'मैरिटल रेप नहीं है अपराध', केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, बताया- सामाजिक मुद्दा

केन्द्र सरकार ने SC में ये हलफनामा दिया है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके लिए पहले से कई उपाय मौजूद है. सरकार ने भी ये कहा कि इसे केवल कानूनी मुद्दा ना समझे बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा है जिसका समाज पर बहुत असर पड़ेगा.;

Supreme Court Pic Credit-ANI
Curated By :  प्रिया पांडे
Updated On : 3 Oct 2024 8:43 PM IST

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि मैरिटल रेप को क्राइम घोषित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके लिए और जरूरी सजा के उपाय पहले से ही मौजूद हैं. सरकार का मानना है कि यह मामला केवल कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सोशल मुद्दा है, जिसका समाज पर बहुत असर पड़ेगा. केंद्र ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी स्टेकहोल्डर्स से सलाह और सभी राज्यों की राय के बिना कोई निर्णय लेना उचित नहीं होगा.

केंद्र सरकार ने माना कि शादी के बाद भी पत्नी की सहमति जरूरी है और उसकी इच्छा के खिलाफ फिजिकल रिलेशन बनाना गलत है. हालांकि, केंद्र ने यह भी कहा कि शादी के अंदर और बाहर ऐसे बहसों के परिणाम अलग-अलग होते हैं. विवाह में फिजिकल रिलेशन की अपेक्षा सामान्य है, लेकिन यह पति को अपनी पत्नी को उसकी इच्छा के खिलाफ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं देता.

कड़े कानूनों की जरूरत

केंद्र ने यह भी कहा कि विवाह के भीतर इस प्रकार के उल्लंघनों के लिए बलात्कार विरोधी कानूनों के तहत सख्त सजा देना बहुत ज्यादा हो सकता है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद ने पहले ही ऐसे मामलों से निपटने के लिए शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने वाले कानून बनाए हैं. इनमें घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 और IPC की वह क्लॉज शामिल हैं जो विवाह के अंदर हिंसा के मामलों में सजा का प्रावधान करती हैं.

शादी के सोशल स्ट्रक्चर को बचाना

सरकार का तर्क है कि भारत के सामाजिक और कानूनी रूप में शादी एक महत्वपूर्ण संस्था है, और इसे सुरक्षित रखना जरूरी है. केंद्र ने कहा कि यदि विधायिका मानती है कि विवाह संस्था की प्रोटेक्शन करनी चाहिए, तो कोर्ट द्वारा मैरिटल रेप अपवाद को रद्द करना उचित नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर याचिकाओं को सुनवाई के लिए लिस्ट किया है.

दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय

इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 मई 2022 को इस मामले पर फैसला सुनाया था. जज राजीव शकधर ने मैरिटल रेप को क्राइम घोषित करने के पक्ष में निर्णय दिया था, जबकि जज सी हरिशंकर ने असहमति व्यक्त की और कहा कि IPC की धारा 375 का अपवाद 2 संविधान का उल्लंघन नहीं करता है. इस विभाजित निर्णय के बाद, सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने और संबंधित आदेशों की मांग की गई थी.

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