'विकास यादव कभी नहीं गया...बनाया गया बलि का बकरा', पन्नू की हत्या की साजिश में अमेरिकी आरोपों पर वकीलों का दावा

खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में पूर्व रॉ अफसर विकास यादव के खिलाफ लगे आरोपों को उनके वकील RK हांडु ने खारिज किया है. करीब 10 महीने पहले दिल्ली पुलिस ने उन्हें अपहरण और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था, और अब उन पर अमेरिकी आरोप भी लगाए गए हैं.;

Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 24 Oct 2024 9:11 AM IST

खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में फंसे पूर्व रॉ अफसर विकास यादव के वकीलों ने एक महत्वपूर्ण दावा किया है. करीब 10 महीने पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपहरण और हत्या के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था. अब इस मामले में उन पर अमेरिकी आरोप भी लगाए गए हैं. जिसके बाद उनके वकील का कहना है कि विकास यादव को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बलि का बकरा बनाया जा रहा है. आइए इस खबर में विकास यादव और उनके वकील के बयान को पूरी तरह विस्तार से जानते हैं.

विकास यादव के वकील RK हांडु ने कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग के उन आरोपों का खंडन किया कि विकास यादव ने कथित तौर पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची थी , उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकास यादव कभी अमेरिका नहीं गया. हांडु ने आगे कहा कि हमारा मुवक्किल किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं था. उसने कुछ भी गलत नहीं किया था. आरोप निराधार हैं और भारत के खिलाफ एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हैं. 

विकास यादव निर्दोष है: वकील

विकास यादव को निर्दोष बताते हुए हांडू और चौधरी ने बताया कि यादव अपने कथित सह सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता को जानता तक नहीं था. अमेरिका ने आरोप लगाया कि विकास यादव ने भारत से हत्या की साजिश को निर्देशित किया. पन्नू के बारे में संवेदनशीन जारी गुप्त थी. जिसने बदले में इसे एक हिटमैन के साथ शेयर किया. जो एक अंडरकवर DEA मुखबिर था.

'विकास यादव कभी भी अमेरिका नहीं गए'

निखिल गुप्ता इस साल जून में गणराज्य से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था. पिछले साल अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर उन्हें नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया गया था. बीते जून के महीने से विकाश यादव का जीवन कुछ ठीक नहीं चला. पूरे प्रकरण ने उनके निजी जीवन पर गहरा असर डाला है. उनके वकील आगे खुलासा करते हुए कहा कि सेवा से बर्खास्त किए जाने के बाद उन्हें अपमानजनक तरीके से अपना सरकारी आवास खाली करने के लिए दबाव दिया गया.

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