संजीव खन्ना होंगे नए CJI, डीवाई चंद्रचूड़ ने की सरकार से उनके नाम की सिफारिश
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल इस साल नंवबर में समाप्त होने वाला है. इसके साथ-साथ अब चीफ जस्टिस का पद कौन संभालेगा इसकी भी जानकारी सामने आ चुकी है. नए CJI के रूप में संजीव खन्ना कार्यभार संभालने वाले हैं. लेकिन सिर्फ 6 महीने के लिए. उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार से डीवाई चंद्रचूड़ ने की.;
चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ का कार्यकाल इस साल के नवंबर में खत्म होने जा रहा है. अब इससे पहले ही उनके पद की जिम्मेदारी कौन संभालेगा इसकी चर्चाएं तेज हो चुकी है. इसी कड़ी में चीफ जस्टिस ने अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हुए केंद्र सरकार के पास नाम भेज दिए हैं. इस लिस्ट में संजय खन्ना का नाम सामने आया है.
केंद्र सरकार को भेजी गई लिस्ट के अनुसार इसमें अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में संजीव खन्ना के नाम की चर्चा सबसे तेज है. वही अब अगले चीफ जस्टीस बनने वाले हैं. वहीं मौजूदा चीफ जस्टिस का कार्यकाल इस साल के अंत से पहले यानी 10 नंवबर 2024 को समाप्त होने वाला है. आपको बता दें कि संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश भी DY चंद्रचूढ़ ने की है.
लिस्ट में पहला जस्टिस खन्ना का नाम
केंद्र सरकार के पास भेजी गई सिफारिस की लिस्ट में सबसे प्रथम पर जस्टिस संजीव खन्ना का नाम ही शामिल है. जिसके कारण उन्हें अगला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया नियुक्त करने की तैयारी चल रही है. लेकिन इस बीच इस बात की भी जानकारी सामने आई कि वह केवल 6 महीने तक CJI का पद संभालने वाले है. यानी केवल 6 महीने तक का ही उनका कार्यकाल होने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट के जज का संभाला है कार्यभार
इससे पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली के हाईकोर्ट में जज के रूप में 14 सालों तक अपनी सेवाएं दी है. पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ कैंपस सेंटर से अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की है. जन्म की अगर बात की जाए तो साल 1960 में 14 मई को उनका जन्म हुआ था. संजीव खन्ना ने 14 तक दिल्ली के हाई कोर्ट में सेवाएं दी जिसके बाद उन्हें साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट कर दिया गया. इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था.
SC जज बनने पर हुआ था बवाल
एक समय ऐसा भी था जब संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज बनने को लेकर विवादक का सामना करना पड़ा था. 32 जजों की अनदेखी करके उन्हें नए जज के रूप में प्रमोट किया था. इस पर काफी विवाद हुआ था. उनके इस प्रमोशन की सिफारिश को देश के पूर्व और तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा स्वीकृति मिली थी.