CIC नियुक्ति पर PM Modi और राहुल गांधी की हुई बैठक, नहीं निकला कोई हल; कांग्रेस नेता ने जताई आपत्ति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर एक बैठक हुई है. जिसमें लंबे समय तक चर्चा हुई. राहुल गांधी ने अपने असहमति पत्र के माध्यम से अपनी राय स्पष्ट की.;
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति को लेकर बुधवार दोपहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच महत्वपूर्ण बैठक हुई. सूत्रों के अनुसार, यह बैठक सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आयोजित की गई थी और इसमें मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर चर्चा हुई.
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सूत्रों ने बताया कि अमित शाह दोपहर करीब 1 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे, जबकि राहुल गांधी और अमित शाह लगभग 2.30 बजे बैठक समाप्त होने के बाद पीएमओ से बाहर निकले. कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, बैठक में तीन दौर की चर्चा हुई और राहुल गांधी ने अपने असहमति पत्र के माध्यम से अपनी राय स्पष्ट की.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति का महत्व
सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 12 (3) के अनुसार, मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक समिति का गठन होता है. इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, जबकि इसमें विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल रहते हैं. यह समिति मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों के चयन और सिफारिश के लिए जिम्मेदार होती है.
सुप्रीम कोर्ट में मामला और केंद्र की जानकारी
सुप्रीम कोर्ट को 1 दिसंबर को सूचित किया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली समिति 10 दिसंबर को बैठक कर सकती है और इस बैठक में पैनल के सदस्यों को नोटिस भेज दिया गया है. मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची शामिल हैं, उन्होंने सरकार की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने बताया कि बैठक तय हो गई है और इसके लिए सभी संबंधित सदस्यों को नोटिस जारी किया गया. कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) में रिक्त पदों, लंबित अपीलों और शिकायतों की संख्या का विवरण प्रस्तुत करने को कहा है.
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
अंजलि भारद्वाज और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा कि कई राज्यों में सूचना आयोगों के रिक्त पद लंबे समय से भरे नहीं गए हैं, जिससे आयोगों के सामने मामलों का अंबार लग गया है. उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों ने मात्र दो-तीन नियुक्तियां की हैं, जबकि सभी पदों को भरना आवश्यक है ताकि लंबित मामलों का निपटारा प्रभावी ढंग से किया जा सके.