अब थर- थर कांपेंगे दुश्मन देश! तुर्की ड्रोन और चीनी फाइटर जेट का काल बना 'आकाश प्राइम', सेना ने किया सफल ट्रायल
भारतीय सेना ने देश की वायु रक्षा क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए स्वदेशी आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम का लद्दाख में सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर किया गया, जहां वायुमंडलीय दबाव कम होता है और तकनीकी चुनौती अधिक होती है। यह सफलता भारत के रक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा मील का पत्थर मानी जा रही है.

भारतीय सेना ने देश की वायु रक्षा क्षमताओं को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाते हुए स्वदेशी आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम का लद्दाख में सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर किया गया, जहां वायुमंडलीय दबाव कम होता है और तकनीकी चुनौती अधिक होती है। यह सफलता भारत के रक्षा तंत्र के लिए एक बड़ा मील का पत्थर मानी जा रही है.
आकाश प्राइम, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पहले ही अपनी ताकत दिखा चुका है, अब भारतीय सेना की तीसरी और चौथी आकाश रेजिमेंट का हिस्सा बनने जा रहा है. यह मिसाइल सिस्टम पाकिस्तान की वायुसेना द्वारा भेजे गए चीनी जेट्स और तुर्की ड्रोन्स को नाकाम करने में सक्षम साबित हुआ है.
15,000 फीट की ऊंचाई पर दो सटीक निशाने
भारतीय सेना की एयर डिफेंस यूनिट और DRDO के अधिकारियों ने मिलकर यह परीक्षण किया. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, आकाश प्राइम ने दो तेज गति से उड़ने वाले लक्ष्य विमानों पर सटीक निशाना साधा. यह परीक्षण दुर्बल वायुमंडलीय परिस्थितियों में किया गया, जो इसकी तकनीकी श्रेष्ठता का प्रमाण है.
ऑपरेशन सिंदूर में भी दिखा चुका है ताकत
आकाश प्राइम की क्षमताएं पहले ही सिद्ध हो चुकी हैं. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान द्वारा भेजे गए चीनी फाइटर जेट्स और तुर्की ड्रोन्स को प्रभावी ढंग से रोका था. यह प्रणाली तेज गति से आने वाले हवाई खतरों को पहचानने, ट्रैक करने और तबाह करने की क्षमता रखती है.
DRDO की नई पीढ़ी की तकनीक का नतीजा
आकाश प्राइम DRDO द्वारा विकसित किया गया है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का सटीक उदाहरण है. यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Surface to Air Missile System) है, जिसे विशेष रूप से उच्च ऊंचाई और विषम मौसम परिस्थितियों के लिए डिजाइन किया गया है. इस सफल परीक्षण के बाद आकाश प्राइम को भारतीय सेना की तीसरी और चौथी आकाश रेजिमेंट में शामिल किया जाएगा. इससे देश की सीमाओं पर हवाई सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत किया जा सकेगा.