अब हर कॉल पर दिखेगा असली नाम! मार्च 2026 तक लॉन्च होगा भारत का अपना कॉलर आईडी, कैसे काम करेगा CNAP सिस्टम?

भारत में कॉलर की असली पहचान दिखाने वाला सिस्टम जल्द आ रहा है. TRAI ने “Calling Name Presentation (CNAP)” को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत मोबाइल कॉल पर कॉलर का नाम KYC डेटा के आधार पर दिखेगा. यह सिस्टम Truecaller जैसे थर्ड-पार्टी ऐप्स से अधिक भरोसेमंद होगा. CNAP का देशभर में रोलआउट मार्च 2026 तक होने की उम्मीद है. फिलहाल इसका ट्रायल हरियाणा में शुरू हो चुका है और यह सुविधा 4G व 5G नेटवर्क पर उपलब्ध होगी.;

( Image Source:  Sora AI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 31 Oct 2025 9:20 PM IST

भारत में अब मोबाइल कॉलर पहचानने का तरीका पूरी तरह बदलने जा रहा है. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने एक नए सिस्‍टम - “कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP)” - लागू करने की मंजूरी दे दी है. यह फीचर हर आने वाली कॉल पर कॉल करने वाले व्यक्ति का नाम सीधे टेलीकॉम कंपनी के KYC रिकॉर्ड से दिखाएगा. यानी अब आपके फोन पर किसी अंजान नंबर से कॉल आने पर स्क्रीन पर कॉल करने वाले का असली नाम नज़र आएगा.

यह सिस्टम अभी कुछ राज्यों में टेस्टिंग फेज में है, और देशभर में इसे 31 मार्च 2026 तक लॉन्च करने की योजना है. माना जा रहा है कि इस फीचर के लागू होने से स्पैम कॉल, फ्रॉड कॉल और टेलीमार्केटिंग से जुड़ी दिक्कतें काफी कम हो जाएंगी.

क्या है CNAP सिस्टम?

CNAP का पूरा नाम है Calling Name Presentation. यह फीचर अब तक इस्तेमाल होने वाले CLI (Calling Line Identification) से एक कदम आगे है. अभी तक जब कोई कॉल करता है, तो आपके फोन पर केवल नंबर दिखाई देता है. लेकिन CNAP लागू होने के बाद कॉल के साथ-साथ उस व्यक्ति का नाम भी दिखाई देगा - वही नाम जो उन्होंने SIM कार्ड खरीदते वक्त KYC में दर्ज कराया था. इस तरह यह Truecaller जैसे ऐप्स से अलग होगा, क्योंकि Truecaller भीड़-आधारित (crowd-sourced) डेटा पर निर्भर रहता है, जो कई बार गलत या अधूरा होता है. जबकि CNAP टेलीकॉम कंपनियों के आधिकारिक डेटाबेस से जानकारी लेगा, जो कहीं ज़्यादा सटीक होगी.

कैसे काम करेगा CNAP?

CNAP एक नेटवर्क-लेवल कॉलर आइडेंटिफिकेशन सिस्टम है. यानी जब कोई यूज़र कॉल करेगा, तो उसका नाम नेटवर्क से जुड़ी डेटाबेस सिस्टम से प्राप्त किया जाएगा और रिसीवर के फोन पर नंबर के साथ दिखेगा. TRAI इस सिस्टम के लिए एक सेंट्रल डेटाबेस बनाने पर विचार कर रहा है, जिसकी लोकल कॉपियां हर टेलीकॉम कंपनी के पास होंगी. इससे कंपनियों के बीच डेटा शेयरिंग और कॉलर आइडेंटिफिकेशन और तेज़ व सटीक होगा. इसके अलावा, यह सेवा इंटरनेट पर निर्भर नहीं होगी, यानी जिन लोगों के पास मोबाइल डेटा या वाई-फाई नहीं है, वे भी इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे.

CNAP कब और कैसे लागू होगा?

रिपोर्ट्स के अनुसार, CNAP का पायलट प्रोजेक्ट वोडाफोन-आइडिया ने हरियाणा में शुरू कर दिया है, जबकि जियो जल्द ही अपना ट्रायल रन शुरू करने जा रहा है. यह सिस्टम फिलहाल केवल 4G और 5G डिवाइसों पर उपलब्ध होगा. इसका मतलब यह है कि करीब 20 करोड़ 2G यूज़र्स अभी इस सुविधा से वंचित रहेंगे. हालांकि TRAI का कहना है कि धीरे-धीरे सभी नेटवर्क्स और डिवाइसों में इसे लागू किया जाएगा. शुरुआती चरण में TRAI ने 2022 के ड्राफ्ट में कहा था कि CNAP वैकल्पिक सेवा (opt-in) होगी - यानी यूज़र चाहें तो इसे सक्रिय कर सकते हैं. लेकिन अब योजना है कि इसे डिफॉल्ट रूप से सक्षम (enabled by default) किया जाएगा, और जो लोग इसे नहीं चाहते, उन्हें opt-out करना होगा.

टेलीमार्केटर्स और बिज़नेस कॉलर्स के लिए नियम

CNAP के लागू होने के बाद टेलीमार्केटर्स, कंपनियां और बड़े संगठनों के नाम भी कॉल पर दिखाई देंगे. यानी अब जब कोई बैंक, बीमा कंपनी या टेलीकॉम एजेंसी आपको कॉल करेगी, तो स्क्रीन पर “XYZ Bank Official Call” या “Telemarketing - ABC Pvt Ltd” जैसा नाम दिखेगा. जो संस्थान bulk SIM cards इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अपने संगठन का नाम चुनने का विकल्प मिलेगा. इससे फ्रॉड कॉलर्स और फर्जी एजेंट्स की पहचान आसानी से की जा सकेगी.

CNAP से क्या फायदे होंगे?

  • स्पैम और फ्रॉड कॉल में कमी: अब कॉलर का नाम पहले से दिखने के कारण यूज़र तुरंत पहचान सकेंगे कि कॉल असली है या नहीं.
  • सुरक्षा में बढ़ोतरी: यह सिस्टम ऑनलाइन स्कैम और फिशिंग कॉल्स से बचाव में मदद करेगा.
  • यूज़र अनुभव में सुधार: लोगों को अब Truecaller या अन्य थर्ड-पार्टी ऐप्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
  • डेटा प्राइवेसी: क्योंकि यह सेवा टेलीकॉम नेटवर्क स्तर पर है, इसमें निजी डेटा किसी बाहरी ऐप को साझा नहीं किया जाएगा.

चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि CNAP सिस्टम के लिए तकनीकी अपग्रेड, सर्वर इंटीग्रेशन और डेटा शेयरिंग के नए प्रोटोकॉल की ज़रूरत होगी. टेलीकॉम कंपनियों को बड़े स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा. साथ ही, TRAI को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि प्राइवेसी कानूनों का पालन किया जाए और किसी यूज़र का डेटा दुरुपयोग न हो. फिर भी, विशेषज्ञ मानते हैं कि CNAP का आगमन भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा. यह न केवल यूज़र्स को सटीक जानकारी देगा, बल्कि डिजिटल सुरक्षा और पारदर्शिता की दिशा में भी बड़ा सुधार लाएगा.

Similar News