बैंक मैनेजर ने लगाया बीफ पर बैन, तो वर्कर्स ने किया अनोखा प्रदर्शन, ऑफिस के बाहर परोसा....
केरल में एक अनोखा व विवादित प्रदर्शन देखने को मिला, जब एक बैंक मैनेजर ने अपने ऑफिस में बीफ लाने और खाने पर प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले से नाराज़ होकर बैंक के कर्मचारियों ने दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की. यह नजारा देखकर लोग हैरान रह गए, क्योंकि आमतौर पर दफ्तरों में ऐसे मुद्दों पर विरोध कम ही देखने को मिलता है.;
केरल के कोच्चि शहर में एक कैनरा बैंक ब्रांच अचानक सुर्खियों में आ गई. वजह थी एक अनोखा विरोध प्रदर्शन, जो आमतौर पर सड़कों या राजनीतिक मंचों पर देखा जाता है, लेकिन इस बार यह बैंक के बाहर हुआ. दरअसल बैंक मैनेजर से स्टाफ परेशान था. ऐसे में जब मैनेजर ने ऑफिस में बीफ पर बैन लगा दिया, तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाने की सोची.
जहां बैंक के कर्मचारियों ने ऑफिस के बाहर बीफ और परोट्टा परोस कर अपना विरोध जताया. कर्मचारियों का कहना है कि नए मैनेजर ने कैंटीन में बीफ परोसने पर रोक लगा दी, जो उनकी निजी पसंद में दखल है. उनका मानना है कि हर व्यक्ति को यह तय करने का अधिकार है कि वह क्या खाए और यह अधिकार संविधान द्वारा भी दिया गया है.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक (रीजनल मैनेजर) हाल ही में केरल में तैनात हुए हैं, जो बिहार से हैं. उन्होंने कथित तौर पर बैंक की कैंटीन में बीफ परोसने पर रोक लगा दी. केरल जैसे राज्य में बीफ आम तौर पर खाया जाता है. यह आदेश एक तरह से सांस्कृतिक हस्तक्षेप माना गया. वास्तव में पहले से ही बैंक कर्मचारी इस अधिकारी के व्यवहार से नाराज़ थे. बैंक एम्प्लॉईज़ फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) ने उनके 'मानसिक उत्पीड़न' और 'अपमानजनक बर्ताव' के खिलाफ प्रदर्शन की योजना बनाई थी. लेकिन जैसे ही उन्हें बीफ बैन की बात पता चली, प्रदर्शन का उद्देश्य बदल गया और अब यह खाने की स्वतंत्रता पर केंद्रित हो गया.
बीफ और परोट्टा बन गए विरोध का हथियार
प्रदर्शनकारियों ने बैंक के बाहर बीफ और परोट्टा परोसे. उनका मैसेज साफ था कि 'हम किसी पर कुछ खाने का दबाव नहीं बना रहे, लेकिन किसी को यह हक़ नहीं कि वो हमें क्या खाना है, यह तय करे.' प्रदर्शन शांति से हुआ, लेकिन उसका प्रभाव गहरा था.
बैंक में एक छोटा कैंटीन है जहां हफ्ते के कुछ दिन बीफ परोसा जाता है. कर्मचारियों का आरोप है कि नए मैनेजर ने साफ तौर पर कहा कि अब बीफ नहीं परोसा जाएगा. BEFI के नेता एस.एस. अनिल ने कहा कि 'भारत का संविधान हमें खाने की स्वतंत्रता देता है. हम उसी अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.'
राजनीतिक समर्थन भी मिला
इस मुद्दे पर राज्य के नेताओं ने भी आवाज़ उठाई. वामपंथी नेता और स्वतंत्र विधायक के.टी. जलील ने फेसबुक पर इस प्रदर्शन की सराहना की. उन्होंने पोस्ट कर लिखा ' क्या पहनना है, क्या खाना है और क्या सोचना है, यह कोई अधिकारी तय नहीं कर सकता है.' उन्होंने यह भी कहा कि केरल में संघ परिवार के एजेंडे को स्वीकार नहीं किया जाएगा. उनकी पोस्ट में यह भी साफ किया गया कि केरल की ज़मीन "लाल" है. यानी वामपंथी विचारधारा से जुड़ी है और यहां फासीवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पहले भी हो चुका है बीफ को लेकर विवाद
यह पहला मौका नहीं था, जब केरल में बीफ को लेकर विरोध हुआ हो. 2017 में केंद्र सरकार ने मवेशियों की बिक्री पर कुछ पाबंदियां लगाई थीं, जिससे बीफ स्लॉटर पर असर पड़ा था. तब भी केरल में बीफ फेस्ट और सार्वजनिक भोजन कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों ने अपना विरोध जताया था.