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जजों के खिलाफ कैसे लाया जाता है महाभियोग प्रस्ताव, इलाहाबाद HC के जज पर क्‍यों लटक रही तलवार?

Impeachment Motion Against HC Judge: संविधान के अनुच्छेद 124 (4) में कहा गया है कि महाभियोग प्रस्ताव को उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत और सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत का समर्थित होना जरूरी है, तभी इसे पास करके राष्ट्रपति के पास भेजा जा सकता है.

जजों के खिलाफ कैसे लाया जाता है महाभियोग प्रस्ताव, इलाहाबाद HC के जज पर क्‍यों लटक रही तलवार?
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Impeachment Motion Against HC Judge
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Updated on: 11 Dec 2024 7:00 PM IST

Impeachment Motion Against HC Judge: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में तो घमासान मचाया ही, जजों के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़े करते हुए विपक्ष राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है.

जस्टिस शेखर कुमार यादव ने VHP के कार्यक्रम में कहा था कि मुझे यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि हिंदुस्तान बहुसंख्यकों की इच्छा के हिसाब से चलेगा. बता दें कि अब तक हाई कोर्ट के जजों पर महाभियोग चलाने के चार प्रयास और सुप्रीम कोर्ट के जजों को हटाने के दो प्रयास हुए हैं, जिनमें से आखिरी प्रयास 2018 में तत्कालीन भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ किया गया था. हालांकि, इनमें से कोई भी प्रस्ताव पूरी प्रक्रिया में पारित नहीं हो सका.

जजों के महाभियोग प्रस्ताव के लिए कानून

महाभियोग प्रस्ताव की बात करें तो इसके लिए कानून भारत के संविधान के आर्टिकल 124 (4), (5), 217 और 218 और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 और संबंधित नियमों के प्रावधानों में है. ये प्रावधान दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज को हटाने की अनुमति देते हैं.

न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के किसी जज के खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही संसद के किसी भी सदन में शुरू की जा सकती है. इसके लिए जज को हटाने के प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर करना होता है. यदि ये लोकसभा में आ रहा हो , तो कम से कम सौ सदस्यों का हस्ताक्षर चाहिए. यदि राज्य सभा से आ रहा हो तो कम से कम पचास सदस्यों का हस्ताक्षर चाहिए.

जांच समिति का गठन

इसके बाद प्रस्ताव को अध्यक्ष या सभापति अगर स्वीकार करती है, तो अध्यक्ष/सभापति को न्यायाधीश को हटाने के आधार की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन करना होगा. जांच समिति में सुप्रीम कोर्ट का एक जज और एक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस होते हैं. हालांकि, यदि जज को हटाने के प्रस्ताव का नोटिस एक ही दिन संसद के दोनों सदनों में स्वीकार कर लिया जाता है तो यह समिति गठित नहीं होगी.

जांच रिपोर्ट को प्रजेंट करना

जांच रिपोर्ट को संसद के संबंधित सदन के समक्ष अध्यक्ष/सभापति की ओर से प्रस्तुत किया जाता है. यदि जांच रिपोर्ट में जज को दोषी पाया जाता है तो उन्हें हटाने के प्रस्ताव पर संसद के दोनों सदनों में मतदान कराया जाता है.

संविधान के अनुच्छेद 124(4) के मुताबिक, जज को हटाने के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रस्ताव का समर्थन किया जाना आवश्यक है. सदन की कुल सदस्यता का बहुमत, उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो तिहाई बहुमत से ये प्रस्ताव पास कराया जाता है.

राष्ट्रपति का आदेश

यदि प्रस्ताव को अनुच्छेद 124(4) के मुताबिक सफलता मिलती है तो प्रस्ताव भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखा जाता है. इस प्रस्ताव के बाद अगर राष्ट्रपति इसे लेकर आदेश पारित करते हैं हैं, तो किसी जज को हटाने का काम आगे बढ़ता है.

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