महाराष्ट्र में डिजिटल इंडिया के दावे हवा-हवाई! पहाड़ पर चढ़कर पेड़ से लटकाना पड़ता है फोन, फिर भी नहीं आता सिग्नल, कैसे हो e-KYC?
महाराष्ट्र के नासिक जिले के धडगांव तालुका में महिलाएं सरकारी ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए पहाड़ चढ़कर पेड़ से बंधे मोबाइल पर नेटवर्क का इंतजार करती हैं. कमजोर सिग्नल और ओटीपी फेल होने से ग्रामीणों को घंटों धूप में खड़ा रहना पड़ता है. सरकार ने 15 नवंबर तक e-KYC को अनिवार्य किया है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने स्पष्ट किया कि बिना वेरिफिकेशन भुगतान नहीं होगा. नेटवर्क और आधार लिंक की दिक्कतों के बीच ग्रामीण महिलाएं डिजिटल कल्याण योजना को हकीकत में बदलने के लिए जूझ रही हैं.;
महाराष्ट्र में मोदी सरकार की 'डिजिटल इंडिया' योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. नासिक जिले के धडगांव तालुका के खर्डे खुर्द गांव से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. यहां सरकार द्वारा ई-केवाईसी को अनिवार्य किए जाने के बाद महिलाएं पहाड़ पर चढ़कर पेड़ों से मोबाइल को लटकाकर सिग्नल का इंतजार करती हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाएं इस इंतजार में पेड़ के नीचे खड़ी रहती हैं, ताकि ओटीपी आ जाए और उन्हें योजना का लाभ मिलता रहे.
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव की महिलाएं रोजाना करीब आधा घंटा पहाड़ पर चढ़ाई करके इस स्थान तक पहुंचती हैं, क्योंकि पूरे इलाके में नेटवर्क सिर्फ इसी ऊंचाई वाले हिस्से में आता है. 500 से ज्यादा लाभार्थी, जो भामने समूह ग्राम पंचायत और खर्डे खुर्द गांव से जुड़े हैं, गर्मी में खड़े होकर सिग्नल का इंतजार करती हैं. हालांकि, 5 फीसदी लोग ही इसमें सफल हो पाते हैं.
“नेटवर्क इतना कमजोर है कि ज्यादातर ई-केवाईसी वेरिफिकेशन फेल हो जाते हैं”
उलगुलान फाउंडेशन (Ulgulan Foundation) के सह-संस्थापक राकेश पवार ने कहा, “हमने यहां अस्थायी कैंप लगाया है, क्योंकि यही एक जगह है जहां मोबाइल डेटा पकड़ता है, लेकिन नेटवर्क इतना कमजोर है कि ज्यादातर ई-केवाईसी वेरिफिकेशन फेल हो जाते हैं.”
e-KYC अनिवार्य किए जाने का फैसला बनी बड़ी चुनौती
राज्य सरकार का सभी लाभार्थियों के लिए e-KYC अनिवार्य किए जाने का फैसला अब इन इलाकों में एक बड़ी चुनौती बन गया है. वेबसाइट धीरे लोड होती है, ओटीपी देर से आते हैं या बिल्कुल नहीं आते, और आधार-लिंक्ड वेरिफिकेशन बार-बार फेल हो जाता है. एक व्यक्ति ने बताया कि 100 में से मुश्किल से 5 या 10 महिलाओं का ही काम पूरा होता है.
'300 रुपये किराया देकर पहाड़ी पार करनी पड़ती है'
एक महिला का कहना है कि तालुका कार्यालय तक पहुंचने के लिए हमें पहले पहाड़ी पार करनी पड़ती है, फिर आने-जाने का 300 रुपये किराया देना पड़ता है. हमारे लिए यह बार-बार संभव नहीं है.
सरकार ने कहा, e-KYC से कोई छूट नहीं मिलेगी
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने शुक्रवार को दोहराया कि e-KYC से कोई छूट नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा, “सिर्फ वेरिफाइड लाभार्थियों को ही राशि दी जाएगी. मुझे पता है दिक्कतें हैं, लेकिन यह प्रक्रिया जरूरी है. जरूरत पड़ी तो समयसीमा बढ़ाई जा सकती है, पर इसे पूरा करना अनिवार्य रहेगा.” वर्तमान डेडलाइन 15 नवंबर तय की गई है.
“हमने ऑपरेटरों को समस्या सुलझाने के लिए कहा है”
धडगांव तहसीलदार ज्ञानेश्वर सापकाले ने भी कनेक्टिविटी समस्या स्वीकार की. उन्होंने कहा, “चार-पांच महीने पहले मोबाइल टॉवर लगाए गए थे, लेकिन नेटवर्क अब भी कमजोर है. हमने ऑपरेटरों को समस्या सुलझाने के लिए कहा है. साथ ही, महिलाओं को कॉमन सर्विस सेंटर और आधार ऑपरेटरों की मदद से वेरिफिकेशन में सहायता दी जा रही है.”
महिला एवं बाल विकास विभाग ने की अपील
राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने हाल ही में घोषणा की थी कि सितंबर माह की राशि जारी कर दी गई है, और सभी लाभार्थियों को ladkibahin.maharashtra.gov.in पर दो महीने के भीतर e-KYC पूरा करने की अपील की थी, लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के नीचे उमड़े कमेंट्स ने ग्रामीणों की पीड़ा उजागर कर दी.
एक यूज़र ने पूछा, “जिन महिलाओं के पति या पिता की मृत्यु हो चुकी है, वे आधार लिंक कैसे करें?” दूसरे ने कहा, “मुझे सितंबर की राशि तो मिली, लेकिन ओटीपी कभी आता ही नहीं.” मंत्री तटकरे ने आश्वासन दिया कि विभाग ओटीपी और डेटा संबंधी तकनीकी समस्याओं को दूर करने के लिए काम कर रहा है.
ग्राउंड रियलिटी साफ है कि सरकार की डिजिटल योजनाएं तभी सफल होंगी, जब पहाड़ी गांवों तक नेटवर्क का सिग्नल सच में पहुंचेगा. फिलहाल, महिलाओं के लिए ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना पेड़ पर बंधे एक मोबाइल से जुड़ा है, जो हवा में झूलते हुए सिग्नल का इंतजार करता रहता है.