65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची वेबसाइट पर डालें... बिहार चुनाव से पहले SIR विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले किए जा रहे विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम चुनाव आयोग (ECI) की वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि इससे प्रभावित लोग अपनी स्थिति के बारे में जानकारी ले सकेंगे और आवश्यक कार्रवाई कर सकेंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस संशोधन प्रयास की सराहना भी की और कहा कि यह कदम जमीनी स्तर पर पहुंचने में मददगार है.;

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Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 14 Aug 2025 4:59 PM IST

Supreme Court Instructions to Election Commission of India: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह बिहार में चुनावों से पहले विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision-SIR) के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे. आयोग (ECI) बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का विशेष गहन संशोधन कर रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर विपक्ष में नाराजगी और विवाद बढ़ गया है.

इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि आयोग सभी निष्कासित मतदाताओं की सूची सार्वजनिक रूप से अपलोड करे. इससे प्रभावित लोग अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए कदम उठा सकेंगे.


"हम नहीं चाहते कि लोगों के अधिकार राजनीतिक दलों पर निर्भर रहें" 

जब आयोग ने कहा कि ये सूचियां राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को प्रदान की जा चुकी हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हम नहीं चाहते कि लोगों के अधिकार राजनीतिक दलों पर निर्भर रहें." साथ ही कोर्ट ने आयोग की इस गहन सूची संशोधन प्रक्रिया की सराहना करते हुए कहा, “हम आपकी कोशिश की सराहना करते हैं कि आप जमीनी स्तर तक जा रहे हैं.”

SIR प्रक्रिया के तहत लाखों मतदाताओं के नाम हटाए गए

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले  आयोग ने मतदाता सूची का SIR शुरू किया था. इस प्रक्रिया के तहत लाखों मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिससे राजनीतिक दलों और आम जनता में विवाद उत्पन्न हुआ. विपक्षी पार्टियों ने इस कदम को चुनाव में पक्षपात और मतदाता अधिकारों पर हमला करार दिया.


इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए चुनाव आयोग से निर्देश दिया कि हटाए गए मतदाताओं की पूरी सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड करे, ताकि प्रभावित लोग अपना पक्ष रख सकें और पारदर्शिता सुनिश्चित हो. अदालत ने यह भी कहा कि मतदाता अधिकार राजनीतिक दलों पर निर्भर नहीं होने चाहिए, जबकि आयोग के प्रयासों की सराहना भी की गई.

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