'पानी-पानी' के लिए तरसेगा पाकिस्तान, पंजाब-सिंधु में पड़ेगा सूखा! भारत की नई 'जल नीति' से चैन की नींद नहीं सो पाएगा ना 'पाक'
भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करते हुए पाकिस्तान पर बड़ा कूटनीतिक वार किया है. यह फैसला हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया, जिसमें पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भारत आक्रोशित है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात बंद नहीं करता, तब तक भारत पानी नहीं देगा. प्रधानमंत्री मोदी के 'पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते' बयान ने इस फैसले को और मजबूती दी है.;
Indus Waters Treaty, Water War India Pakistan: भारत ने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. इस निर्णय के तहत, भारत अब सिंधु नदी प्रणाली के पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब से अपने अधिकतम वैध उपयोग की योजना बना रहा है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाली जल आपूर्ति में उल्लेखनीय कमी आ सकती है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समाप्त नहीं करता, तब तक यह संधि निलंबित रहेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, 'पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते,' जो इस नीति परिवर्तन की गंभीरता को दर्शाता है.
भारत की इस रणनीति का उद्देश्य पाकिस्तान पर दबाव बनाना है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास वर्तमान में पश्चिमी नदियों के जल को पूरी तरह से रोकने या मोड़ने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा नहीं है. हालांकि, भारत द्वारा बगलीहार डैम के दो गेट खोलने से चिनाब नदी में जल स्तर में वृद्धि हुई है, जिससे पाकिस्तान में जल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा है.
पाकिस्तान ने की संधि के निलंबन पर पुनर्विचार करने की अपील
पाकिस्तान ने भारत से संधि के निलंबन पर पुनर्विचार करने की अपील की है, क्योंकि यह देश की जल आपूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, भारत का रुख स्पष्ट है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक संधि बहाल नहीं की जाएगी.क्या है सिंधु जल संधि?
बता दें कि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी, जिसके तहत दोनों देशों के बीच छह नदियों का पानी आवंटित किया गया था. भारत पूर्वी नदियों (सतलज, ब्यास और रावी) को नियंत्रित करता है, जबकि पाकिस्तान का पश्चिम नदियों यानी सिंधु, झेलम और चिनाब पर नियंत्रण है. इस संधि के मुताबिक, भारत को सिंचाई और जल विद्युत परियोजनाओं के लिए पश्चिमी नदियों के सीमित उपयोग की अनुमति है, लेकिन वह पाकिस्तान में जल प्रवाह को बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं कर सकता.
रणबीर नहर का विस्तार करने की योजना बना रहा भारत
- भारत अब सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले जल पर अपना हक़ मजबूत करने की दिशा में बड़े कदम उठा रहा है, विशेषकर सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.
- इस दिशा में एक प्रमुख योजना चिनाब नदी पर बनी रणबीर नहर के विस्तार की है, जिसे 60 किलोमीटर से बढ़ाकर 120 किलोमीटर तक किया जाएगा.
- इससे जल मोड़ने की क्षमता 40 घन मीटर प्रति सेकंड से बढ़कर 150 घन मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी, जो सीधे पाकिस्तान के कृषि-प्रधान पंजाब प्रांत को प्रभावित करेगी.
- भारत कई अन्य सिंचाई व जलविद्युत परियोजनाओं पर भी विचार कर रहा है, जिनका उद्देश्य पश्चिमी नदियों के पानी को उत्तर भारत की नदियों में पुनर्निर्देशित करना है. यह वह कदम है जो पहले सिंधु जल संधि की सीमाओं के भीतर नहीं उठाया गया था.
- नई योजनाओं में बड़े बांधों का निर्माण भी शामिल है, जिससे जल भंडारण की भारत की क्षमता में भारी इजाफा होगा.
पाकिस्तान के लिए बजी खतरे की घंटी
पाकिस्तान की कृषि और ऊर्जा जरूरतें लगभग 80% तक सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर हैं. ऐसे में जल प्रवाह में कोई भी बड़ी कटौती उसकी खाद्य सुरक्षा, बिजली उत्पादन और अर्थव्यवस्था को सीधे प्रभावित कर सकती है. हाल ही में इस्लामाबाद ने आरोप लगाया कि भारतीय रखरखाव कार्य के बाद एक महत्वपूर्ण जल प्राप्ति बिंदु पर 90% तक जल स्तर गिर गया है. पाकिस्तान ने भारत की योजनाओं की आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि यदि भारत ने जल रोकने या मोड़ने की कोशिश की, तो उसे 'युद्ध की कार्रवाई' माना जाएगा. दुनिया भर में सबसे सफल जल-बंटवारे समझौतों में गिनी जाने वाली सिंधु जल संधि, अब टूटने की कगार पर खड़ी नजर आ रही है.
मुख्य बिंदु:
- भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया है, जिससे पाकिस्तान को मिलने वाली जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
- यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है, ताकि वह आतंकवाद का समर्थन बंद करे.
- पाकिस्तान ने इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है और भारत से पुनर्विचार करने की अपील की है.
- भारत की नीति स्पष्ट है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं करता, तब तक संधि बहाल नहीं की जाएगी.
- भारत के इस कदम से पाकिस्तान के दो प्रांतों (पंजाब और सिंध) में सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.
- संधि के तहत भारत को पश्चिमी नदियों पर 3.6 मिलियन एकड़-फीट पानी स्टोर करने का अधिकार है.
- भारत की अनुमानित विद्युत उत्पादन क्षमता 20,000 मेगावाट है, लेकिन अब तक सिर्फ 3,482 मेगावाट का निर्माण हुआ है.
भारत ने सिंधु जल संधि को हथियार बनाकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई है. इससे न सिर्फ पाकिस्तान की जल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, बल्कि भारत अपनी जल व ऊर्जा सुरक्षा को और मज़बूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगा.