'मत बनो कांग्रेस का वोट बैंक', आखिर किरेन रिजिजू क्यों दे रहे हैं मुसलमानों को चेतावनी?
Kiren Rijiju Attack on Congress: बीजेपी नेता किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर कई मुद्दों को लेकर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि इतने सालों से कांग्रेस ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है. उन्होंने ये भी दावा किया कि हकदार होने के बाद कांग्रेस ने डॉ. बीआर अंबेडकर को कभी भारत रत्न से नहीं नवाजा.;
Kiren Rijiju Attack on Congress: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह मुसलमानों को महज वोट बैंक समझती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुसलमानों को मेरी चेतावनी है कि कांग्रेस का वोट बैंक न बनें! हिंदुओं और अन्य लोगों को भी मेरी चेतावनी है कि कांग्रेस पार्टी की फूट डालो और राज करो की नीतियों का शिकार न बनें.
न्यूज एजेंसी IANS से बात करते हुए किरेन रिजिजू ने कांग्रेस पर यह झूठा दावा करके जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस हमारे काम को देखकर डर गई है. इसलिए वे (कांग्रेस नेता) बाबा साहब का नाम लेकर और संविधान बदलने जैसी झूठी बातें कहकर लोगों को गुमराह करते हैं.
'अमेरिका में राष्ट्रविरोधी ताकतों से हाथ मिलाते हैं राहुल गांधी'
किरेन रिजिजू ने कहा, 'आज राहुल गांधी जैसे लोग, जो संविधान में विश्वास नहीं करते हैं, भारत विरोधी लोगों के जाल में फंस गए हैं और ऐसी बातें कहते हैं जो भारत को नुकसान पहुंचाती हैं.' केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'राहुल गांधी को विपक्ष के नेता के तौर पर बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन्होंने खुद को राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ जोड़ लिया. वह अमेरिका जाते हैं और भारत का अपमान करने वालों के साथ मिलते-जुलते हैं, उनके साथ चाय पीते हैं और हमारे देश को बदनाम करने की साजिश करते हैं.'
बीआर अंबेडकर के अपमान का भी लगाया आरोप
केंद्रीय मंत्री ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि डॉ. बीआर अंबेडकर के योगदान को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया जाए, यही वजह है कि उन्होंने उन्हें भारत रत्न नहीं दिया. उन्होंने कहा, "यह देखना निराशाजनक है कि कांग्रेस के सदस्य, जिन्होंने कभी बाबा साहब और संविधान का अपमान किया था, अब पाखंडी तरीके से संविधान को अपने हाथों में थामे हुए हैं।"
किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस ने अंबेडकर को संसद में प्रवेश करने से रोकने के लिए कदम उठाए और कानून मंत्री के रूप में उनके इस्तीफे के बाद भी उनका अपमान करना जारी रखा, जिसके कारण स्वतंत्र भारत में प्रतिकूल राजनीतिक माहौल के कारण 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया.