INSIDE STORY: "ऑपरेशन सिंदूर" से मजबूत हुई भारत की विदेश-रक्षा और कूटनीति ने कई दोस्त 'संदेह' की हद में ला दिए!
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान पर कहर बनकर हमला किया और दुनिया को भारत की सैन्य शक्ति का अहसास करा दिया. इस दौरान रूस, फ्रांस और इजराइल भारत के सच्चे मित्र साबित हुए, जबकि अमेरिका और चीन की खामोशी व भ्रम ने संदेह पैदा किया. मुस्लिम और इस्लामिक देशों की तटस्थता भी सवालों में रही. विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका भारत के उभरते वर्चस्व से डरता है और पाकिस्तान को सिर्फ अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है.;
‘ऑपरेशन सिंदूर’ जिस तरह से अकाल मौत बनकर पाकिस्तानी आतंकवादी अड्डों के ऊपर कूदा, उसकी जानलेवा धमक दुनिया ने सुनी. धमक से भारत के दुश्मन हिल गए और दोस्तों के चेहरे खिल उठे. अधमरा पाकिस्तान घुटनों के बल बैठकर भारत के सामने रहम की भीख के लिए गिड़गिड़ाया तो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सरकार ने दरियादिली दिखाते हुए भीख में पाकिस्तान को ‘सीजफायर’ दे दिया. इस नसीहत के साथ कि अगर अब पाकिस्तान ने अपने यहां पले-बढ़े एक भी आतंकवादी को अगर भारत की ‘सैर’ पर भेजा तो, फिर भारत ‘एक्ट ऑफ वॉर’ समझकर, पाकिस्तान के ऊपर रहम खाए बिना सीधे ‘युद्ध’ का सा जवाब देगा.
यह सब बात तो रही ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मची उठा-पटक की. अब जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर के अंदर छिपी दोस्त और दुश्मनों की इनसाइड स्टोरी. जिसके मुताबिक पाकिस्तान के लिए अघोषित युद्ध से जानलेवा साबित हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने, एक ओर जहां जमाने में भारत की विदेश, रक्षा, कूटनीति को लोहा मनवा डाला. वहीं दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर ने ही भारत को मुसीबत के इस बुरे वक्त में दोस्त और दुश्मनों की भी पहचान करा डाली.
कुछ देशों की खामोशी शक पैदा करती है
स्टेट मिरर हिंदी से विशेष बातचीत करते हुए भारतीय थलसेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी बोले, “ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और उसमें भारतीय फौजों द्वारा पाकिस्तान की हुई जबरदस्त पिटाई सबने देखी. भारत को किसी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि ऑपरेशन सिंदूर किस कदर का कहर बनकर टूटा पाकिस्तान की छाती पर. जहां तक बात ऑपरेशन सिंदूर में भारत के दोस्त और दुश्मनों का पता लगने की है. तो मैं कहूंगा कि रूस, फ्रांस और इजराइल तो जैसे हमारे पक्के दोस्त थे वह ऑपरेशन सिंदूर जैसी मुसीबत में भी साथ रहे. हां कुछ उन देशों ने जरूर खामोश (तटस्थ) रहकर, हमें (भारत) को हैरत में डाल दिया, जिनसे भारत को उसकी ऐसी मुसीबत में तो कम से कम खामोशी की उम्मीद कतई नहीं रही होगी.
पाकिस्तान चीन को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी
एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर (क्राइम इनवेस्टीगेशन) के एक सवाल के जवाब में वीके चतुर्वेदी बोले, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका सबसे ज्यादा उलझन में देखा गया. पहलगाम हमले के तत्काल बाद प्रतिक्रिया देते हुए भारत के धुर-विरोधी और मक्कार देश चीन ने भी यही कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ है. लेकिन चीन पर भारत विश्वास नहीं करेगा. क्योंकि चीन भारत का कभी नहीं हो सकता. चूंकि पाकिस्तान से चीन मोटी कमाई कर रहा है. इसलिए चीन हमेशा दिल और दिमाग से पाकिस्तान के ही साथ रहेगा.
अमेरिका को पाकिस्तान जरूरत पर खच्चर-गधे जैसा
अमेरिका का सिर्फ इतना ही इंट्रेस्ट है पाकिस्तान के साथ कि, भारत ज्यादा उन्नति न कर सके. और जब भी चीन-अमेरिका आमने सामने आएं तो पाकिस्तान, अमेरिका के लिए बोझ लादने वाला गधा या खच्चर साबित हो सके. अमेरिका को हमेशा डर लगा रहता है कि भारत आज नहीं तो आने वाले कल में, अमेरिका को भी चुनौती देगा ही देगा. अमेरिका सिर्फ चीन को ही दिमाग में रखकर आगे की नहीं सोच रहा है.
अमेरिका-चीन ने कुछ नया नहीं किया है...
अमेरिका की लंबी सोच यह भी है कि अगर भारत ने कभी अमेरिका को आंख दिखाई, तब भी पैसे का लालची और टुकड़े-टुकड़े के लिए मोहताज केवल पाकिस्तान ही उसके (अमेरिका) जूते कंधे पर रखवा कर दौड़ लगाने में नहीं शर्माएगा. क्योंकि पाकिस्तान की दुनिया में जब कहीं इज्जत ही बाकी नहीं बची. जब वह पूरी दुनिया में आतंक की फैक्टरी और आतंकवादियों की यूनिवर्सिटी सिद्ध हो ही चुका है, तो फिर ऐसे बदनाम पाकिस्तान को किस बात की चिंता. लिहाजा न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर में अपितु उससे पहले और उसके बाद भी चीन-अमेरिका तो भारत के साथ वैसे ही रहे, जैसे वह दोनो धूर्त पहले से जग-जाहिर हैं.”
कन्फ्यूज अमेरिका भारत से डरता है क्योंकि...
इन दिनों अमेरिका प्रवास पर पहुंचे भारतीय थलसेना (Indian Army) के रिटायर्ड मेजर जनरल सुधाकर जी (Rtd Major General Sudhakar Jee) स्टेट मिरर हिंदी से बातचीत में बोले, “अमेरिका को सबसे ज्यादा डर भारत का सता रहा है. आज के भारत से नहीं. आने वाले 20 साल बाद के भारत से. इसीलिए धूर्त और स्वार्थी अमेरिका एक ऑपरेशन सिंदूर में ही घुटनों पर आ गए बिचारे पाकिस्तान की दुर्गति देखकर सिहर उठा. पाकिस्तान पर तो चलो ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय फौजों ने कहर बरपा रखा था.
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पाकिस्तान के पिटने पर अमेरिका क्यों रो रहा था?
दुनिया ने देखा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने दुर्गति धूर्त पाकिस्तानी आतंकवादियों की करी थी. जबकि बयान बार-बार अमेरिका (American President) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) बदल रहे थे. क्यों ऐसा क्यों था. कभी सुना है कि मार जिसकी पड़े वह तो रोता ही है मगर उसके संग रोने वाले को (पाकिस्तान) चुप कराने वाला (अमेरिका) भी रोने लगता हो. दरअसल भारतीय हुकूमत के बदले हुए जबरदस्त तेवरों और भारतीय सेनाओं की ऑपरेशन सिंदूर में आक्रामकता ने, पाकिस्तान के साथ-साथ खुद को सुपर पावर कहलाने के शौकीन अमेरिका को भी हलकान कर डाला था.”
मुस्लिम-इस्लामिक देशों की खामोशी को क्या माना जाए?
पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी आगे कहते हैं, “ऑपरेशन सिंदूर में साबित हो गया कि इस मायावी दुनिया में भारत के तीन ही दोस्त उसके हर दु:ख के साथी हैं. पहला रूस दूसरा फ्रांस और तीसरा इजराइल. बाकी देश विशेषकर मुस्लिम-अरब-इस्लामिक देश सिर्फ घर बैठे मुंह देखकर गाल बजाने वाले हैं. यह बात मैं नहीं कह रहा हूं. दुनिया ने अपनी आखों से पहलगाम के बाद भारत द्वारा अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर के आगे-पीछे देखा. ईरान, इराक, यूरोप सबके सब देश चुप्पी साधे रहे.
इन खामोश रहे देशों की भारत को ऐसी मुसीबत में फंसा हुआ देखकर भी तटस्थता का रुख अपनाए रखना, बहुत कुछ बयान करता है. मैं तो कहता हूं कि चूंकि पाकिस्तान मुसलिम देश था. जिसके ऊपर भारत जैसे हिंदू बाहुल्य देश ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे घातक अटैक को अंजाम दिया था. तो शायद भारत से हमेशा मजबूत-मधुर संबंध बनाए रखने के लिए व्याकुल रहने का दिखावा करने वाले, यह तमाम देश जिनका मैं ऊपर जिक्र कर चुका हूं, वह सब देश अगर खुलकर भारत के साथ नहीं थे. तब भारत को इनके ऊपर पक्का संदेह करना चाहिए कि यह कहीं पाकिस्तान को ही अंदरखाने सपोर्ट तो नहीं कर रहे थे. इसे ही कहते हैं दोस्ती गांठकर पीछे से पीठ में विश्वासघात का छुरा घोंपना.”
भारत पता लगाए कि अमेरिका कन्फ्यूज क्यों था?
हालांकि वहीं पूर्व मेजर जनरल सुधाकर जी की बात को ही आगे बढ़ाते हुए, अप्रैल 1965 से सितम्बर 1965 के बीच भारतीय थलसेना में मेजर रहते हुए वह युद्ध लड़ चुके और पूर्व ब्यूरोक्रेट (रिटायर्ड आईपीएस) तिलक राज कक्कड़ से बात की. टीआर कक्कड़ बोले, “मुझे तो पूरे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका बंदर की तरह इधर से उधर यूं ही एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उछल कूद करता भर नजर आया. कहीं उसके व्यक्तित्व में सुपर पावर वाली परिपक्वता तो दिखाई ही नहीं दी. अमेरिका राष्ट्रपति एक घंटे कुछ बयान देते. तो उसके दो तीन घंटे बाद कुछ और बयान दे जाते. अजीब असमंजस में दिखा अमेरिका. अमेरिका क्यों कन्फ्यूज था यह वही बेहतर जानता होगा. यह फिर इस बात का पता भारत की हुकूमत लगाए कि, आखिर अमेरिका ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान से भी कहीं ज्यादा परेशान-कन्फ्यूज क्यों था?”
पाकिस्तान से ज्यादा भगदड़ अमेरिका क्यों मची थी
स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में 1965 में भारत की ओर से पाकिस्तान को युद्ध में हरा चुके टीआर कक्कड़ बोले, “अमेरिका पाकिस्तान के साथ पूर्ण रूप से नहीं हो सकता है. क्योंकि भारत की अमेरिका को बहुत ज्यादा जरूरत है. आज का भारत पहले वाला नहीं रहा जब वह अमेरिका के गले में बाहें डालकर उससे मिला करता था. आज का भारत अपनी ही शर्तों पर अमेरिका से रिश्ते रखेगा. आज की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, रक्षा और विदेश नीति में आए बदलाव की हवा तो यही इशारा कर रही है कि, आइंदा भारत और अमेरिका दोनों को ही एक दूसरे की जरूरत है. जहां तक मुझे लगता है कि अमेरिका की कोई बेशकीमती पाकिस्तान की हदों में जरूर छिपी है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिका जिस तरह से असमंजस की हालत में भागदौड़ में जुट आएं-बाएं-दाएं बयानबाजी कर रहा था. मैं उसी के बलबूते यह बात कह रहा हूं.”