ये तो जैसे रिहाई का आदेश ही दे दिया.... सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता दर्शन को जमानत देने पर कर्नाटक हाईकोर्ट को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता दर्शन को रेनुकास्वामी मर्डर केस में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत को चुनौती देने वाली कर्नाटक सरकार की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के ज़मानत आदेश को 'न्यायिक शक्ति का विकृत प्रयोग' बताया और उसकी कड़ी आलोचना की. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश मानो आरोपियों को बरी करने जैसा है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ऐसा ही रवैया हाईकोर्ट हर ज़मानत याचिका में अपनाता है?;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 24 July 2025 3:57 PM IST

Supreme Court  slams Karnataka High Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें अभिनेता दर्शन को रेनुकास्वामी हत्याकांड में मिली जमानत को चुनौती दी गई थी. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के गंभीर सवालों और हाईकोर्ट की तीखी आलोचना का केंद्र बन गया है. न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को 'न्यायिक शक्ति का विकृत प्रयोग' बताया और कहा कि जिस भाषा में जमानत आदेश लिखा गया है, वह तो जैसे 'सातों आरोपियों को बरी कर देने जैसा' है.

सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए पूछा, "क्या हाईकोर्ट ऐसे ही हर जमानत याचिका पर आदेश देता है?" सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “हल्के फुल्के अंदाज़ में कहूं तो क्या हाईकोर्ट ने सभी सातों आरोपियों के लिए जैसे बाइज्ज़त बरी होने का आदेश ही टाइप करवा दिया?”

“हाईकोर्ट से ऐसी उम्मीद नहीं थी”

सुप्रीम कोर्ट इस बात से भी हैरान था कि 302 जैसे गंभीर आरोप में गिरफ्तारी के कारण नहीं बताने को आधार बनाकर दर्शन को ज़मानत दे दी गई. शीर्ष अदालत ने कहा, “हम समझ सकते हैं कि ऐसा गलती से कोई सेशन कोर्ट कर दे, लेकिन हाईकोर्ट से ऐसी उम्मीद नहीं थी!”

"इस केस को ही रोज़ाना सुनवाई की ज़रूरत क्यों"

इस बीच कर्नाटक सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ट्रायल कोर्ट ने इस केस की सुनवाई छह महीनों में पूरी करने का वादा किया है और यह डे-टू-डे बेसिस पर चलेगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया. “आखिर इस केस को ही रोज़ाना सुनवाई की ज़रूरत क्यों? जेलों में सैकड़ों अंडरट्रायल हैं जो 5-7 साल से ट्रायल का इंतजार कर रहे हैं.”

यह दूसरी बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने दर्शन को मिली ज़मानत पर कर्नाटक हाईकोर्ट को फटकार लगाई है। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट तो जैसे जमानत देने के लिए बेताब नजर आ रहा था… जैसे-तैसे कारण ढूंढे जा रहे थे! अब शीर्ष अदालत ने इस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट की किरकिरी पूरे न्यायिक तंत्र में चर्चा का विषय बन चुकी है.

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