NSA की गुडबुक के “TOPPER” IPS तपन डेका को DIRECTOR IB का सेवा-विस्तार यूं ही नहीं दिया गया? पढ़ें INSIDE STORY

आईपीएस तपन कुमार डेका को इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक पद पर एक साल का सेवा-विस्तार मिला है. 1988 बैच के अधिकारी डेका पिछले 26 वर्षों से आईबी से जुड़े रहे हैं. आतंकवाद विरोधी अभियानों, विशेषकर कश्मीर घाटी में, उनकी भूमिका निर्णायक रही है. पुलवामा और पठानकोट हमलों के बाद ऑपरेशन्स में उनका नेतृत्व सराहा गया. NSA अजित डोभाल के करीबी माने जाने वाले डेका ने IB की जिम्मेदारी को महज नौकरी नहीं, बल्कि सेवा भाव से जिया है.;

By :  संजीव चौहान
Updated On : 24 May 2025 4:35 PM IST

अमूमन भारत की ब्यूरोक्रेसी (विशेषकर भारतीय पुलिस सेवा IPS) के अधिकारी खुफिया एजेंसी RAW और IB की पोस्टिंग से कन्नी काटते हैं. क्योंकि इन दोनो ही जगहों की नौकरी/पोस्टिंग में खतरे व जिम्मेदारियां ज्यादा और सिविल पुलिस की तरह ‘सुकून’ न के बराबर होता है. भारतीय पुलिस सेवा 1988 बैच हिमाचल प्रदेश कैडर के अधिकारी तपन कुमार डेका (IPS Tapan Kumar Deka) की सोच मगर, इससे एकदम हमेशा अलग रही है.

अपने गजब के ‘खुफियागिरी’ हुनर (जासूसी के महारथी) के चलते ही, तपन कुमार डेका भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (NSA Ajit Dobal) की भी हमेशा ‘गुडबुक’ में टॉप पर रहे हैं. उन्होंने भारत के खुफिया विभाग की नौकरी को अपनी पीछे की तमाम उम्र में ‘ढोया’ नहीं, बल्कि दिल-ओ-जान से “जिया” है. इनसाइड स्टोरी में पढ़ते हैं कि आखिर क्यों और कैसे भारत सरकार ने, ऐसे बिरला ब्यूरोक्रेट (आईपीएस) को खुफिया-विभाग (Director IB) के निदेशक-पद पर, एक साल का और सेवा-विस्तार देना जरूरी समझा है? यह भी जिगर या कहिए निष्ठा तपन कुमार डेका की ही है जोकि वह साल 1998 में यानी अब से करीब 25-26 साल पहले आईबी से जुड़ने के बाद, बस उसी के होकर रह गए.

रॉ-आईबी की नौकरी में भूल ‘अक्षम्य-अपराध’

दरअसल, भारत में रॉ और आईबी दोनों ही विभाग किसी आईपीएस की नजर से बेहद अहम और जिम्मेदारी वाली 'नौकरी' होती है. जिसकी तैनाती में लापरवाही को सीधे-सीधे 'अक्षम्य-अपराध' की श्रेणी में रखा जाता है. भारतीय पुलिस सेवा भारत की केंद्र सरकार के अधीन होने के चलते, रॉ और आईबी में कुछ साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर नौकरी करना सभी आईपीएस के लिए अनिवार्य होता है. इसके इतर कुछ ऐसे भी पुलिस अफसर देश में मौजूद हैं या थे, जो अपनी नौकरी का ज्यादा से ज्यादा वक्त रॉ और आईबी जैसे अति-संवेदनशील महकमों में ही बिताना-पूरा करना भी चाहते रहे थे और आज भी चाहते हैं.

हर कोई IPS Tapan Kumar Deka नहीं बन पाता

जो आईपीएस (ब्यूरोक्रेट) आईबी (Intelligence Bureau) की नौकरी को 'टफ' या 'ड्राई' पोस्टिंग समझते हैं, वह प्रति-नियुक्ति यानी डेप्युटेशन (Deputation) पर नौकरी पूरी करके दो-चार साल में अपने मूल राज्य पुलिस कैडर में वापिस आ जाता हैं. जो आईपीएस अधिकारी ऐसी संवेदनशील प्रति-नियुक्ति से कुछ सीखना-समझना चाहते हैं और, रॉ व सिविल पुलिस की आराम-तलबी के बजाए, रॉ-आईबी की नौकरी ‘सेवा’ भाव से 'जीना' चाहते हैं, वही आईपीएस भारत सरकार की नजरों में तपन कुमार डेका बन पाते हैं. जो इंटेलीजेंस ब्यूरो जैसी बेहद संवेदनशील सेवा-नियुक्ति को भोगने नहीं या, उसे वजन समझकर सिर्फ नौकरी की खाना-पूर्ति करने नहीं पहुंचते अपितु, उसे ‘जीने’ और देश के लिए कुछ कर गुजरने आते हैं.

डेका इसलिए बने थे आईबी के निदेशक

तपन कुमार डेका ने इंटेलीजेंस ब्यूरो को नौकरी की तरह कभी लिया ही नहीं. इसीलिए उनके आईपीएस जीवन का अगर पिछला रिकार्ड पलट कर देखें तो, पता चलता है कि उन्होंने अपनी पुलिस सेवा की अधिकांश नौकरी इसी इंटेलीजेंस ब्यूरो में पूरी कर ली है. हिमाचल प्रदेश पुलिस के अपने मूल आईपीएस कैडर में वापिसी में उन्होंने कभी रुचि ही जाहिर नहीं की. तपन कुमार डेका की आईबी के प्रति इसी लगन का नतीजा है कि, किसी जमाने में कुछ साल (अस्थाई तौर पर) के लिए आईबी में पहुंचने वाले, तपन कुमार डेका न केवल, भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी में विशेष-निदेशक पद तक पहुंचे. अपितु साल 2022 में उन्हें भारत सरकार ने आईबी जैसी संवेदनशील खुफिया एजेंसी का स्पेशल निदेशक से निदेशक (विभाग-प्रमुख) भी बनाया. तब उनका आईबी निदेशक का कार्यकाल 2 साल का था. जोकि अब पूरा हो चुका है.

डेका को सेवा-विस्तार मिलने की वजह

अब जब उनका निदेशक आईबी के पद का सेवाकाल (दो साल) 30 जून को पूरा होने वाला हो. तो तपन कुमार डेका की काबिलियत और आईबी के प्रति उनके समर्पण, इनके पिछले लंबे बेदाग सेवाकाल में उनके नेतृत्व में देशहित में आईबी द्वारा किए गए ‘अविस्मरणीय-कार्यों’ के चलते, अब उन्हें फिर से आगामी एक वर्ष के लिए निदेशक आईबी के पद पर सेवा-विस्तार दे दिया गया है. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति (Appointments Committee of the Cabinet यानी ACC) द्वारा लिया गया है. यह सेवा-विस्तार अवधि आगामी यानी साल 2026 जून महीने में पूर्ण हो जाएगी. इससे पहले भी उन्हें एक साल का सेवा-विस्तार दिया जा चुका है.

पहली बार साल 2022 में IB निदेशक बने थे

पहले अतिरिक्त निदेशक और फिर विशेष निदेशक पद पर आईबी में ही तैनात रहने वाले, आईपीएस अधिकारी तपन कुमार डेका (IPS T K Deka) बाद में इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक बने. उनका जन्म 25 फरवरी साल 1963 को हुआ था. तपन कुमार डेका आईबी के इतिहास में उसके 28वें निदेशक हैं. भारतीय पुलिस सेवाकाल के हिसाब से वह साल 2021 में महानिदेशक पद के लिए पदोन्न्त हो चुके थे. 30 जून 2022 में आईपीएस अधिकीर अरविंद कुमार की सेवा-निवृत्ति से रिक्त हुए पद पर तपन कुमार डेका को पहली बार 1 जुलाई 2022 में Director Intelligence Bureau बनाया गया था. हालांकि अब जब तपन कुमार डेका को आईबी निदेशक के पद पर एक साल का सेवा-विस्तार मिल गया है, तब ऐसे में वरिष्ठता क्रम में उनके बाद आईबी निदेशक बनने वाले भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के लिए, डेका का यह सेवा-विस्तार एक ‘चौंकाने वाला फैसला’ होगा.

IPS की भीड़ से अलग ब्यूरोक्रेट तपन डेका

तपन कुमार डेका के आईबी में लंबे अनुभव, आईबी और भारत के प्रति उनकी अटूट लगन ने तो उन्हें एक साल का सेवा-विस्तार दिलवाने में अहम किरदार निभाया ही है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर घाटी में उनकी अंदरूनी खास पकड़ भी, डेका को निदेशक आईबी के पद पर दूसरी बार सेवा-विस्तार दिलवाने में ‘मील का पत्थर’ सिद्ध हुई है. मतलब, साफ है कि तपन कुमार डेका को आईबी में उनके दूसरे सेवा-विस्तार के लिए उनकी केवल सुलझे हुए आईपीएस की छवि ही नहीं, अपितु उनकी आईबी में जबरदस्त नेतृत्व क्षमता, आईबी के अंदर उनकी पकड़ भी, उनके इस दूसरे सेवा-विस्तार में अहम भूमिका में खड़ी रही है.

तपन डेका और उनके यादगार काम

बीते चार-पांच साल से जबसे तपन कुमार डेका आईबी में मुखिया नंबर-1 और दो के पदों पर पहुंचे हैं. तभी से देश को कई आंतरिक और वाह्य मुसीबतों से भी जूझना पड़ा है. इनमें से अधिकांश जटिल-संवेदनशील चुनौतियों का भारत की आतंरिक खुफिया एजेंसी यानी इंटेलीजेंस विभाग ने जिस तरह की कार्यकुशलता पेश की है. वह भी आईपीएस तपन कुमार डेका को दुबारा आईबी निदेशक पद पर सेवा-विस्तार में अहम भूमिका निभा रही है. आतंकवाद विरोधी अभियानों के तपन कुमार डेका आईबी में विशेषज्ञ माने जाते है. और बीते चार-पांच साल से देश आतंकवाद की समस्या से किस कदर जूझ रहा है? यह जग-जाहिर है.

संयुक्त निदेशक (ऑपरेशंस) का अनुभव

जम्मू कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर अंकुश लगाने में तपन कुमार डेका की कार्य-प्रणाली, अतीत में आईबी और भारत सरकार के लिए तुरुप का पत्ता साबित हुई है. इंटेलीजेंस ब्यूरो में जब वह संयुक्त निदेशक ऑपरेशंस थे तब, कश्मीर घाटी में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन और इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahidin) जैसे भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन कहर बरपा रहे थे.

पुलवामा और पठानकोट हमले से संबंध

उस वक्त इन्हीं तत्कालीन आईबी संयुक्त निदेशक (ऑपरेशंस) तपन कुमार डेका की टीम ने, कई अहम खुफिया जानकारियां वक्त रहते जुटाकर, उन आतंकवादी संगठनों की कमर तोड़ी थी. बात जब तपन कुमार डेका को भारत सरकार द्वारा जब दूसरी बार आईबी के निदेशक पद पर सेवा-विस्तार की हो तो ऐसे में, साल 2015-2016 में आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिए गए पठानकोट एयरबेस कांड (Pathankot Airbase Terror Attack) और साल 2019 में पुलवामा (Pulwama Terror Attack) में सीआरपीएफ (CRPF Terror Attack) काफिले के ऊपर हुए आतंकवादी हमले, के बाद आतंकवादियों के खिलाफ छेड़े गए कई विशेष अभियानों का भी चर्चा करना यहां जरूरी हो जाता है.

 

पूर्व ब्यूरोक्रेट बोले-युद्ध में जनरल और घोड़े नहीं बदलते

बीते करीब 26 साल से भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी यानी इंटलीजेंस ब्यूरो में तैनात, आईपीएस तपन कुमार डेका (TK Deka) निदेशक पद पर सेवा-विस्तार को लेकर स्टेट मिरर हिंदी ने बात की, पूर्व वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट (भारतीय विदेश सेवा Indian Foreign Service) के अधिकारी अशोक सज्जनहार से. अशोक सज्जनहार कजाकिस्तान, स्वीडन और लातविया में भारत के राजदूत रह चुके हैं. भारत सरकार के गृह मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, नेशनल फाउंडेशन फॉर कम्यूनल हार्मोनी के सचिव/प्रमुख कार्यकारी अधिकारी भी रहे हैं.

कौन हैं अशोक सज्जनहार...

अशोक सज्जनहार (IFS Ashok Sajjanhar) वाशिंगटन, मॉस्को, ब्रुसेल्स, जिनेवा, बैंकॉक, तेहरान ढाका आदि देशों में मौजूद, भारतीय दूतावासों में अन्य कई अहम पदों पर भी नियुक्त रहकर सेवाएं दे चुके हैं. आईपीएस तपन कुमार डेका को ऐसे वक्त में जब “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद से दुनिया की नजरें भारत की हुकूमत और उसकी सेनाओं पर लगी हैं. ऐसे नाजुक वक्त में तपन कुमार डेका का एक साल के लिए आईबी निदेशक के पद पर सेवा-विस्तार का क्या मतलब है? पूछने पर अशोक सज्जनहार बोले एक कहावत है कि, "युद्ध के दौरान किसी भी देश को जंग-ए-मैदान में जूझ रहे जनरल और घोड़ों को कभी नहीं बदलना चाहिए.”

तपन कुमार का सेवा-विस्तार अचूक नुस्खा

तपन कुमार डेका को आईबी निदेशक के पद पर एक साल का विस्तार इसका मौजूदा वक्त में सबसे अहम और मील के पत्थर जैसा उदाहरण है दुनिया के लिए." उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है आईबी रॉ में अब से पहले इस तरह के सेवा-विस्तार न दिए गए हों. इस वक्त ऑपरेशन सिंदूर के बाद जिस दौर से भारत गुजर रहा है यह वक्त बेहद सतर्कता रखने वाला है. ऐसे वक्त में नया आईबी प्रमुख न बैठाकर पुराने को ही सेवा-विस्तार दिया जाना सफलता का अचूक नुस्खा साबित होगा."

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