थिरुपरणकुंद्रम कार्तिगई दीपम विवाद में संघ प्रमुख के बयान पर सियासी बवाल, DMK नेता बोले - ‘मोहन भागवत...’

तमिलनाडु थिरुपरणकुंद्रमकार्तिगई दीपम विवाद में RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान ने सियासी बयानबाजी बढ़ा दी है. DMK ने कहा कि भागवत तमिलनाडु को नहीं समझते. उसके बाद से दोनों तरफ से इस विवाद को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. जानें पूरा मामला, अदालत स्थिति और पार्टियों के तर्क.;

( Image Source:  ANI )
Curated By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 12 Dec 2025 12:22 PM IST

तमिलनाडु के थिरुपरणकुंद्रम में कार्तिगई दीपम (Karthigai Deepam) को लेकर उठे विवाद में अब राजनीति तेज हो गया है. RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि यह विवाद पर फैसला हिंदुओं के पक्ष में जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि जरूरत पड़ने पर थिरुपरणकुंद्रमकार्तिगई दीपम विवाद में आरएसएस दखल दे सकता है.  जिससे एक बड़ी सियासी बहस छिड़ गई है. रूलिंग DMK पार्टी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि भागवत तमिलनाडु की संवेदनाओं और राजनीति को नहीं समझते, और इसे कांग्रेस-BJP की चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

संगठन के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार, 13 दिसंबर को यह बात कही. कार्तिगई दीपम विवाद मामले में उनका बयान उस समय सामने आया जब वज तिरुचिरापल्ली में एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. भागवत ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए हिंदुओं को एकजुट होने की ज़रूरत है और संघ अभी इसमें शामिल नहीं होगा क्योंकि यह मामला कोर्ट में है.

हिंदुओं का जागना ही नतीजे के लिए काफी

मोहन भागवत ने कहा, "तमिलनाडु में हिंदुओं का जागना ही मनचाहा नतीजा लाने के लिए काफी है." उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर काम कर रहे संगठनों से मिली जानकारी के आधार पर संघ तय करेगा कि उसके दखल की जरूरत है या नहीं.

तमिलनाडु में काम करने वाले हिंदू संगठन हमें बताएंगे कि क्या आरएसएस की भागीदारी की जरूरत है. अभी इसकी जरूरत नहीं है. इसे तमिलनाडु में हिंदुओं की ताकत के आधार पर सुलझाया जा सकता है. हमें इसे बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, पर एक बात पक्की है. यह मुद्दा हिंदुओं के पक्ष में सुलझेगा. इसके लिए जो भी करना होगा,हम करेंगे."

1000 भागवत भी कुछ नहीं कर सकते - अन्नादुरई

RSS प्रमुख के बयान के जवाब में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के प्रवक्ता एडवोकेट सरवनन अन्नादुरई ने कहा, "मोहन भागवत तमिलनाडु को नहीं समझते. यहां के लोगों के लिए धर्म एक निजी मामला है. 1000 भागवत भी तमिलनाडु को प्रभावित नहीं कर सकते. यहां द्रविड़वाद का राज है."

उन्होंने आगे कहा, "स्टालिन ने एक उदाहरण पेश किया है कि बीजेपी का सामना कैसे किया जाए और बीजेपी द्वारा फैलाए गए सांप्रदायिक जहर को कैसे खत्म किया जाए. वे तमिलनाडु के लोगों की भावनाओं को नहीं समझते."

हम उनके खिलाफ द्रविड़ विद्रोह करेंगे

सरवनन अन्नादुरई ने ये भी कहा, "एक सर्वे पत्थर पर आग जलाने के लिए हिंदू विद्रोह क्यों होना चाहिए? मंदिर ही सही अथॉरिटी है. उन्होंने रीति-रिवाज का पालन किया है और सही जगह पर दीपक जलाया है. कुछ शरारती तत्वों ने वहां हंगामा किया और उन्हें सरकार और पुलिस ने रोक दिया. हम उनके खिलाफ द्रविड़ विद्रोह करेंगे." इस मामले में कांग्रेस और अन्य संगठनों ने RSS के बयान को भड़काऊ और चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया है.

मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

दरअसल, मदुरै में तिरुपरनकुंड्रम पहाड़ी पर उस समय तनाव देखा गया जब हिंदुत्व संगठनों ने मांग की कि कार्तिगई दीपम की रस्म का दीपक उचिप्पिल्लैयार कोइल पर सामान्य जगह के बजाय पहाड़ी की दो चोटियों में से ऊंची चोटी पर, सिकंदर बादशाह दरगाह के पास जलाया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर राज्य सरकार और मद्रास हाई कोर्ट के बीच विवाद हो गया था.

इस मसले पर मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने हिंदू संगठनों को कार्तिगई दीपम जलाने की इजाजत देने वाली दक्षिणपंथी समूहों की याचिका मंजूर कर ली थी, लेकिन सरकार ने कानून-व्यवस्था की समस्या का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया था. 3 दिसंबर को, जिस दिन दीप जलाए जाने थे, हालात तनावपूर्ण हो गए और दक्षिणपंथी संगठनों की पुलिस से झड़प हो गई.

यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन (Sub-judice) है. तमिलनाडु सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है. इसलिए, कई पक्ष फिलहाल न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करने की बात कह रहे हैं.

Similar News