जम्मू बॉर्डर पर ‘लंका दहन’! Operation Sindoor में पाकिस्‍तानी चौकियों को धुआं-धुआं करने वाले हमारे सैनिक क्‍या बोले?

पाकिस्तान की तरफ से 10 मई को हुए हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई सिर्फ सैन्य प्रतिकार नहीं थी, यह धर्म और देशभक्ति से प्रेरित युद्धघोष था. राजपूत रेजिमेंट के एक मेजर ने बताया कि कैसे उनकी यूनिट ने चौथी पाकिस्तानी चौकी को ध्वस्त किया, जो भारतीय नागरिकों और सेना को निशाना बना रही थी.;

Edited By :  प्रवीण सिंह
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10 मई 2025 की उस रात जब पाकिस्तान ने जम्मू के अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर भारतीय नागरिक इलाकों पर ड्रोन और अन्‍य हथियारों से हमला किया, तब भारतीय सेना ने कुछ ऐसा किया जो ‘लंका दहन’ की याद दिला गया. India Today की रिपोर्ट के अनुसार राजपूत रेजिमेंट के उस मेजर ने खुलासा किया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में दुश्मन की चौथी चौकी को तबाह करने का जिम्मा उठाया था.

अबकी बार छोड़ेंगे नहीं...

मेजर ने कहा, “मेरे कमांडिंग ऑफिसर ने जो टारगेट दिया, वो दुश्मन की वह चौकी थी जिसने हमारे नागरिकों और सेना पर गोलीबारी की थी. हम पहले से उसकी पोजिशन जानते थे, और फिर हमने वो किया जो इतिहास में दर्ज हो गया.” मेजर ने बताया, "हम पहले से तैयार थे. हमारी इंटेलिजेंस ने हमें बताया था कि कौन सी चौकियां टेरर लॉन्चपैड भी हैं. हमने तय कर लिया था कि अबकी बार छोड़ेंगे नहीं."

बजरंग बली की जयघोष के साथ भारतीय सैनिकों ने रॉकेट लॉन्चर, ग्रेनेड और मोर्टार से वह कहर बरपाया कि दुश्मन के 18 से 20 सैनिक मारे गए. यह सिर्फ जवाब नहीं था, यह एक संदेश था कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा.

धुआं-धुआं हो गईं पाकिस्‍तानी चौकियां

भारतीय सैनिकों ने रॉकेट लॉन्चर, मॉडर्न AK सीरीज़ राइफलें, LMG और ग्रेनेड लॉन्चरों से फायर किया. जवाबी कार्रवाई इतनी जबरदस्त थी कि पाकिस्तानी चौकियां धुएं में बदल गईं. एक जवान ने बताया, "हमने करीब 18-20 पाक सैनिकों को ढेर किया. हमारी निगरानी और सटीक निशाना उनका हर दांव नाकाम कर गया."

दूसरी ओर, पाकिस्तान भारतीय जवाब से बौखला गया और 10 मई को संघर्षविराम की अपील करने पर मजबूर हो गया. दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत हुई और फायरिंग रोकी गई.

वीरता और टेक्नोलॉजी का संगम

भारतीय सेना के पास इस ऑपरेशन में तकनीकी बढ़त भी थी. ड्रोन और सैटेलाइट आधारित निगरानी ने यह सुनिश्चित किया कि एक भी बम बेकार न जाए. एक सैनिक ने बताया, “पाकिस्तान हमारे कम्युनिकेशन को जाम नहीं कर पाया, और हमने हर बम की लैंडिंग ट्रैक कर उसे सुधारते हुए अगली फायरिंग की.”

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