I-STAR Aircraft: चीन-पाक की चालबाजियों पर होगा सीधा वार, आसमान में भारत के इस जासूस की नजरों से कुछ नहीं छिपेगा

भारतीय वायुसेना जल्द ही अत्याधुनिक I-STAR विमान से लैस होगी, जो आसमान से दुश्मन की हर गतिविधि की निगरानी, टारगेटिंग और रियल टाइम डेटा शेयरिंग में सक्षम है. यह 10,000 करोड़ की परियोजना चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों पर सटीक स्ट्राइक की भारत की क्षमता को बढ़ाएगी. हाई-एल्टीट्यूड सर्विलांस, AI-सक्षम सिस्टम और 24x7 ऑपरेशन क्षमता वाला यह विमान भारत को डिजिटल युद्ध में आत्मनिर्भर बनाएगा और स्ट्रैटजिक बढ़त दिलाएगा.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
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भारतीय वायुसेना जल्द ही अत्याधुनिक I-STAR (Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance) विमान से लैस होने जा रही है. रक्षा मंत्रालय इस 10,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना को जून महीने में मंजूरी दे सकता है. यह विमान भारत की सैन्य शक्ति को न केवल तकनीकी बढ़त देगा, बल्कि पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधियों के खिलाफ रणनीतिक बढ़त भी सुनिश्चित करेगा.

I-STAR यानी Intelligence, Surveillance, Target Acquisition and Reconnaissance विमान आधुनिक युद्ध के सबसे ख़ुफिया और रणनीतिक हथियारों में से एक है. यह कोई आम एयरक्राफ्ट नहीं, बल्कि आसमान में उड़ता "कमांड सेंटर" है जो दुश्मन की हर हलचल, उसकी कमजोरियां, मिसाइल या रडार सिस्टम, मोबाइल एयर डिफेंस यूनिट्स और कम्युनिकेशन हब्स तक की सटीक जानकारी जुटा सकता है - वो भी कई सौ किलोमीटर दूर से.

क्या है I-STAR विमान और क्यों है ये खास?

I-STAR एक मल्टी-रोल हाई-एल्टीट्यूड एयरक्राफ्ट है, जो आसमान से दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी रखने के साथ-साथ उसकी लोकेशन, मूवमेंट और रणनीतिक ठिकानों की जानकारी जुटाने में माहिर है. ये विमान किसी भी ऑपरेशन से पहले दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम, रडार, मोबाइल लॉन्चर और कमांड पोस्ट की लोकेशन सटीकता से बता सकता है, जिससे भारत की स्ट्राइक फोर्स दुश्मन को नेस्तनाबूद करने में चूक नहीं करेगी.

I-STAR की ताकत और खूबियां

  • हाई-एल्टीट्यूड सर्विलांस: यह विमान 50,000 फीट या उससे ज्यादा ऊंचाई पर उड़कर ज़मीन पर हो रही गतिविधियों पर नज़र रख सकता है, यानी दुश्मन को पता भी नहीं चलता और उसकी हर चाल रिकॉर्ड हो रही होती है.
  • स्टैंड-ऑफ स्ट्राइक पावर: I-STAR दुश्मन के अंदरूनी इलाकों के टारगेट्स (जैसे कमांड पोस्ट, एयरबेस, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, टैंक मूवमेंट) को चिन्हित करके भारतीय सेना को रियल टाइम लोकेशन देता है, जिससे मिसाइल या ड्रोन अटैक सटीक होता है.
  • सैटेलाइट + रडार + AI का कॉम्बो: इसमें SAR (Synthetic Aperture Radar), EO/IR सेंसर, और SIGINT सिस्टम होता है जो आवाज़, रेडियो सिग्नल, इंफ्रारेड और मूवमेंट को ट्रैक कर सकता है - वो भी हर मौसम और रात के अंधेरे में भी.
  • 24x7 ऑपरेशन कैपेबिलिटी: यह विमान लंबे समय तक हवा में रह सकता है, यानी दिन-रात निगरानी संभव है, जिससे दुश्मन की कोई भी तैयारी या मूवमेंट छिपी नहीं रह सकती.

किन देशों के पास है ये ताकत?

अमेरिका: JSTARS (E-8C), RC-135 Rivet Joint जैसे विमान decades से I-STAR की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इज़राइल: अपने 'Nachshon Eitam' और 'Shavit' एयरक्राफ्ट्स के जरिए यह तकनीक उपयोग में लाता है।

ब्रिटेन और फ्रांस: Gulfstream और Bombardier प्लेटफॉर्म्स पर आधारित I-STAR क्षमता वाले विमानों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

I-STAR क्यों है भारत के लिए गेम चेंजर?

  • पाकिस्तान की सीमा के अंदर मारक निगरानी - ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सर्जिकल स्ट्राइक्स में यह विमान दुश्मन के सटीक ठिकानों को पहले ही ट्रैक कर सकता है, जिससे भारतीय वायुसेना को कम समय में ज्यादा नुकसान पहुंचाने की क्षमता मिलेगी.
  • चीन के साथ हाई-एल्टीट्यूड सीमा पर बढ़त - गलवान जैसी घटनाओं के दोहराव की स्थिति में यह विमान पूरे लद्दाख सेक्टर में दुश्मन की मूवमेंट और तैनाती को ट्रैक कर सकता है, वह भी बिना सीमा लांघे.
  • आतंकवादियों के लॉन्चपैड पर निगरानी - LoC के पास बने आतंकी ठिकानों पर 24x7 निगरानी रखकर भारत संभावित हमलों को पहले ही रोक सकेगा.
  • डिजिटल युद्ध की नींव - I-STAR का डेटा ड्रोन स्ट्राइक, मिसाइल गाइडेंस, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और सैटेलाइट नेटवर्क्स से जोड़ा जा सकता है, यानी भारत अपनी युद्ध रणनीति को ‘AI Powered’ और ‘Digitally Smart’ बना सकता है.

भारत में कितनी बड़ी डील?

सरकार लगभग 10,000 करोड़ रुपये की परियोजना को जल्द मंजूरी देने वाली है. शुरुआती चरण में 2-3 ऐसे विमान खरीदे जा सकते हैं, जिन्हें Gulfstream G550 या Bombardier Global 6000 जैसे जेट्स पर आधारित किया जा सकता है. इसके लिए DRDO भी विदेशी पार्टनर्स के साथ मिलकर स्वदेशी समाधान तैयार कर सकता है.

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि I-STAR विमान का आगमन भारत को ‘स्ट्रैटजिक ऑटोनॉमी’ देगा. यानी अमेरिका की तरह भारत भी अब ‘ड्रोन से देखें, मिसाइल से मारें’ वाली रणनीति को पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर अपनाएगा. I-STAR के आने के बाद भारतीय वायुसेना न सिर्फ और ज्यादा घातक, बल्कि कहीं ज्यादा स्मार्ट भी हो जाएगी. इसकी वजह से भारत को दुश्मन की रणनीति पर पहले ही नज़र रखने, उसे रोकने और जवाबी हमला करने की क्षमता मिलेगी. खासकर चीन-पाकिस्तान के संयुक्त खतरे की सूरत में यह विमान निर्णायक मोहरा साबित हो सकता है.

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