सूरज के गुस्से से कांपेगी धरती! 14300 साल बाद फिर लौट रहा तबाही का तूफान, मोबाइल-इंटरनेट... टीवी सब बंद होने वाला है?
इस महीने एक शक्तिशाली सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने की आशंका जताई गई है, जिसकी तीव्रता 14,300 साल पहले आए महाविनाशकारी तूफान के बराबर हो सकती है. नासा और वैज्ञानिकों के अनुसार, यह तूफान संचार प्रणाली, बिजली ग्रिड और इंटरनेट नेटवर्क को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. हाल ही में सूर्य पर हुई X2.7 श्रेणी की सौर ज्वालाएं इसी खतरे का संकेत दे रही हैं. विशेषज्ञों ने चेताया है कि समय रहते तैयारी नहीं की गई तो वैश्विक स्तर पर तकनीकी संकट और आर्थिक नुकसान हो सकता है.;
Solar Storm 2025: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और अन्य एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इस महीने एक शक्तिशाली सौर तूफान धरती से टकरा सकता है, जो तकनीकी और संचार प्रणालियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है. इस सौर तूफान की तीव्रता 14,300 साल पहले आए महाविनाशकारी तूफान के समान हो सकती है. फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने प्राचीन पेड़ों के छल्लों में असामान्य रेडियोकार्बन स्तर की खोज की है, जिससे इस संभावित खतरे की पुष्टि होती है.
बताया जाता है कि यह सौर तूफान 2003 के हेलोवीन सोलर स्टॉर्म से 500 गुना अधिक शक्तिशाली हो सकता है, जिसने उस समय भी संचार और ऊर्जा प्रणालियों को बुरी तरह बाधित किया था.
क्या है सौर तूफान?
सूरज से निकलने वाली घातक ऊर्जा, जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है, तो उसे सौर तूफान कहा जाता है. यह हमारे टेक्नोलॉजी सिस्टम, संचार नेटवर्क और बिजली ग्रिड को तबाह कर सकती है. सौर तूफान तब उत्पन्न होता है, जब सूर्य से निकले उच्च-ऊर्जा वाले चार्ज्ड कण पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड (चुंबकीय क्षेत्र) से टकराते हैं, जिससे रेडियो, जीपीएस, सैटेलाइट संचालन और पावर ग्रिड जैसी सेवाएं रुक सकती हैं. हाल ही में सूर्य के सक्रिय क्षेत्र AR4087 से निकली X2.7 कैटेगरी की सोलर फ्लेयर्स (सौर ज्वालाएं) अब तक की सबसे तीव्र हैं, जिनके कारण एशिया और यूरोप में रेडियो ब्लैकआउट्स भी देखे गए हैं. इससे अंदेशा बढ़ गया है कि आने वाले समय में खतरा और भी बढ़ सकता है.
NASA-NOAA ने शुरू की इमरजेंसी रिस्पॉन्स ड्रिल्स
NASA और राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) ने इस खतरे को देखते हुए इमरजेंसी रिस्पॉन्स ड्रिल्स शुरू की हैं. रिपोर्ट में सामने आया है कि धरती पर आने वाले CME (कोरोनल मास इजेक्शन) की भविष्यवाणी हम केवल 30 मिनट पहले तक ही कर सकते हैं, जो बचाव उपायों के लिए बहुत कम समय है. इसके अलावा, अंतरिक्ष मौसम की जानकारी को उपयोगी रणनीतियों में बदलने की विशेषज्ञता की भी कमी उजागर हुई है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह सौर तूफान पृथ्वी से टकराता है, तो इसका असर वैश्विक इंटरनेट, बिजली और संचार तंत्र पर भीषण होगा. यह 'इंटरनेट एपोकैलिप्स' जैसी स्थिति पैदा कर सकता है, जिससे न केवल आम नागरिक बल्कि पूरी दुनिया की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
सावधानी और तैयारी के उपाय
- महत्वपूर्ण डेटा और उपकरणों के लिए बैकअप पावर स्रोत तैयार रखें.
- संचार के वैकल्पिक माध्यमों की योजना बनाएं.
- सरकारी और आपातकालीन सेवाओं के निर्देशों का पालन करें.
- अंतरिक्ष मौसम अपडेट्स के लिए विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें.
सौर तूफान (Solar Storm) एक खगोलीय घटना है, जिसमें सूर्य से तीव्र ऊर्जा, सौर ज्वालाएं (solar flares) और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) निकलकर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं. इतिहास में ऐसे कई बड़े सौर तूफान आए हैं, जिन्होंने धरती पर संचार, बिजली और टेक्नोलॉजी को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. आइए ऐसी ही कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं...
धरती पर आए प्रमुख सौर तूफान (Solar Storms on Earth)
1. कैरिंगटन इवेंट (Carrington Event) – 1859
- इतिहास का अब तक का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान
- टेलीग्राफ लाइनें फेल हो गईं, पोलों में आग लग गई
- उत्तरी रोशनी (Aurora) तकरीबन भारत और क्यूबा तक देखी गई
- अगर आज ऐसा तूफान आए, तो वैश्विक इंटरनेट और पावर ग्रिड ठप हो सकते हैं
2. मार्च 1989 – क्यूबेक ब्लैकआउट
- कनाडा के क्यूबेक राज्य में 9 घंटे का बिजली ब्लैकआउट
- 6 मिलियन से ज़्यादा लोग प्रभावित
- कई सैटेलाइट अस्थायी रूप से बंद हो गए
3. अक्टूबर–नवंबर 2003 - हेलोवीन सोलर स्टॉर्म (Halloween Storms)
- GPS और रेडियो संचार में व्यापक व्यवधान
- अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर विशेष सुरक्षा में रखा गया
- कई एयरलाइंस ने उत्तरी ध्रुवीय रूट से उड़ानें रद्द कीं
4. जुलाई 2012- करीबी चूक
- एक शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी से थोड़ा सा चूक गया
- अगर यह धरती से टकराता, तो आज की तकनीक पर भीषण प्रभाव पड़ सकता था
- नासा ने इसे 'Near Miss Catastrophe' कहा
5. मई 2024 – मामूली जी3 श्रेणी तूफान
- अमेरिका और यूरोप में रेडियो ब्लैकआउट की घटनाएं हुईं
- भारत में भी GPS सिग्नल में रुकावटें देखी गईं.
वैज्ञानिकों की चेतावनी
सौर चक्र 25 (Solar Cycle 25) अपने चरम पर है, जिससे 2024–2025 के बीच तीव्र सौर तूफानों की आशंका बनी हुई है. नासा और NOAA लगातार अंतरिक्ष मौसम की निगरानी कर रहे हैं.