J&K: एक दिन पहले अगवा हुए जवान का मिला शव, शरीर पर गोलियों के कई निशान
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग इलाके में आतंकवादियों द्वारा अपहृत प्रादेशिक सेना के जवान का शव बरामद कर लिया गया है, जिस पर गोलियों के घाव हैं. वह कल से लापता बताए जा रहे थे और वहां सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी अभियान चलाया जा रहा था.;
Jammu-& Kashmir News: जम्मू और कश्मीर में TA यानी प्रादेशिक सेना के दो जवानों को बीते दिन आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया लिया था. जिसने से एक शव बरामद कर लिया गया है. पुलिस सूत्रों ने बुधवार, 9 अक्टूबर को बताया कि जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों द्वारा अपहरण किए जाने के बाद एक भारतीय सेना का जवान मृत पाया गया, जिसके शरीर पर गोली के निशान थे.
बीते दिन 8 अक्टूबर को सेना और जम्मू- कश्मीर पुलिस द्वारा शुरू किए गए संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियान अनंतनाग के जंगल क्षेत्र से प्रादेशिक सेना की 161वीं इकाई के दो जवानों का अपहरण कर लिया गया था. लेकिन, उनमें से एक दो गोलियां लगने के बावजूद भागने में सफल रहा.
चुनाव के परिणाम आने के बाद ही कश्मीर के अनंतनाग जिले में बड़ी आतंकी हरकत सामने आई है. कोकरनाग इलाके के शांगस से आतंकवादियों ने टेरिटोरियल आर्मी के एक जवान का अपहरण कर लिया था जिसका शव अब जंगल से मिला है.
सर्च ऑपरेशन
जम्मू और कश्मीर पुलिस जवान की जगह-जगह तलाश कर रही थी. इसके लिए सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. जानकारी के अनुसार आतंकवादी एक सैनिक का अपहरण करना चाहते थे लेकिन वह आतंकियों को चकमा देकर भागने में सफल निकला.
पहले भी किया था अपहरण
खबरों की मानें तो सैनिक के अपहरण की यह घटना पहली बार सामने नहीं आई है. इससे पहले साल 2020 में आतंकियों ने कश्मीर टेरिटोरियल सेना के जवान शाकिर मंजूर को अगवा किया था. इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया था. किडनैपिंग के पांच दिन बाद शाकिर के परिवार को उनके कपड़े मिले थे.
शाकिर मंजूर को 2 अगस्त, 2020 के दिन किडनैपिंग किया गया था. आतंकियों ने उसकी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया. काफी तलाशी के बाद भी उसका कुछ नहीं पता चला. फिर एक साल बाद सितंबर, 2023 में उसका शव बरामद हुआ था.
घर के पास से अपहरण
जानकारी के मुताबिक शाकिर मंजूर का अपहरण तब हुआ जब वह 2 अगस्त 2020 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां के हरमैन में अपने घर के पास थे. वह बकरीद मनाने के लिए अपने घर पहुंचे हुए थे. अपहरण के बाद सैनिक के पिता मंजूर अहमद ने बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि मेरा बेटा एक सैनिक था. जब मुझे उसका शव मिला तो मैं सदमे में आ गया. हादसे वाले दिन वह बालापोरा कैंप तैनात था. ऑफिशियल मेल के बाद उसे कैंप छोड़ने की अनुमति मिली थी. वह कार से घर आने के लिए निकला था. हमने फोन किया तो उसने पहले कहा था कि वह एक घंटे में घर पहुंच जाएगा, लेकिन वापस नहीं आया.