करदाताओं के लिए राहत: अब 1.5 करोड़ तक का ब्याज हो सकेगा माफ, जानें क्या है नियम
आयकर विभाग ने कर अधिकारियों को कुछ शर्तों के तहत करदाताओं के ब्याज देय को माफ करने की अनुमति दी है. आयकर अधिनियम की धारा 220(2A) के तहत, यदि कोई करदाता डिमांड नोटिस में उल्लेखित कर राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान में देरी के लिए एक प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज देना होता है.;
आयकर विभाग ने कर अधिकारियों को कुछ शर्तों के तहत करदाताओं के ब्याज देय को माफ करने की अनुमति दी है. आयकर अधिनियम की धारा 220(2A) के तहत, यदि कोई करदाता डिमांड नोटिस में उल्लेखित कर राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान में देरी के लिए एक प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज देना होता है.
इस अधिनियम के अंतर्गत प्रधान मुख्य आयुक्त (पीआरसीसीआईटी), मुख्य आयुक्त (सीसीआईटी), प्रधान आयुक्त (पीआरसीआईटी), या आयुक्त रैंक के अधिकारी देय ब्याज को कम करने या माफ करने का अधिकार रखते हैं.
इन शर्तों को करनी होगा पूरा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 4 नवंबर को जारी एक सर्कुलर के माध्यम से ब्याज की सीमा निर्दिष्ट की है, जिसे कर अधिकारी माफ कर सकते हैं या कम कर सकते हैं. इसके अनुसार, PRCIT रैंक के अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के शेष ब्याज को कम करने या माफ करने का निर्णय ले सकते हैं.
धारा 220 के तहत ब्याज में कमी या छूट की मांग करने के लिए आवश्यक निर्दिष्ट शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. AMRG एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि इस कदम से ब्याज राहत प्रदान करने में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा.