जहां चार यार मिल जाएं! रूस में डोभाल, चीन जा रहे मोदी; लूला का फोन करने से इनकार - उल्टा तो नहीं पड़ गया ट्रंप को टैरिफ का दांव?
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत, रूस और ब्राजील पर टैरिफ बम गिराने से वैश्विक कूटनीति में हलचल मच गई है. भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस में हैं, जबकि पीएम मोदी जल्द ही चीन यात्रा पर जा रहे हैं, जिससे अमेरिका के खिलाफ संभावित रणनीतिक गठजोड़ के संकेत मिल रहे हैं. ट्रंप ने भारत पर 50% शुल्क लगाया और रूस से व्यापार करने पर 100% तक द्वितीयक प्रतिबंध की चेतावनी दी है. इन दबावों के चलते भारत, रूस और चीन एक बार फिर पुराने 'RIC' मंच पर संगठित हो सकते हैं.;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है. खासकर भारत पर डाले गए आर्थिक दबाव और रूस से तेल खरीद को लेकर अमेरिका के तीखे रुख के बाद अब भारत की रणनीतिक दिशा पर सवाल उठ रहे हैं. अगस्त का महीना कूटनीतिक गतिविधियों से भर गया है- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल रूस में हैं, वहीं अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी वहां पहुंचे हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी जल्द रूस की यात्रा पर जा सकते हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने चीन जाएंगे-सात साल में पहली बार...
क्या भारत अपनी रणनीतिक धुरी बदल रहा है?
ट्रंप द्वारा भारत पर दोगुना टैरिफ (50%) थोपने के बाद अब यह संकेत मिल रहे हैं कि भारत रूस और चीन के साथ संबंध और गहरा करने की तैयारी में है. ब्राज़ील भी इस दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है. ये सभी देश ट्रंप की व्यापारिक आक्रामकता से असहज हैं, और अब एकजुट हो सकते हैं.
बुधवार को ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से तेल खरीदकर 'वॉर मशीन' को फंड कर रहा है. इसके बाद उन्होंने सेकेंडरी सैंक्शन (द्वितीयक प्रतिबंध) की भी चेतावनी दी. ट्रंप की रणनीति दोतरफा है - रूस पर दबाव डालकर यूक्रेन युद्ध थमाना और भारत को विवादित व्यापार समझौते के लिए मजबूर करना... लेकिन यह दांव अमेरिका और भारत के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसे अमेरिका ने लंबे समय से इंडो-पैसिफिक में चीन के खिलाफ एक रणनीतिक साझेदार के तौर पर देखा है.
डोभाल और जयशंकर की रूस यात्रा
टैरिफ में भारी बढ़ोतरी के उसी दिन अजित डोभाल मास्को पहुंचे. सूत्रों के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका का दबाव और पीएम पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा डोभाल के एजेंडे में हैं. इसी दौरान अमेरिकी दूत विटकॉफ ने भी पुतिन से मुलाकात की. माना जा रहा है कि यह ट्रंप द्वारा निर्धारित 8 अगस्त की युद्धविराम डेडलाइन से पहले की अंतिम कोशिश थी. अभी यह साफ नहीं है कि डोभाल और विटकॉफ के बीच कोई बातचीत हुई या नहीं, लेकिन माना जा रहा है कि एस. जयशंकर की आगामी रूस यात्रा में इस मसले पर और स्पष्टता आएगी.
8 अगस्त पर टिकी दुनिया की नजर
ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर रूस ने 8 अगस्त तक युद्ध नहीं रोका, तो 100% सेकेंडरी टैरिफ लगाए जाएंगे, यानी रूस से व्यापार करने वाले देशों पर अतिरिक्त शुल्क. इससे भारत जैसे देशों के लिए अमेरिकी निर्यात पर कुल टैरिफ 150% तक पहुंच सकता है.
पीएम मोदी की चीन यात्रा और SCO समिट
ऐसे समय में पीएम मोदी की चीन यात्रा और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में उनकी भागीदारी बहुत अहम मानी जा रही है. भारत और चीन दोनों रूस के सबसे बड़े तेल खरीदार हैं और ट्रंप की धमकियों के बावजूद पीछे नहीं हटे हैं. दोनों देशों ने एक जैसी भाषा बोली यानी राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा को सर्वोपरि बताया.
भारत ने अमेरिका पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है- खुद रूस से यूरिनियम और फर्टिलाइज़र खरीदना और दूसरों को रोकना. चीन ने भी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की आलोचना की थी.
ब्राजील का ट्रंप को झटका
ब्राजील ने भी अमेरिका के दबाव को नकारते हुए कहा कि वह ट्रंप से बात नहीं करेगा. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने कहा, “मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा, वह बात नहीं करना चाहते. मैं मोदी और शी जिनपिंग को कॉल करूंगा. हम WTO समेत सभी मंचों पर अपने हितों की रक्षा करेंगे.” इससे पहले रूस के विदेश मंत्री ने रूस-भारत-चीन ट्रॉयका को पुनर्जीवित करने की बात की थी. अब लगता है, वह समय आ गया है. यह कहानी सिर्फ व्यापार या कूटनीति की नहीं है, बल्कि यह नए वैश्विक ध्रुवीकरण की शुरुआत हो सकती है.