ऑपरेशन सिंदूर के हीरो को बड़ी जिम्मेदारी! कौन हैं जनरल राजीव घई जो बने सेना के 'स्ट्रैटेजिक Boss'

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और भारतीय सेना के सर्जिकल ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद एक नाम चर्चा में छा गया. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई. वह वही अधिकारी हैं जिन्हें पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कॉल करके सीज़फायर की गुहार लगाई थी.;

By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 10 Jun 2025 12:36 AM IST

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव और भारतीय सेना के सर्जिकल ऑपरेशन 'सिंदूर' के बाद एक नाम चर्चा में छा गया. लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई. वह वही अधिकारी हैं जिन्हें पाकिस्तान के DGMO (Director General of Military Operations) ने भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान कॉल करके सीज़फायर की गुहार लगाई थी. अब उन्हें भारतीय सेना में एक बेहद अहम जिम्मेदारी दी गई है. वह बने हैं डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (Strategy), यानी सेना की रणनीतिक कमान के शीर्ष अधिकारी.  तो आइए उनके बारे में जानते हैं...

'Deputy Chief (Strategy)' वह उच्च स्तरीय पद है जो ऑपरेशंस और इंटेलिजेंस निदेशालयों का मार्गदर्शन करता है. रक्षा मंत्रालय द्वारा इसे बेहद महत्वपूर्ण और केंद्रीय जिम्मेदारी बताया गया है.

ऑपरेशन सिंदूर में प्रमुख भूमिका

मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सेना की नई रणनीति बनाने में घई की अहम भूमिका थी. प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने बताया कि भारत ने बिना LoC पार किए आतंकी ठिकानों पर सटीक निशाना साधा, जिसके जवाब में पाकिस्तानी कार्रवाई को "Ashes to Ashes" करार देते हुए ढेर कर दिया. ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के DGMO ने घई को कॉल कर सीज़फायर की गुहार लगाई थी. 4 जून 2025 को उन्हें उत्तम युद्ध सेवा पदक (UYSM) से सम्मानित किया गया, यह उनकी महान युद्ध सेवा का प्रमाण है. रक्षा मंत्रालय की इंस्टिट्यूटिव सेरेमनी (फेज-II) में यह सम्मान प्रदान किया गया.

मणिपुर का दौरा- व्यापक दृष्टिकोण

फरवरी 2025 में उन्होंने मणिपुर दौरा किया, जहाँ उन्होंने इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर सुरक्षा समीक्षा की. इस दौरान उन्होंने राज्यपाल, मुख्य सचिव, पुलिस प्रमुख सहित उच्च अधिकारियों के साथ बैठकर बातचीत की और ’Whole-of-Government’ दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया. कुमाऊं रेजिमेंट और काउंटर-आतंकवादी अभियानों में अनुभव

राजीव घई सन् 1989 में कुमाऊं रेजिमेंट से स्नातक होकर भारतीय सेना में आये थे और 33 वर्षों से अधिक सेवा कर चुके हैं. चिनार कॉर्प्स (जम्मू-कश्मीर) के पूर्व कमांडर होते हुए उन्होंने बहुत से काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशंस का नेतृत्व किया. उन्होंने पश्चिमी, उत्तरी सीमाओं पर भी बटालियन, ब्रिगेड और डिविजन स्तर पर सेवाएं दीं. उन्होंने आईएमए देहरादून, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, आर्मी वॉर कॉलेज, Mhow और नेशनल डिफेंस कॉलेज, नई दिल्ली से प्रशिक्षण प्राप्त किया.

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