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डिजिटल इंडिया से लेकर साइंस और एजुकेशन तक में हुई तरक्की, राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जो देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करता है. राष्ट्रपति ने संविधान के निर्माण में शामिल सभी व्यक्तियों को कृतज्ञता व्यक्त की, विशेष रूप से डॉ. बीआर अंबेडकर और संविधान सभा के सदस्यों को.

डिजिटल इंडिया से लेकर साइंस और एजुकेशन तक में हुई तरक्की, राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 25 Jan 2025 10:48 PM IST

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. यह संदेश भारतीय संविधान के महत्व, भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों और भावी लक्ष्यों को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस भारत की सामूहिक शक्ति और लोकतांत्रिक मूल्यों का उत्सव है. 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ, जो देश को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करता है. राष्ट्रपति ने संविधान के निर्माण में शामिल सभी व्यक्तियों को कृतज्ञता व्यक्त की, विशेष रूप से डॉ. बीआर अंबेडकर और संविधान सभा के सदस्यों को.

राष्ट्रपति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शूरवीरों को नमन करते हुए उनकी बलिदान गाथाओं को याद किया. भगवान बिरसा मुंडा, महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ टैगोर, और बाबासाहेब अंबेडकर जैसे नायकों का विशेष उल्लेख किया. इन महान विभूतियों ने भारत के लोकतांत्रिक और नैतिक मूल्यों को फिर से जीवंत किया.

वैश्विक मंच पर कर रहे नेतृत्व

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संविधान, हमारी सामूहिक पहचान और प्रगति का आधार है. इसमें न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व जैसे मूल्य शामिल हैं. यह दस्तावेज़ भारत के हर नागरिक को समान अवसर प्रदान करता है और विकास के मार्ग को प्रशस्त करता है. भारत ने स्वतंत्रता के बाद से गरीबी, अशिक्षा और भुखमरी जैसे गंभीर मुद्दों का सामना किया. लेकिन मेहनती किसानों, मजदूरों और उद्योगपतियों की बदौलत भारत ने कृषि, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे में आत्मनिर्भरता हासिल की. आज भारत वैश्विक मंच पर एक सशक्त नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर रहा है.

योजनाओं की सराहना

राष्ट्रपति ने सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे जन धन योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना की सराहना की, जो वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने में सहायक रही हैं. साथ ही अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में भारतीय न्याय संहिता और अन्य नए कानूनों को लागू करने की योजना बनाई गई है. ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल के द्वारा संसाधनों की बचत और नीति निर्माण में निरंतरता की उम्मीद जताई गई.

डिजिटल ने लाई क्रांति

भारत ने डिजिटल क्रांति के माध्यम से वित्तीय पारदर्शिता और समावेशन को बढ़ावा दिया. UPI और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण प्रणाली ने करोड़ों लोगों तक सेवाएं पहुंचाई हैं. Insolvency and Bankruptcy Code जैसे कदमों से बैंकिंग व्यवस्था में सुधार हुआ है. भारत की सांस्कृतिक विरासत और भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए सरकार ने असमिया, बंगला, मराठी, पालि, और प्राकृत भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया. साथ ही, वडनगर में भारत का पहला Archaeological Experiential Museum स्थापित किया जा रहा है.

खेल, शिक्षा और विज्ञान

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दिया गया और महिला शिक्षकों की भागीदारी बढ़ी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई. भारत ने National Quantum Mission और Genome India Project जैसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किए हैं. ISRO की उपलब्धियों और अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता ने भारत को गौरवान्वित किया. उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों ने ओलंपिक, पैरालंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. राष्ट्रपति ने खेल सुविधाओं के विकास और खिलाड़ियों के प्रशिक्षण की सराहना की.

पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन

पर्यावरण संरक्षण के लिए 'मिशन लाइफ' और 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान जैसे प्रयासों का उल्लेख किया गया. राष्ट्रपति ने जलवायु संकट से निपटने के लिए सभी को अपने स्तर पर योगदान देने की अपील की. राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के संदेश को याद करते हुए नैतिकता और करुणा के महत्व पर बल दिया. उन्होंने नागरिकों से अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी पालन करने की अपील की.

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