क्या है 'सनातन धर्म संरक्षण विंग'? साउथ में पवन कल्याण का नया मास्टरस्ट्रोक, उदयनीधि के हिंदू विरोधी एक्शन को चैलेंज
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने एलुरु जिले की अपनी यात्रा के दौरान एक नई शाखा के गठन की घोषणा की. इस बीच तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने एक बार फिर से हिंदी भाषा को लेकर लोगों को क्षेत्रीय भाषा के साथ बांटने की कोशिश की है. ये पहली बार नहीं है, जब हिंदी भाषा को लेकर उनके नफरती बयान देखे गए हैं.;
Pawan Kalyan vs Udhayanidhi Stalin: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी (जेएसपी) प्रमुख पवन कल्याण ने शनिवार को अपनी पार्टी के भीतर एक नई विंग 'नरसिंह वाराही ब्रिगेड' के गठन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के तेलुगु राज्यों में सनातन धर्म की रक्षा करना है. ये सब तब हो रहा है जब तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उधयनिधि स्टालिन लगातार हिंदू और हिंदी को लेकर अपने नफरती बयान दे रहे हैं.
पवन कल्याण की पार्टी जनसेना आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. पवन कल्याण ने कहा, 'मैं सनातन धर्म की रक्षा के लिए जनसेना में एक अलग शाखा शुरू कर रहा हूं और इसका नाम 'नरसिंह वरही गणम' रखूंगा.'
'जो लोग सनातन धर्म की आलोचना करते हैं...'
जनसेना पार्टी प्रमुख ने आगे कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और अपने हिंदू धर्म का पालन करते हैं उन्होंने कहा, 'जो लोग सोशल मीडिया पर सनातन धर्म की आलोचना करते हैं या इसके बारे में अपमानजनक बातें करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे.'उन्होंने जोर देकर कहा कि सनातन धर्म न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति है.
उदयनिधि के हिंदू विरोधी बयान को नया चैलेंज
पवन कल्याण ने ये सब ऐसे समय में किया है, जब तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन लगातार हिंदू धर्म और हिंदी भाषा को टारगेट कर रहे हैं. उन्होंने तो सनातन धर्म को एक बार कीड़ा-मकोड़ा भी कह दिया था. हाल में ही उन्होंने हिंदी भाषा पर टारगेट करते हुए कहा कि क्या उत्तर भारत के किसी भी राज्य में दक्षिण भारत की तरह कोई अन्य भाषा बोलने वाली फिल्म इंडस्ट्री है?
उन्होंने आगे कहा कि इसका जवाब है- नहीं. उत्तर भारत के राज्यों में बोली जाने वाली लगभग सभी भाषाओं ने हिंदी को जगह दे दी है. इसलिए उनके पास केवल हिंदी फिल्में हैं और मुंबई अब बड़े पैमाने पर केवल हिंदी फिल्में ही बना रहा है. मराठी फिल्में नहीं, भोजपुरी नहीं, बिहारी, हरियाणवी और गुजराती फिल्म इंडस्ट्री को बॉलीवुड की तुलना में बहुत कम ध्यान मिलता है.
इस तरह साफ तौर पर उदयनिधि की ओर से हिंदी भाषा को लेकर नफरत झलकती है, जिसे वह क्षेत्रीय भाषा को आगे बढ़ाने का नाम देते हैं, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि पड़ोसी राज्य की राजनीति से निकल रही इस तरह की आवाज उनकी खुद की आवाज पर भारी पड़ सकती है. उन्हें अपने बयान को लेकर बड़ा चैलेंज मिल सकता है.