MiG-21 हुए कल की बात, अब Tejas Mk-1A करेगा दुश्मन पर घात! पाक और चीन के पसीने छूटना तय
भारतीय वायुसेना सितंबर 2025 तक MiG-21 विमानों को रिटायर कर रही है और उनकी जगह Tejas Mk-1A लेगा. यह 4.5 जेनरेशन, मल्टी-रोल, ऑल-वेदर लड़ाकू विमान HAL द्वारा विकसित किया गया है. इसमें AESA राडार, EW Suite, BVR मिसाइल्स और डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर कंट्रोल है. तेजस Mk-1A में 9 हार्डपॉइंट्स हैं और यह एयर डिफेंस, ग्राउंड अटैक और मैरीटाइम ऑपरेशन कर सकता है. Mk-1A भारतीय वायुसेना की ताकत और आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा.;
62 वर्षों की सेवा के बाद भारत अपनी MiG-21 लड़ाकू विमानों से विदाई ले रहा है. इन विमानों की जगह अब भारतीय वायुसेना (IAF) में Tejas Light Combat Aircraft (LCA) Mk-1A आएंगे. वर्तमान में केवल दो MiG-21 स्क्वाड्रन - 36 विमान - राजस्थान के नाल एयर बेस में तैनात हैं.
MiG-21 ने 1965 के भारत-पाक युद्ध, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट हवाई हमलों में अपनी भूमिका निभाई. हालांकि, यह विमान “विडो-मेकर्स” के रूप में कुख्यात रहा है, क्योंकि इसके 60 वर्षों में लगभग 500 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, जिससे 170 पायलटों की मौत हुई. अब भारतीय तकनीक से विकसित Tejas Mk-1A इस पुराने विमान की जगह लेंगे और भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे.
फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 83 Tejas Mk-1A जेट्स के लिए 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया. इसके अलावा 97 और विमानों की खरीद पर सरकार ने मुहर लगा दी है जिस पर करीब 67,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. हालांकि एचएएल की तरफ से विमानों में डिलिवरी हो रही है जिसकी मुख्य वजह अमेरिका से इंजनों की आपूर्ति बाधित होना है. अगस्त 2021 में HAL ने अमेरिकी कंपनी GE Aerospace से 99 F404 इंजन के लिए 5,375 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया. पहली डिलीवरी अप्रैल 2022 में हुई, जिसमें एक साल की देरी हुई. अमेरिकी कंपनी अभी तक इंजन की डिलीवरी में दो साल पीछे है. इंजन को विमान में इंटीग्रेट करने में लगभग एक महीना लगता है. पहले फ्यूसलेज तैयार होता है, फिर लॉबिंग, पाइपिंग और लैंडिंग गियर को जोड़ा जाता है. इसके बाद ग्राउंड रन और हाई-स्पीड टेस्ट किए जाते हैं.
MiG-21 का युग समाप्त
MiG-21 पहला बार 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. यह सिंगल-इंजन, सिंगल-सीटर मल्टी-रोल फाइटर/ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट था. सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो (OKB) द्वारा डिज़ाइन किए गए इस विमान ने दशकों तक वायु सेना को मजबूती दी. MiG-21 को कई युद्धों में तैनात किया गया और यह भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी साबित हुआ.
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हालांकि, वर्षों के दौरान इसके दुर्घटनाओं की वजह से इसे “फ्लाइंग कॉफिन” या “विडो-मेकर्स” के रूप में जाना गया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 60 वर्षों में लगभग 500 MiG-21 क्रैश हुए, जिनमें 170 पायलटों की जान गई. 2010 के बाद से 20 से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं. अब भारतीय वायुसेना सितंबर 2025 तक अपने सभी MiG-21 विमानों को सेवानिवृत्त कर रही है.
Tejas Mk-1A: भारतीय तकनीक का गर्व
Tejas Light Combat Aircraft Mk-1A 4.5 जेनरेशन, ऑल-वेदर और मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है. इसे हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने विकसित किया है और यह उच्च खतरे वाले हवाई क्षेत्रों में तैनाती के लिए डिज़ाइन किया गया है. Mk-1A में Mk-1 की तुलना में कई उन्नयन किए गए हैं.
मुख्य तकनीकी विशेषताएं
- Israel EL/M-2025 AESA Radar: अत्याधुनिक राडार प्रणाली
- Advanced Electronic Warfare Suite: जैमर सहित सुरक्षा और युद्धक क्षमताएं
- Beyond Visual Range (BVR) मिसाइलें: लंबी दूरी की एयर-टू-एयर स्ट्राइक क्षमता
- डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर कंट्रोल कंप्यूटर: पारंपरिक मैकेनिकल कंट्रोल की जगह इलेक्ट्रॉनिक इंटरफेस
- 9 हार्डपॉइंट्स: विभिन्न प्रकार के हथियार जैसे Derpy मिसाइल और इंडिजेनस ASTRA मिसाइल
- सिंगल और ट्विन-सीटर वेरिएंट्स: एयर फोर्स और नेवी के लिए
- लाइटवेट कम्पोजिट बॉडी: उच्च गति और लंबे मिशन रेंज
- अत्याधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम: समन्वित ऑपरेशन के लिए
Tejas Mk-1A का उपयोग एयर डिफेंस, मैरीटाइम रिकॉन्सेंस और स्ट्राइक मिशन में किया जा सकता है. HAL ने कहा कि Mk-1A में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक राडार, वॉरफेयर और कम्युनिकेशन सिस्टम, अतिरिक्त लड़ाकू क्षमता और बेहतर रखरखाव की सुविधाएं हैं.
Mk-1 vs Mk-2: तुलना
Tejas Mk-1:
- सिंगल-इंजन, Mach 1.6 की गति, 50,000 फीट की ऊंचाई
- 1,700 किमी रेंज, डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर और कंपोजिट बॉडी
- 8 हार्डपॉइंट्स, R-73 और ASRAAM मिसाइलें
- ग्राउंड अटैक और इंटरसेप्शन मिशन में सक्षम
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Tejas Mk-2
- पहली उड़ान 2027 तक की तैयारी
- उन्नत हथियार प्रणाली और लंबी दूरी की फायर पावर
- भारतीय स्वदेशी तकनीक में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
IAF के लिए कितना जरूरी
भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन संख्या आधिकारिक 42 की बजाय केवल 31 रह गई है. Tejas Mk-1A के आगमन से IAF की लड़ाकू क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. यह विमान MiG-21 का स्थान ले रहा है, जो 62 वर्षों तक देश की हवाई सुरक्षा की रीढ़ रहा.
Tejas Mk-1A भारतीय स्वदेशी तकनीक और HAL की क्षमता का प्रतीक है. यह विमान न केवल तेज और लचीला है, बल्कि इसमें आधुनिक हथियार, डिजिटल कंट्रोल सिस्टम और बहु-भूमिका क्षमताएं हैं. Mk-1A के आने से भारतीय वायुसेना का आत्मनिर्भरता और तकनीकी शक्ति दोनों मजबूत होंगी.