अपना ही डेथ सर्टिफिकेट लेकर घूम रहा ये शख्स, कमिश्नर से मांग रहा जीवित होने का प्रमाण
बेंगलुरु के रहने वाले एक व्यक्ति जीवित होने के बावजूद अपना डेथ सर्टिफिकेट लेकर घूम रहा है. सभी दफ्तरों में गुहार लगा रहा है कि वो जिंदा है. इस बीच इस समस्या को लेकर व्यक्ति पुलिस कमिश्नर के ऑफिस जा पहुंचा. दरअसल एक कंप्यूटर ऑपरेटर की गलती के कारण शख्स को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी शिकायत उन्होंने कमिश्नर से की.;
बेंगलुरू के बेलगावी के डिप्टी कमिश्नर के पास सोमवार को एक शिकायतकर्ता अपनी शिकायत लेकर पहुंचा. कमिश्नर के पास पहुंचते ही व्यक्ति ने अजीबोगरीब मांग सामने रख दी. दरअसल व्यक्ति के सरकारी डॉक्यूमेंट्स में गलती से उसे मृत घोषित कर दिया गया है. यहां तक की उसका डेथ सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया गया है.
अब व्यक्ति की मांग है कि IAS अधिकारी उन्हें जीवित साबित करने में उनकी मदद करें. दरअसल गणपति काकटकर नाम के इस व्यक्ति का दावा है कि लोकल रेवेन्यू ऑफिस के डेटा एंट्री में गलती होने से 62 वर्षीय शख्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस कारण तहसीलदार ने उसे मृत घोषित कर दिया था.
दादा की जमीन पर किया दावा
जानकारी के अनुसार सबसे अधिक समस्या उन्हें तब हुई जब गुंटा में 23 एकड़ की जमीन पर उन्होंने और उनके भाई ने अधिकार जताने के लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (succession certificate) के लिए अप्लाई किया. बता दें कि ये जमीन उनके दादा के नाम पर थी. उनके दादा की मृत्यु साल 1976 में 2फरवरी को हुई थी.
तीन बेटों में बांटी प्रॉपर्टी
बताया गया कि दादा ने मरने से पहले अपन जमीन को अपने बेटों को नौ-नौ एकड़ जमीन हस्तांतरित कर दी थी और अपने लिए छह एकड़ 23 गुंटा जमीन रख ली थी. वहीं आठ सालों के बाद जब पोतों ने उस जमीन को अपने नाम करवाने का फैसला किया तो दादा के डेथ सर्टिफिकेट की मांग की गई. हालांकि पोतों को सर्टिफिकेट नहीं मिला. उन्होंने उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (succession certificate) दायर करने के लिए बेलगावी में चौथे जेएमएफसी कोर्ट में याचिका दायर की. कोर्ट ने डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश जारी किया.
कंप्यूटर ऑपरेटर की गलती पड़ गई भारी
जानकारी के डेथ सर्टिफिकेट तैयार करने के दौरान कंप्यूटर ऑपरेटर ने गणपति काकटकर से उसका आईडी कार्ड मांगा. उन्होंने अपना आईडी कार्ड पहचान के लिए दिया था. लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर ने गलती से दादा के नाम की जगह उनका नाम दर्ज कर दिया. इस कारण उनके सभी सरकारी डॉक्यमेंट्स और सब रद्द कर दिए गए.
उनका नाम राशन कार्ड से हट चुका था. ऐसा इसलिए क्योंकी वह जीवित नहीं है. हालांकि साल 2023 में 3 अगस्त को जब उन्हें इस समस्या की जानकारी मिली तो इसे ठीक करवाने के लिए उन्होंने कई ऑफिसों के चक्कर काटें. लेकिन किसी भी अधिकारी से इस समस्या का उन्हें समाधान नहीं मिला. जून 2024 में उन्हें पता चला कि उनका नाम इसलिए हटा दिया गया क्योंकि कंप्यूटर ऑपरेटर ने उनके दादा के मृत्यु प्रमाण पत्र में उनका आधार कार्ड नंबर दर्ज कर दिया. हालांकि इस समस्या से थक हारकर गणपति ने पुलिस कमिश्नर के ऑफिस का रुख किया और इस बारे में जानकारी दी.