रक्षा क्षेत्र में क्रांति! अब भारत में ही बनेगा 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट इंजन, जानिए किस देश के साथ हुई साझेदारी
भारत ने रक्षा क्षेत्र में इतिहास रचने की ओर कदम बढ़ा दिया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि भारत अब फ्रांस की कंपनी साफरान के साथ मिलकर 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का इंजन देश में ही बनाएगा. यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ी छलांग है. तेजस से लेकर डिफेंस एक्सपोर्ट तक, भारत की ताकत अब तेजी से बढ़ रही है.

दुनिया में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को लेकर लगातार कम्पीटशन बढ़ रहा है. अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों के पास ये क्षमता पहले से मौजूद है और अब भारत भी इस रेस में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसी क्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा ऐलान करते हुए साफ कर दिया कि भारत अब स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने के साथ-साथ उसका इंजन भी अपने ही देश में तैयार करेगा.
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत फ्रांस की डिफेंस कंपनी साफरान (Safran) के साथ मिलकर 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट का इंजन बनाएगा. उन्होंने कहा कि अब भारत केवल लड़ाकू विमान डिजाइन और उत्पादन ही नहीं करेगा, बल्कि इंजन जैसी सबसे जटिल तकनीक पर भी काम करेगा. यह भारत की एयरोस्पेस इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है.
डिफेंस एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल
रक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि साल 2013-14 की तुलना में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट लगभग 35 गुना बढ़ चुका है. जहां उस समय एक्सपोर्ट 686 करोड़ रुपये था, वहीं अब यह 2024-25 में बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. यह उपलब्धि भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में हो रही प्रगति को दर्शाती है.
रक्षा बजट में रिकॉर्ड इजाफा
पिछले एक दशक में भारत का डिफेंस बजट भी तीन गुना तक बढ़ा है. साल 2013-14 में यह बजट 2.53 लाख करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 6.21 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है. आने वाले समय में ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों की वजह से यह खर्च और भी बढ़ने वाला है.
तेजस बना आत्मनिर्भरता का प्रतीक
राजनाथ सिंह ने तेजस विमान का उदाहरण देते हुए कहा कि HAL ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है. सरकार ने हाल ही में HAL को 97 तेजस विमान बनाने का ऑर्डर दिया है, जिसकी लागत करीब 66,000 करोड़ रुपये है. इससे पहले भी 48,000 करोड़ रुपये के 83 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया गया था. तेजस अब भारत की स्वदेशी क्षमता का गर्व बन चुका है.
समस्याएं भी, लेकिन इरादा मजबूत
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस सफर में चुनौतियां रही हैं. इंजन तकनीक जैसी जटिलताओं को हल करना आसान नहीं है, लेकिन भारत ने यह ठान लिया है कि वह हर बाधा को पार करके अपनी रक्षा क्षमता को स्वदेशी बनाएगा. यही कारण है कि HAL, DRDO और निजी क्षेत्र को बराबर बढ़ावा दिया जा रहा है.
निजी क्षेत्र को बड़ा मौका
राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि सरकार रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों के लिए बड़े अवसर खोल रही है. रणनीतिक साझेदारी मॉडल के जरिए अब लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक और पनडुब्बियों जैसे प्रोजेक्ट्स में निजी सेक्टर की भागीदारी बढ़ेगी. यह भारत को वैश्विक स्तर पर एक बड़ा खिलाड़ी बनाने में अहम साबित होगा.
दुनिया की कंपनियों को न्योता
रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ भारतीय कंपनियों तक सीमित नहीं है. उन्होंने वैश्विक दिग्गज डिफेंस कंपनियों को भी भारत में निवेश और सह-उत्पादन के लिए आमंत्रित किया. DRDO द्वारा मुफ्त ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी की सुविधा देकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि भारत में रक्षा उत्पादन के लिए माहौल तैयार है.