' राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान खुद सभापति हैं', जगदीप धनखड़ पर फूटा खरगे का गुस्सा

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान खुद सभापति हैं. वे बीजेपी के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं. उनकी निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ताधारी पार्टी के प्रति है. वहीं, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उनके बयान पर पलटवार करते हुए विपक्ष की जमकर आलोचना की और कहा कि अगर आप कुर्सी का सम्मान नहीं कर सकते तो आपको सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 11 Dec 2024 9:09 PM IST

Parliament Winter Session: संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. आज राज्यसभा में जमकर हंगामा देखने को मिला. सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के एक दिन बाद INDIA गुट ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि उन्हें लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर होना पड़ा. विपक्ष ने सभापति द्वारा राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन के तरीके पर सवाल उठाए.

कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ पर 'अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता' की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान खुद सभापति हैं.



'सत्ताधारी पार्टी के प्रति है सभापति की निष्ठा'

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं, सभापति धनखड़ योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते. बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है. उनकी (राज्यसभा अध्यक्ष) निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ताधारी पार्टी के प्रति है. वे अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं, यह हम सभी को दिखाई देता है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान पैदा करने वाले खुद सभापति हैं.



खरगे ने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में यह पहली बार है कि सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, जो देश के उपराष्ट्रपति भी हैं. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है... 1952 से - उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है, क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष और राजनीति से परे रहे हैं. उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया, लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति है.

'सभापति ने देश की गरिमा को पहुंचाई ठेस'

खरगे ने कहा कि सदन में सभापति के व्यवहार ने देश की गरिमा को ठेस पहुंचाई है. उन्होंने संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि हमें अविश्वास प्रस्ताव के लिए यह नोटिस लाना पड़ा. हमारी उनसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या राजनीतिक लड़ाई नहीं है. हम देशवासियों को बताना चाहते हैं कि हमने लोकतंत्र, संविधान की रक्षा के लिए और बहुत सोच-समझकर यह कदम उठाया है. विपक्षी दलों के पास प्रस्ताव को पारित करवाने के लिए संख्या नहीं होने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए खड़गे ने कहा कि उनके नोटिस को स्वीकार किए जाने के बाद संख्या आ जाएगी.

'लोकतंत्र पर खुला हमला कर रही सत्ताधारी पार्टी'

डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य बेबुनियाद और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं और उन्हें बोलने दिया जाता है और संसदीय परंपराओं का सम्मान नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि संसद में सत्ताधारी पार्टी द्वारा इस देश के लोकतंत्र पर खुला हमला किया जा रहा है और उन्हें कुर्सी से सुरक्षा मिल रही है, यह बहुत दुखद बात है... हमने पहले भी देखा है कि जब भाजपा विपक्ष में थी और जब कांग्रेस भी विपक्ष में थी - जब भी विपक्ष के नेता बोलने के लिए खड़े होते हैं या तुरंत बोलने की पेशकश करते हैं, तो विपक्ष के नेता को बोलने का मौका दिया जाता है और कोई भी बीच में नहीं बोलता... देश में जो चल रहा है, हमें बोलने की अनुमति नहीं है, इसका मतलब है कि यह संसदीय लोकतंत्र और इस देश के लोकतंत्र पर आघात है.


आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों की बहाली के बारे में है. उन्होंने पूछा कि अगर आपने पिछले 2 दिनों की कार्यवाही देखी है - कुछ लोगों ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, जिसका हम सम्मान करते हैं - यह न केवल दुखद है बल्कि हमें यह भी लगता है कि अगर आने वाले दिनों में सत्ता परिवर्तन होता है, तो क्या हम लोकतंत्र की मरम्मत और बहाली कर पाएंगे?

किरेन रिजिजू ने की विपक्ष की आलोचना

इससे पहले दिन में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि अगर विपक्ष सभापति की गरिमा पर हमला करता है, तो हम उसकी रक्षा करेंगे. राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद किरेन रिजिजू ने कहा कि किसान का बेटा उपराष्ट्रपति बना है और पूरे देश ने देखा है कि उसने सदन की गरिमा को बनाए रखा है. उन्होंने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि अगर आप कुर्सी का सम्मान नहीं कर सकते तो आपको सदस्य होने का कोई अधिकार नहीं है. हमने देश की संप्रभुता की रक्षा करने की शपथ ली है...हम नोटिस के नाटक को सफल नहीं होने देंगे.


बता दें कि मंगलवार को इंडिया ब्लॉक ने उच्च सदन के महासचिव को अविश्वास प्रस्ताव सौंपा. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस पर 60 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं. राज्यसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित होने पर रमेश ने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए हमने कल अविश्वास प्रस्ताव पेश किया...आज संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यह किसानों का अपमान है, लेकिन कैसे? आप (बीजेपी) विपक्ष के नेता को बोलने नहीं देते. क्या यह दलितों का अपमान नहीं है? राज्यसभा के सभापति ने खुद कहा है कि मोदी सरकार किसानों की मांगों को नहीं सुन रही है...



'हम चर्चा के लिए तैयार हैं'

जयराम रमेश ने कहा कि सदन के सभापति से हमारी कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है...आज राज्यसभा के स्थगित होने में हमारी कोई भूमिका नहीं थी...सरकार नहीं चाहती थी कि सदन चले...मुझे उम्मीद है कि कल सदन चलेगा. उन्होंने कहा कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। कुछ बीजेपी सांसदों ने मुझसे कहा है कि वे इस प्रस्ताव को लाने के पीछे हमारी भावना को समझते हैं. गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी सदस्यों द्वारा अडानी मुद्दे, मणिपुर की स्थिति और संभल हिंसा पर चर्चा की मांग के कारण कई बार कार्यवाही स्थगित हुई है. सत्ता पक्ष कांग्रेस और जॉर्ज सोरोस के बीच कथित संबंधों पर चर्चा की मांग कर रहा है.

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