बिहार के बाद SIR पर अगले महीने से देश भर में मचेगा बवाल! एक्शन में EC, अवैध प्रवासियों में खलबली क्यों?
India SIR: बिहार में SIR यानी मतदाता सूची विशेष गहनता पुनरीक्षण की प्रक्रिया के बाद चुनाव आयोग की अगले महीने से देशभर में इस प्रक्रिया पर अमल करने की योजना है. अगर ऐसा हुआ तो बिहार के बाद देश भर में सियासी बवाल मच सकता. इसके पीछे चुनाव आयोग का मकसद मतदाता सूचियों की सफाई और सत्यापन है. ईसी के इस रुख से अवैध प्रवासियों, फर्जी मतदाताओं और डुप्लीकेट वोटर आईडी वालों में खलबली मची है.;
Election Commission SIR India: बिहार वोटर लिस्ट में विशेष गहनता पुनरीक्षण का काम गति पकड़ने के बाद चुनाव आयोग (Election Commission) अब पूरी तरह एक्शन मोड में है. ईसी की अब उसी मॉडल को पूरे देश में लागू करने की योजना है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिहार में SIR (विशेष गहनता पुनरीक्षण) को "संवैधानिक आदेश" मानने के बाद ईसी ने इसे देश भर लागू करने का फैसला लिया. इसके पीछे ECI का लक्ष्य सभी राज्यों में मतदाता सूचियों का संशोधन करके सटीक मतदाता सूचियां सुनिश्चित करना है.
कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) ने अपनी मतदाता सूचियों को संशोधित करने का काम शुरू कर दिया है. दिल्ली चुनाव आयोग के CEO वेबसाइट पर तो पिछले गहन पुनरीक्षण की 2008 की सूची जारी कर दी गई है. उत्तराखंड की 2006 की मतदाता सूची अब ऑनलाइन उपलब्ध है. बता दें कि पहले के संशोधन आगामी प्रक्रिया के लिए मानक का काम करते हैं.
निशाने पर अवैध प्रवासी वोटर्स
ECI की योजना अवैध विदेशी प्रवासियों की पहचान करने और उनके जन्मस्थानों का सत्यापन करके उन्हें हटाने के लिए मतदाता सूचियों की जांच करने की है. बांग्लादेश और म्यांमार के लोगों सहित कई राज्यों में अवैध प्रवासन के मुद्दों को हल करने के लिए चल रहे प्रयासों के बीच इस पहल महत्वपूर्ण माना जा रहा है. प्रवासी लोगों में उन लोगों की पहचान पर जोर दे रहा है, जो बांग्लादेश और म्यांमार से आकर इंडिया में बस गए हैं और गलत तरीके से आधार और मतदाता सूची में नाम दर्ज करा लिया है.
बिहार से शुरू हुई सफाई मुहिम
बिहार में SIR के तहत लगभग 17 रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टियों को डीलिस्ट किया गया और हजारों फर्जी वोटरों के नाम सूची से हटाए गए। अब चुनाव आयोग इस कार्यवाही को अगस्त 2025 से देशव्यापी बनाने की तैयारी में है।
क्यों मची है खलबली?
जिन लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए वोटर कार्ड बनवा रखे हैं, उनकी पहचान और डिलीशन इस अभियान का बड़ा हिस्सा है. इससे बांग्लादेशी और रोहिंग्या जैसे अवैध प्रवासियों में हड़कंप मचा है. एक ही व्यक्ति के नाम पर कई बार वोटिंग कार्ड बने होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो अब सामने लाई जा रही हैं. जिन क्षेत्रों में इन फर्जी वोटर्स की संख्या ज्यादा है, वहां के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं. इसलिए कुछ पार्टियों और संगठनों में बेचैनी है.
क्या है SIR?
SIR यानी Special Summary Revision चुनाव आयोग की मतदाता सूची को अपडेट करने की एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसके तहत निर्वाचन आयोग सभी मतदाता सूचियों की जांच, अपडेट और शुद्धिकरण करता है. इसमें नई उम्र पूरी करने वाले वोटर्स का नाम जोड़ा जाता है, डुप्लीकेट और मृत वोटर्स को हटाया जाता है, और पता बदलने वाले वोटरों की एंट्री अपडेट की जाती है.
2026 में इन राज्यों में प्रस्तावित है चुनाव
बिहार में इस साल चुनाव होने हैं. जबकि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे. एसआईआर का समय इन चुनावी घटनाओं के अनुरूप है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि मतदान शुरू होने से पहले अद्यतन और सटीक मतदाता सूचियां तैयार हो जाएं.
जहां तक सवाल कानूनी पहलुओं और अदालती सुनवाई की है इसको लेकर अब चुनाव पूरी तरह से निश्चिंत है. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में संशोधन के साथ आगे बढ़ने के लिए चुनाव आयोग के अधिकार को बरकरार रखा है. देशव्यापी कार्यान्वयन पर अंतिम निर्णय 28 जुलाई के बाद लिया जाएगा, जब बिहार का मामला अदालत में वापस आएगा. अधिकांश राज्यों ने अपना अंतिम गहन संशोधन 2002 और 2004 के बीच किया था. चुनाव आयोग अपने वर्तमान प्रयासों के लिए बिहार की 2003 की मतदाता सूची को संदर्भ बिंदु के रूप में इस्तेमाल किया है. यह ऐतिहासिक संदर्भ विभिन्न क्षेत्रों में मतदाता सूचियों को अपडेट करने की अंतिम तिथियों को निर्धारित करने में मदद करेगा.
ईसी के एक अधिकारी ने संकेत दिया कि 28 जुलाई के बाद न्यायालयी कार्यवाही के आधार पर राष्ट्रव्यापी एसआईआर के लिए एक व्यापक योजना को अंतिम रूप दिया जा सकता है. इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य पूरे भारत में मतदाता पंजीकरण की सटीकता और अखंडता को बढ़ाना है.