधा कुलकर्णी ने यह रिपोर्ट सदन में पेश की, लेकिन विपक्ष ने इसे लेकर गंभीर आपत्ति जताई.
विपक्ष का आरोप है कि रिपोर्ट में उनके असहमति नोट (डिसेंट नोट) को शामिल नहीं किया गया, जिससे उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया है. राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "विपक्ष की ओर से दिए गए सुझावों पर कोई विचार नहीं किया गया. गैर-हितधारकों को शामिल किया जा रहा है, जबकि हमें अनदेखा किया जा रहा है. क्या हम पढ़े-लिखे नहीं हैं? क्या हमें जानकारी नहीं है? इस तरह की फर्जी रिपोर्ट को हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे."
विपक्ष न करे सदन को गुमराह
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "मैंने विपक्ष द्वारा उठाई गई चिंताओं की जांच की है और रिपोर्ट से कोई भी सुझाव हटाया नहीं गया है. आखिर किस आधार पर यह मुद्दा उठाया जा रहा है? विपक्षी सदस्य अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहे हैं, जिसमें कोई तथ्य नहीं है." रिजिजू ने आगे कहा कि जेपीसी ने पूरी प्रक्रिया नियमों के तहत पूरी की है और पिछले छह महीनों में सभी विपक्षी सदस्यों ने कार्यवाही में हिस्सा लिया था. उन्होंने विपक्ष पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा, "उनके आरोप झूठे हैं और वे बेवजह का हंगामा कर रहे हैं."
बिल का करते हैं विरोध: डिंपल यादव
सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “हम इस बिल का पूरी तरह से विरोध करते हैं. पूरा विपक्ष एकजुट है. सत्ता पक्ष की ओर से कुछ पार्टियां हो सकती हैं जो इस पर हमारे साथ हो सकती हैं."
पूंजीपति दोस्तों को दे देंगे जमीन
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि यह निराशाजनक है कि विपक्ष के असहमति नोट को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है. यह सिर्फ शुरुआत है. जल्द ही वे गुरुद्वारों, मंदिरों और चर्चों की जमीनों पर कब्जा करने और इस जमीन को अपने पूंजीपति दोस्तों को देने के लिए एक विधेयक लाएंगे.