VP Election: इंडिया ब्लॉक ने बढ़ाई BJP मुश्किलें, दुविधा में चंद्रबाबू, जगनमोहन और KCR; किसके पक्ष में संख्या बल?

Vice Presidential Election 2025: संख्या बल के लिहाज से एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 133 सीटें हैं. ऐसे में भाजपा आसानी से सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद पर बिठा देगी. अगर एनडीए के कुछ सदस्य बगावत कर विपक्ष के उम्मीदवार को वोट देते हैं, तभी स्थिति बदल सकती है, लेकिन ऐसा कोई बदलाव असंभव लगता है.;

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Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 19 Aug 2025 5:37 PM IST

उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ 21 दिन बाकी हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष गठबंधन ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति के लिए सीपी राधाकृष्णन को प्रत्याशी घोषित करने के बाद अब विपक्षी गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. विपक्ष ने बी सुदर्शन रेड्डी को अपना प्रत्याशी बनाया है. इसी के साथ अब राधाकृष्णन और रेड्डी के बीच उपराष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला तय हो गया है. विपक्ष द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने से बीजेपी के एक प्रमुख सहयोगी यानी चंद्रबाबू नायडू मुश्किल में फंस गए हैं. टीडीपी वर्तमान में आंध्र प्रदेश में सत्ता में है. अब उसके सामने एक कठिन विकल्प है कि वो अपने प्रदेश के रेड्डी का समर्थन करे या एनडीए प्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन का.

विपक्षी गुट की ओर से रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करना, टीडीपी को मुश्किल में डालने वाला सियासी खेल है. ऐसा कर कांग्रेस ने सियासी समीकरण बदलने की कोशिश है. ताकि डीएमके एनडीए गुट से बाहर निकल सकें. अब सीएम एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी के लिए दुविधा यह है कि वो किसका समर्थन करे? वह स्थानीय उम्मीदवार के खिलाफ वोट दे या एनडीए के निर्देशों पर कायम रहेगा?

कौन हैं रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी?

रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के रहने वाले हैं. वह पहले वकील रह चुके हैं. उन्हें 1995 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2005 में वे गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने. जनवरी 2007 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. जुलाई 2011 में वे सेवानिवृत्त हुए. इसके बाद उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में भी काम किया.

तमिल गौरव भावनात्मक मुद्दा

इससे पहले एनडीए द्वारा वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को चुने जाने से एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके के लिए दुविधा पैदा हो गई थी. दक्षिणी राज्य में तमिल गौरव एक भावनात्मक मुद्दा है. भाजपा ने डीएमके पर राजनीति से आगे बढ़कर एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करने का दबाव डाला. हालांकि, डीएमके ने कहा कि भाजपा के चुनाव को भाषा के चश्मे से नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से देखा जाना चाहिए.

इस नजरिए से देखें तो टीडीपी के सामने भी ऐसा ही एक सवाल है. एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली डीएमके केंद्र में भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी है. वर्तमान में आंध्र प्रदेश में सत्ता में हैं. सीएम नायडू के पुत्र और राज्य मंत्री नारा लोकेश ने हाल ही में राधाकृष्णन से मुलाकात की और उन्हें एनडीए द्वारा उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने पर बधाई दी.

टीडीपी पर दबाव बनाने की कोशिश

लोकेश ने मंगलवार को इंडिया ब्लॉक द्वारा रेड्डी की नाम की घोषणा के बाद एक्स पर पोस्ट कहा, "कोई अस्पष्टता नहीं, केवल गर्मजोशी, सम्मान और दृढ़ संकल्प. एनडीए एकजुट है." बहरहाल, विपक्ष इस राजनीतिक अवसर का उपयोग टीडीपी पर दबाव बनाने के लिए करेगा.

विपक्ष द्वारा अपनी पसंद की घोषणा के साथ टीडीपी के सामने एक सवाल है. आंध्र के जज और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज का समर्थन करे या तमिल राजनेता का? एनडीए की रणनीति पर अड़े रहने से टीडीपी के प्रतिद्वंद्वियों को राजनीतिक हमले करने का मौका मिल जाएगा. टीडीपी के अलावा, दो अन्य दलों के सामने भी ऐसा ही एक सवाल है.

क्या करेंगे जगन मोहन और केसीआर रेड्डी?

आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी और के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति को अब यह तय करना होगा कि वे एनडीए का समर्थन करें या इंडिया के उम्मीदवार का. हालांकि, वाईएसआरसीपी ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने की बात कही है.

क्या है सियासी समीकरण?

लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों की संख्या के नजरिए से देखें तो उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है. उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है. वर्तमान निर्वाचक मंडल में रिक्तियों को छोड़कर कुल 782 सदस्य हैं. इसका मतलब है कि जीतने वाले पक्ष के पास कम से कम 392 वोट होने चाहिए.

संख्या बल एनडीए के पक्ष में

एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 133 सीटें हैं. संख्याओं के आधार पर, भाजपा आसानी से सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद पर बिठा देगी. अगर एनडीए के कुछ सदस्य बगावत करके विपक्ष के उम्मीदवार को वोट देते हैं, तभी स्थिति बदल सकती है. इस समय, ऐसा कोई बदलाव असंभव लगता है.

विपक्ष इस फैसले से नहीं पड़ेगा फर्क

ऐसे में आंध्र निवासी रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को प्रत्याशी बनाना विपक्ष दलों द्वारा राजनीति को सिर्फ दिखावटी खेल है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भाजपा को आसानी से जीत न मिल जाए. चाहे चुनाव कितना भी पक्षपातपूर्ण क्यों न हो, विपक्ष को ऐसे समय में अपनी एकता दिखाने का मौका देगा. जब वह कथित चुनावी अनियमितताओं के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस को उम्मीदवार बनाने के पीछे विपक्ष का मकसद एक और संदेश देना है. शीर्ष पद के लिए एक गैर-राजनीतिक उम्मीदवार चुनकर वो भारतीय जनता पार्टी को 9 सितंबर के चुनाव को एक वैचारिक जंग में में तब्दील करने की है.

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