कौन हैं बानू मुश्ताक? लंदन में इंटरनेशनल बुकर अवॉर्ड से हुई सम्मानित, जानें उनकी हार्ट लैम्प कलेक्शन के बारे में
Who is Banu Mushtaq: कर्नाटक की लेखिका बानू मुश्ताक को उनके हार्ट लैम्प कलेक्शन के लिए लदंन में इंटरनेशनल बुकर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. मुश्ताक ने 1970 और 1980 के दशक में प्रगतिशील विरोध साहित्यिक मंडलों के भीतर लिखना शुरू किया था.;
Who is Banu Mushtaq: कर्नाटक की रहने वाली फेमस लेखिका बानू मुश्ताक (77) इन दिनों चर्चा में बनी हुई हैं. मंगलवार (20 मई) को उन्हें अपनी शॉर्ट स्टोरी संग्रह हार्ट लैंप के लिए इंटरनेशनल बुकर अवॉर्ड 2025 मिला है. वह इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बन गईं.
बानू एक वकील और कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने इस पुरस्कार को अपनी अनुवादक दीपा भस्ती के साथ शेयर किया, जिसमें 50 लाख, 25 हजार रुपये का प्राइस भी शामिल था. मुश्ताक की हार्ट लैम्प शॉर्ट स्टोरी संग्रह के लिए पहली बार बुकर प्राइज जीतने वाला संग्रह बन गया. देश भर से उन्हें शुभकामनाएं मिल रही हैं.
अवॉर्ड मिलने पर क्या बोलीं लेखिका?
बानू मुश्ताक को यह सम्मान लंदन स्थित टेट मॉर्डन गैलरी में आयोजित एक कार्यक्रम में मिला. इस पर खुशी जाहिर करते हुए बानू कहती हैं कि यह पल ऐसा लगता है जैसे हजारों जुगनू एक ही आसमान को रोशन कर रहे हों. मैं इस अवॉर्ड को एक व्यक्ति नहीं बल्कि अन्य लोगों के साथ मिलकर उठाई गई आवाज के रूप में स्वीकार करती हूं.
जानिए बानू मुश्ताक के बारे में
बानू मुश्ताक देश की प्रसिद्ध लेखिका हैं. मुश्ताक ने 1970 और 1980 के दशक में प्रगतिशील विरोध साहित्यिक मंडलों के भीतर लिखना शुरू किया था. 2025 के जजों ने उनके हार्ट लैम्प संग्रह की सराहना की. जिसमें कहा गया कि समाज के किनारे पर रहने वाले लोगों के जीवन की गहरी पड़ताल करने वाली ये जीवंत कहानियां गहरी भावनात्मक और नैतिक वजन रखती हैं.
उन्होंने छह शॉर्ट स्टोरी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह लिखा है. उनकी कन्नड़ लेखन ने अन्य प्रमुख पुरस्कार भी जीते हैं, जिनमें कर्नाटका साहित्य अकादमी और दाना चिंतामणि अट्टिमबे पुरस्कार शामिल हैं. उनकी बुकर प्राइज विजेता परियोजना उनके काम का अंग्रेजी में पहला पुस्तक-लंबा अनुवाद है. इससे पहले इसे उर्दू, हिंदी, तमिल और मलयालम में अनुवादित किया गया था.
क्या है हार्ट लैम्प?
हार्ट लैम्प एक शॉर्ट स्टोरी का एक संग्रह है जो दक्षिण भारत के मुस्लिम समुदायों में महिलाओं और लड़कियों की जिंदगी पर आधारित है. उसमें बताया गया है कि इन महिलाओं की जिंदगी कैसी होती हैं, उन्हें क्या समस्याएं झेलनी पड़ती हैं. कहानी में हास्य, चिंता, इमोशनली सपोर्ट जैसी और सामाजिक ताना-बाना को दर्शाया गया है.