सुप्रीम कोर्ट ने महिला IPS अफसर के तलाक को दी मंजूरी, लेकिन अखबार और सोशल मीडिया पर मांगनी होगी पति से माफी
सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल पुराने वैवाहिक विवाद में IPS अफसर और बिजनेसमैन पति को तलाक की मंजूरी दी. कोर्ट ने IPS अफसर को पति और उसके परिवार से बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया, जो राष्ट्रीय स्तर के एक अंग्रेजी और एक हिंदी अखबार व सोशल मीडिया पर प्रकाशित होगी. पत्नी ने गुजारा भत्ता नहीं मांगा और अलीगढ़ में स्थित पैतृक संपत्ति पति को देने का वादा किया. कोर्ट ने मां को बच्ची की कस्टडी दी और पिता को विजिटिंग राइट्स.;
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक हाई-प्रोफाइल वैवाहिक विवाद का निपटारा करते हुए एक IPS अधिकारी और उनके पति के बीच तलाक को मंजूरी दे दी. अदालत ने महिला अधिकारी को निर्देश दिया कि वह अपने पति और उनके परिवार से 'बिना शर्त माफी' मांगे और यह माफी राष्ट्रीय संस्करण के एक प्रतिष्ठित हिंदी और एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित करे. इसके अलावा, यह माफी सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी साझा की जाएगी.
2015 में शादी, 2018 में अलगाव, 2022 में IPS बनी पत्नी
यह दंपति, जिसमें महिला एक IPS अधिकारी और पुरुष दिल्ली का व्यवसायी है, ने 2015 में शादी की थी. तीन साल बाद, 2018 में दोनों अलग हो गए. महिला ने अपने गृहनगर यूपी लौटने के बाद 2022 में IPS जॉइन किया.
अदालत के आदेश के मुताबिक, महिला अधिकारी ने न तो भरण-पोषण मांगा और न ही गुजारा भत्ता. इसके बजाय उसने अपने माता-पिता की संपत्तियां पति को ट्रांसफर करने की पेशकश की. इनमें अलीगढ़ में स्थित तीन भूखंड शामिल हैं, जिन्हें गिफ्ट डीड के जरिए महिला की मां ट्रांसफर करेंगी.
पति और पिता को जेल, सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “पत्नी द्वारा दर्ज मामलों के कारण पति को 109 दिन और उसके पिता को 103 दिन जेल में रहना पड़ा. इस दौरान परिवार को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ा. इसे किसी भी तरह से पूरी तरह सुधारा नहीं जा सकता.”
अदालत ने आदेश दिया कि IPS अधिकारी और उसके माता-पिता पति और उसके परिवार से 'बिना शर्त माफी' मांगे, जिसे अखबारों और सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया जाए. अदालत ने स्पष्ट किया कि यह माफी केवल कानूनी विवाद को सुलझाने और भावनात्मक तनाव को खत्म करने के लिए है, और भविष्य में इसका इस्तेमाल महिला के खिलाफ नहीं होगा.
बेटी की कस्टडी मां को, पिता को विजिटेशन राइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने 8 वर्षीय बेटी की प्राथमिक कस्टडी मां को दी और पिता को विजिटेशन राइट्स दिए. साथ ही पति और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया गया. अदालत ने IPS अधिकारी को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने पद और ताकत का दुरुपयोग कर पति या उसके परिवार को किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक क्षति नहीं पहुंचाए.
अनुच्छेद 142 के तहत तलाक का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अविवादित रूप से विवाह टूटने के आधार पर तलाक को मंजूरी दी. इस मामले में पत्नी ने यूपी में और पति ने दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में केस फाइल किए थे. महिला ने घरेलू हिंसा, दहेज, रेप और इनकम टैक्स शिकायतें दर्ज कराई थीं, जबकि पति ने मानहानि के केस और IPS कैंडिडेचर को चुनौती दी थी.