क्या है 'परम रुद्र' सुपर कंप्यूटर्स, मिनटों में कर दिखाएगा 500 साल का काम, जानिए क्या है इसकी खूबियां?
Param Rudra supercomputers: प्रधानमंत्री मोदी ने आज 3 परम रुद्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम और मौसम अनुसंधान के लिए एक एचपीसी सिस्टम लॉन्च किया. सुपरकंप्यूटर राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत स्वदेशी रूप से बनाए गए हैं. ये भारत के भविष्य के लिए वरदान माना जा रहा है.;
Param Rudra supercomputers: भारत को आज 3 परम रुद्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम मिल गया, जो देश के भविष्य को बदलने के लिए तैयार है. पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वर्चुअली तीन परम रुद्र सुपर कंप्यूटिंग सिस्टम और मौसम एवं जलवायु अनुसंधान के लिए एक उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) प्रणाली को लॉन्च किया. भगवान शिव के उग्र अवतार के नाम पर परम रुद्र का नाम रखा गया है.
पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'परम रुद्र सुपरकंप्यूटर और एचपीसी प्रणाली के साथ भारत कंप्यूटर के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है.' उन्होंने कहा कि भारत अपना स्वयं का सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बना रहा है जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.
परम रुद्र सुपर कंप्यूटर की खुबियां समेत इसके बारें में मुख्य बातें
- ऑफिशियली रिपोर्ट के मुताबिक, सुपरकंप्यूटर भारत को सुपरकंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के केंद्र के प्रयासों के तहत राष्ट्र को समर्पित किए जाएंगे.
- इन तीन सुपर कंप्यूटरों की लागत लगभग 130 करोड़ रुपये होगी यानी कि एक की कीमत 44 लाख रुपये है. इन्हें राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा.
- इसे उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC) द्वारा विकसित किया गया है. यह अत्याधुनिक सुविधा देश की उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग क्षमताओं को बढ़ावा देगी.
- इसकी ताकत और परफॉर्मेंस का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जो काम सामान्य कंप्यूटर 500 साल में कर सकते हैं, वही काम ये परम रुद्र सुपर कंप्यूटर मिनटों में कर सकते हैं.
- इन्हें तीन प्रमुख स्थानों दिल्ली, पुणे और कोलकाता पर तैनात किया गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत की वैज्ञानिक अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए परियोजना के प्रमुख उद्देश्य पर प्रकाश डाला.
- पुणे में विशाल मीटर रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRB) और अन्य खगोलीय घटनाओं का पता लगाने के लिए सुपर कंप्यूटर का लाभ उठाएगा.
- दिल्ली में इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (IUAC) पदार्थ विज्ञान और परमाणु भौतिकी जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा.
- कोलकाता में एसएन बोस केंद्र भौतिकी, ब्रह्मांड विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सुपरकंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करेगा.
यह परियोजना नेशनल सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शिक्षा, शोधकर्ताओं, एमएसएमई और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में बढ़ावा देना है. इस मिशन के तहत 2019 में IIT (BHU) में PARAM Shivay नाम का पहला स्वदेशी रूप से असेंबल किया गया सुपरकंप्यूटर लगाया गया था.