लाल किला ब्लास्ट का मास्टरमाइंड निकला 'साइको डॉक्टर', बहन शाहीन ने किया ब्रेनवॉश; नेटवर्क बढ़ाने के लिए लेता था कम फीस

सहारनपुर में रहने वाले डॉ. परवेज के पड़ोसी आज भी हैरान हैं. उनके मुताबिक परवेज बहुत शांत और अकेला रहने वाला इंसान था. वह मरीजों के अलावा किसी से ज्यादा बात नहीं करता था. ज्यादातर समय फोन पर लगा रहता था.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 20 Nov 2025 10:36 AM IST

दिल्ली के मशहूर लाल किले के बाहर 8 सितंबर 2025 को जो जोरदार धमाका हुआ, उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस आत्मघाती हमले में 15 मासूम लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए. अब धीरे-धीरे इस भयानक वारदात की गुत्थी सुलझ रही है. जांच एजेंसियों को जो जानकारी मिली है, वह चौंकाने वाली है. इस पूरी साजिश के तार जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए हैं. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें शामिल ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे डॉक्टर हैं, जो बाहर से बिल्कुल आम इंसान लगते थे. 

जम्मू-कश्मीर से आए कुछ डॉक्टर हरियाणा की एक यूनिवर्सिटी को अपना ठिकाना बनाकर रह रहे थे. वहीं उत्तर प्रदेश के कुछ और आतंकियों ने इन डॉक्टरों की मदद से दिल्ली में आत्मघाती हमला करने की पूरी योजना तैयार की, इन लोगों ने मिलकर एक खतरनाक मॉड्यूल तैयार किया था. जांच में पता चला कि इस नेटवर्क के तार सहारनपुर से भी जुड़े हुए थे. सहारनपुर में भी ये लोग चुपचाप एक आतंकी अड्डा बना रहे थे. इस पूरे मॉड्यूल में सबसे अहम किरदार था डॉक्टर परवेज अंसारी का. वह मशहूर आतंकी शाहीन का सगा भाई है. डॉ. परवेज कई साल तक सहारनपुर में रहा और वहां अपनी मेडिकल प्रैक्टिस चलाता था. लोग उसे “साइको डॉक्टर” के नाम से जानते थे. 

पड़ोसियों को भी यकीन हुआ नहीं 

सहारनपुर में रहने वाले डॉ. परवेज के पड़ोसी आज भी हैरान हैं. उनके मुताबिक परवेज बहुत शांत और अकेला रहने वाला इंसान था. वह मरीजों के अलावा किसी से ज्यादा बात नहीं करता था. ज्यादातर समय फोन पर लगा रहता था. घर से क्लिनिक तक पैदल ही आता-जाता था.  उसकी क्लिनिक पर हमेशा बहुत भीड़ रहती थी, क्योंकि वह दूसरे डॉक्टरों की तुलना में बहुत कम फीस लेता था. वह MD की डिग्री वाला क्वालिफाइड डॉक्टर था, फिर भी गरीब मरीजों से बहुत कम पैसे लेता था. उस समय किसी को नहीं पता था कि कम फीस लेने के पीछे उसकी असली मंशा क्या थी. शायद इसी बहाने वह लोगों से संपर्क बना रहा था और अपने नेटवर्क को बढ़ा रहा था. पहले वह साफ-सुथरा और क्लीन शेव रखता था, लेकिन बाद की तस्वीरों में उसकी लंबी दाढ़ी और टोपी दिखाई देती है. पड़ोसी बताते हैं कि जब तक वह सहारनपुर में रहा, वह हमेशा खुद में खोया-खोया सा रहता था. उसे आतंकी बनाने की खबर सुनकर सभी हैरान हैं. 

बड़ी बहन शाहीन ने किया ब्रेनवॉश

डॉक्टर परवेज पढ़ाई में बहुत होशियार था. उसने अपनी बड़ी बहन शाहीन को देखकर ही डॉक्टर बनने का फैसला किया था. पहले वह सहारनपुर में प्रैक्टिस करता रहा, लेकिन बाद में लखनऊ चला गया. सूत्रों के मुताबिक लखनऊ जाने के बाद उसकी बहन शाहीन ने ही उसका ब्रेनवॉश किया और उसे आतंकी संगठन में शामिल कर लिया. इसके बाद उसने दाढ़ी रखनी शुरू कर दी और टोपी पहनने लगा. यानी बाहर से वह धार्मिक दिखने लगा, जबकि अंदर से खतरनाक आतंकी बन चुका था. 

भागने का पुराना शौक

डॉक्टर परवेज को अंडरग्राउंड होने (गायब होने) में महारत हासिल है. कई साल पहले सहारनपुर में उसकी पत्नी से झगड़ा हुआ था. बात पुलिस तक पहुंच गई. इसके बाद वह रातों-रात अपना क्लिनिक बंद करके गायब हो गया था. उसने कई शादियां भी की थीं, लेकिन किसी पत्नी के साथ उसका रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला. इस बार भी जब दिल्ली ब्लास्ट का भांडाफोड़ हुआ और उसकी बहन शाहीन को पकड़ लिया गया, तो परवेज ने लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया और फिर भागने की तैयारी करने लगा. लेकिन इस बार वह बच नहीं सका और एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया.

सहारनपुर में तैयार किया आतंकी अड्डा

जांच में जो बातें सामने आई हैं, उनसे साफ पता चलता है कि डॉक्टर परवेज की इस पूरी साजिश में बहुत बड़ी भूमिका थी. जब वह सहारनपुर में क्लिनिक चला रहा था, तभी से उसने अपना गुप्त आतंकी नेटवर्क तैयार करना शुरू कर दिया था. उसने सहारनपुर रजिस्टर्ड एक कार खरीदी और जम्मू-कश्मीर से आए डॉक्टर अदिल को सहारनपुर में बसने और पैर जमाने में पूरी मदद की. जब एजेंसियों ने उसके घर पर छापा मारा तो वहां से कई अहम चीजें बरामद हुईं:सहारनपुर RTO में रजिस्टर्ड कार, लैपटॉप, तीन कीपैड वाले मोबाइल फोन, एक हार्ड डिस्क, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और इन सभी चीजों की फॉरेंसिक जांच चल रही है. उम्मीद है कि इससे और भी कई राज खुलेंगे. 

आतंकवादी कोई खास पहचान नहीं 

यह पूरा मामला इसलिए भी डरावना है क्योंकि इसमें शामिल लोग बाहर से बिल्कुल आम और पढ़े-लिखे लगते थे. डॉक्टर, यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर और सर्जन जैसे लोग ही आतंक का खेल खेल रहे थे. इनके चेहरे पर नफरत नहीं, सफेद कोट और स्टेथोस्कोप था. ये लोग इलाज करने के बजाय लोगों की जान लेने की साजिश रच रहे थे. यह घटना हमें यही सिखाती है कि आतंकवादियों की कोई एक शक्ल नहीं होती. वे हमारे बीच ही रहते हैं, हमारे डॉक्टर, पड़ोसी या टीचर बनकर इसलिए सतर्क रहना बहुत जरूरी है. 

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