बिहार से ली संगीत की शिक्षा, बनारस में की साधना; जानें कौन थे भारत के महान शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र?
लंबी बीमारी के चलते भारत के महान शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का का निधन हो गया, उन्होंने 91 साल की उम्र में मुज्जफरनगर में अंतिम सांस ली. इस दुखद खबर की पुष्टि उनकी बेटी नम्रता मिश्र ने की. पंडित छन्नूलाल जिन्हें ठुमरी, भजन, कजरी, चैती-दादरा जैसे संगीत के लिए जाना जाता है. उन्होंने भारतीय संगीत में अपना महा योगदान दिया है.;
भारत और खासकर बनारस संगीत घराने के लिए एक बेहद दुखद खबर है. पद्मभूषण शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. उन्होंने मिर्जापुर में अपनी बेटी के घर पर 2 अक्टूबर को सुबह 4.15 बजे अंतिम सांस ली. उनके निधन से भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है.
पंडित छन्नूलाल मिश्र को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनके गायन में खयाल, ठुमरी, भजन, कजरी, चैती-दादरा जैसी शास्त्रीय और उपशास्त्रीय विधाओं का अनोखा संगम देखने को मिलता था. उनकी गायकी की खासियत थी कि वे हर गीत में भाव और शास्त्रीय सजगता का बेहतरीन मिश्रण पेश करते थे.
पंडित छन्नूलाल का जीवन
पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1936 को आजमगढ़ में हुआ था. उन्होंने अपने संगीत की शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से पूरी की. लगभग चार दशक पहले वे वाराणसी आ गए और यहीं उन्होंने जीवन भर संगीत साधना की. बनारस में उनका नाम होली और चैती-दादरा जैसे पारंपरिक संगीत विधाओं के लिए भी खास था. उनके बिना काशी की होली की कल्पना अधूरी लगती थी. उनके प्रसिद्ध भजनों में फागुन मास के समय खेले मसाने में होली दिगंबर’ शामिल है, जो भगवान शिव के नग्न रूप (दिगंबर) और श्मशान घाट में होली मनाने की परंपरा को जीवंत करता था.
पुरस्कार और सम्मान
पंडित छन्नूलाल मिश्र को उनके योगदान के लिए कई बड़े सम्मान मिल चुके थे. 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण, 2020 में पद्म विभूषण. वे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के शीर्ष ग्रेड कलाकार भी रहे और संस्कृति मंत्रालय (उत्तर-केंद्रीय) के सदस्य के रूप में भी संगीत जगत की सेवा की.
राजनीतिक और पारिवारिक जीवन
पंडित छन्नूलाल मिश्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी खास संबंध रहा. 2014 में वे वाराणसी से मोदी के चुनाव के प्रस्तावक भी रहे. पंडित छन्नूलाल मिश्र के परिवार में उनके बेटे रामकुमार मिश्र जो एक उभरते तबला वादक है और चार बेटियां संगिता (जो कोविड के दौरान गुजर गई), अनीता, ममता और नम्रता शामिल हैं. पद्मभूषण डॉ. राजेश्वर आचार्य कहते हैं, 'छन्नूलाल जी का जीवन संघर्ष और समर्पण की मिसाल रहा है. आजमगढ़ से काशी आए और उन्होंने जीवन भर भारतीय संगीत की सेवा की. उनके जाने से बनारस संगीत घराने और पूरे भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है.
अंतिम संस्कार
पंडित छन्नूलाल मिश्र का पार्थिव शरीर वाराणसी में अंतिम संस्कार के लिए लाया जाएगा. संगीत प्रेमियों और शिष्यों के लिए यह अवसर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने का होगा. पंडित छन्नूलाल मिश्र की आवाज़, उनका संगीत और उनका समर्पण हमेशा याद किया जाएगा. उन्होंने जीवनभर भारतीय शास्त्रीय संगीत को सम्मान और नई पहचान दी. उनका जाना न केवल संगीत जगत, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है.